पान वाला भी बन सकता है प्रधानमंत्री !

पान वाले का राजनीति में धमाकेदार एंट्री
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चाय वाला बन सकता है प्रधानमंत्री, तो पान वाला भी बन सकता है प्रधान मंत्री!
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चौरसिया समाज को सियासी राजनीति से एक होने की है जरूरत
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यह राजनीति है जिसमें कुछ भी संभव है। राजनीति बदलाव का प्रतीक है और जो बदलाव करना जानता है वही राजनीति के शिखर पर पहुंचता है। पिछले लोकसभा चुनाव का दौर आपने अवश्य देखा है। उस दौर में लोकसभा चुनाव में चाय, चाय वाले और चाय पर चर्चा का कैसा माहौल बना कि एक चाय वाला देश का प्रधानमंत्री बन बैठा। तो क्या चायवाले के बाद अब पान और पान वालों की भी राजनीति में वैसे ही एंट्री होगी?
जी हां, जहां पान वालों ने मिलकर अपनी एक राजनीतिक पार्टी बनाई है और अब वह पान वाले को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं। पान बेचने वाले चौरसिया समाज ने आने वाले चुनाव में ना केवल पान वाले को प्रधानमंत्री बनाने का संकल्प लिया है, बल्कि पान वालों ने अपनी राष्ट्रीय पार्टी बना के ताल भी ठोक दी है। यह खबर है, पान से जुड़े चौरसिया समाज के बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, सहित सभी हिंदी पट्टी राज्यों में अच्छी खासी उपस्थिति है। इसी के मद्देनजर चौरसिया समाज में राजनीति में अपनी हिस्सेदारी के लिए खुद की बनाई है और दावा किया है कि पार्टी और चौरसिया समाज के लोगों को टिकट देकर लोकसभा पहुंचाएगी और पान वाले को ही प्रधानमंत्री बनाने की मुहिम चल आएगी।
बिहार के हाजीपुर में इसी तर्ज पर एक सम्मेलन का आयोजन हुआ। जनहित किसान पार्टी के बैनर तले चाय की चर्चा के तर्ज पर पान पर चर्चा हुई। नेताओं ने एक दूसरे को पान खिलाया और कसम खाई, इस बार वोट पान वाले को ही देंगे।
जनहित किसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम सुंदर दास का कहना है की, “चौरसिया समाज का एक भी सांसद नहीं है, यह एक चिंता का विषय है। हमारा समाज स्टार प्रचारक है, हर नुक्कड़ पर आपको मिलेगा चौरसिया समाज। यह समाज इतना ईमानदार है जिसे एक कहावत से हम जोड़कर देख सकते हैं। कहावत है " चौरसिया समाज पूछकर चूना लगाता है।"
पान भारत की पहचान है। पान को राष्ट्रीय पौधा घोषित करना चाहिए। पान विकास निगम का गठन होना चाहिए। हर राज्य में, केंद्रीय स्तर पर एक मंडी हो।”
जब एक चाय वाला प्रधानमंत्री बन सकता है, तब एक पान वाला भी प्रधानमंत्री बन सकता है। पान का व्यवसाय करने वाला चौरसिया समाज कुछ ऐसे ही सपने देख रहा है। और उनका यह सपना सच होता है या नहीं यह देखने वाली बात है। फिलहाल उनका आरोप है कि सभी राजनीतिक दलों में चौरसिया समाज के साथ छल किया गया। उसी का जवाब देने के लिए इन लोगों ने ऐसी पार्टी बनाई है। चौरसिया समाज का कहना है कि पूरे भारत में एक भी सांसद उनके समाज का नहीं है। यह चिंता की बात है। आपको बता दें कि बिहार में करीब 42 हेक्टेयर में पान की खेती होती है। बिहार में पान की खेती बर्बाद होने से किसान परेशान रहते हैं। ऐसे में नीतीश सरकार और केंद्र सरकार के खिलाफ उनके गुस्से का यह पार्टी कितना फायदा उठाती है, यह देखने वाली बात है।
यह तकरीबन हर प्रदेशों में पान उत्पादकों के साथ समस्या है। बहरहाल, स्थिति विकराल है। चौरसिया समाज एकजूट नहीं है। लोग अपने ही लोगों के पैर खींचने में लगे हैं। चौरसिया समाज के ही लोग अपने फायदे के लिए दूसरे दलों का दामन थाम रखे हैं। ये ही लोग राजनीतिक फायदा न उठाते हैं और न समाज को उठाने देते हैं। ये अपने फायदे की झोली हमेशा लटकाए रहते हैं।
सवाल यह है कि जो लोग चौरसिया समाज के बल पर, ताकत पर, शक्ति पर या उनके भीड़ पर राजनीति के शिखर पर पहुंचे हैं, वह चौरसिया समाज को कितना भला कर सके हैं या किया है, यह आप भी जानते हैं, हम भी जानते हैं। जरूरत इस बात की है कि इसका मंथन जरूर करें। अब भावनाओं में बहने की जरूरत नहीं है। जरूरत है सच्चाई को परखने की और समाज को आगे बढ़ाने की। यदि समाज को बढ़ाने के नाम पर लोगों ने छल किया है, छद्मबेशी बना है तो वह समाज के लिए घातक ही साबित हुआ है। अब जागने का समय है। यदि हम समय पर नहीं जागे तो वैसे ही पिछली पंक्ति में खड़े थे और खड़े ही रहेंगे।
सुरेश चौरसिया, पत्रकार.
9810791027.
( नोट:- मुझे अच्छा लगता है जब कोई हमारे चौरसिया समाज के व्यक्तित्व हमसे बात करते हैं। आप भी बात कर सकते हैं।)