पिछले दस वर्षों में 1200 से ज़्यादा हाथी खो चुके हैं हम
समाजसेवी एवं अधिवक्ता श्री रंजन तोमर की आर टी आई से हुआ बड़ा खुलासा
नॉएडा। पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ी बड़ी बातें सरकार दर सरकार ज़रूर की , पर कोई प्रभावी कदम इस बाबत नहीं उठाया गया है , हाल ही में कई बड़े खुलासे कर चुके अधिवक्ता एवं पर्यावरण प्रेमी रंजन तोमर ने एक और बड़ा खुलासा किआ है जिससे देश ही नहीं दुनियावासिओं के ह्रदय में खलबली मचनी तय है।
पर्यावरण ,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार में लगाई गई एक आर टी आई से कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं , श्री रंजन तोमर ने दो सवाल किये थे एक तो यह के पिछले दस वर्षों में कितने हाथी भिन्न भिन्न कारणों से मारे गए , कारणों में बिजली की चपेट में आने से , रेल हादसों में ,शिकार द्वारा अथवा ज़हरखुरानी से शामिल हैं। दूसरे सवाल में यह पूछा गया था के 'हाथी परियोजना' के तहत उन्हें बचाने , इंसान हाथी संघर्ष को रोकने एवं उनके आवास व् गलियारों को संरक्षित करने के लिए बजट का कितना प्रावधान हुआ है।
इसका जवाब देते हुए मंत्रालय ने बताया के पिछले दस वर्षों में इस बाबत मात्र 30 करोड़ का बजट उपलब्ध करवाया गया है।
बिजली का कर्रेंट लगने (एलेक्ट्रोक्युशन) से मरे 565 हाथी
हाथियों के मारे जाने के प्रमुख कारणों में बिजली के कर्रेंट लगने के कारण हुई मौतों का आंकड़ा चौंकाने वाला है , 2009- 10 में जहाँ 65 हाथी इस कारण मारे गए , वहीँ 2011 से 2014 तक यह आंकड़ा क्रमशः 52 , 51 और 64 रहा। 14-15 में 64 एवं 17 -18 में 66 रहा। इन दस वर्षों में 565 हाथी इस कारण मारे गए जो निराशाजनक है क्यूंकि हाथियों का इस प्रकार मारा जाना इंसानी कारण से ही है और इन सालों में इनमें कोई कमी भी देखी नहीं गई है।
रेलवे एक्सीडेंट के कारण हुई 151 मौतें
एक दुखद जानकारी यह भी सामने आई के इस दौरान से 151 हाथियों को अपनी जान बचानी पड़ी , जो और भी ज़्यादा चिंता का विषय है , इंसानी फायदे के लिए बनी यह ट्रैन जानवरों का काल बन रही हैं , 2012 -13 में सबसे ज़्यादा 27 हाथी ट्रैन हादसों का शिकार हुए तो वहीँ 2016 -17 में 21 , चिंताजनक बात यह भी है के इस दौरान लगातार यह आंकड़ा नियमित रहा अर्थात सरकारों द्वारा ऐसी कोई योजना नहीं बनी जिनसे इनमें कोई कमी आ सके।
429 हाथियों को शिकारियों द्वारा मारा गया
हालाँकि यह आंकड़ा पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट से नहीं मिला है और पर्यावरण मंत्रालय ने जो आंकड़ा दिया है वह बेहद कम है किन्तु वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने हाल ही में श्री रंजन तोमर को पिछले दस वर्षों में जो आंकड़ा दिया था उसके अनुसार 429 हाथियों को शिकारियों ने मौत के घात उतार दिया था , जिसके कारण 624 शिकारियों को गिरफ्तार भी किआ गया था। वन्यजीव अपराध नियन्त्र ब्यूरो की जानकारी को ज़्यादा विश्वसनीय इसलिए माना जाना चाहिए क्यूंकि वह इस कार्य की विशेषज्ञ संस्था है। पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार 150 के करीब हाथियों को इस दौरान मार दिआ गया , किन्तु यह आंकड़ा 'एलीफैंट रेंजेस' का है ना की देश भर का।
ज़हर देकर 62 हाथियों को मारा गया
एक और बेहद चौंकाने वाली जानकारी जो आई है वह यह है के 62 हाथियों को ज़हर देकर इस दौरान मार दिया गया।
देश भर में यदि सबका आंकड़ा जोड़ा जाए तो हम पिछले दस वर्षों में 1207 हाथियों को अपनी गलतियों के कारण खो चुके हैं ,जो की एक बहुत बड़ा और दुखद आंकड़ा है , इंसान की भूख और आगे बढ़ने की चाह उसे अँधा बना रही है , उम्मीद है इन आंकड़ों को देख सरकारों की आँखें खुलेंगी और इन मौतों के कारणों को रोका जा सकेगा।