रांची : लोकसभा चुनाव में झामुमो, कांग्रेस, झाविमो और राजद साथ-साथ आये है़ं। यूपीए में गठबंधन तो बन गया है, लेकिन अभी चुनौतियां है़ं। दल तो मिल गये हैं, लेकिन अब जमीन पर ताकत दिखानी है़। अपने सहयोगियों के लिए वोट ट्रांसफर कराने की चुनौती है़। राज्य में यूपीए के बड़े नेता अपनी जमीन बचाने के लिए जूझ रहे है़ं। झामुमो सुप्रीमो शिबू साेरेन दुमका से चुनाव लड़ रहे हैं, तो झाविमो अध्यक्ष को कोडरमा में अपनी साख बचानी है़। यूपीए गठबंधन में कांग्रेस को सात, झामुमो को चार और झाविमो को दो सीटों की चिंता है़। राजद ने चतरा में कांग्रेस के साथ फ्रैंडली लड़ाई लड़ रही है, वहीं पलामू से घुरन राम मैदान में है़ं।
कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सीट ली है़। कांग्रेस को झामुमो और झाविमो का सहारा चाहिए़। कांग्रेस की चुनावी नैया अकेले पार नहीं लग सकती है़। संतालपरगणा और कोल्हान में झामुमो की मजबूत जमीन है़। कोल्हान की सिंहभूम सीट से कांग्रेस की गीता कोड़ा उम्मीदवार है़ इस सीट पर गठबंधन की परीक्षा होनी है़।
झामुमो के विधायकों और कार्यकर्ताओं की गोलबंदी कांग्रेस का सहारा बन सकती है़। वहीं दुमका और राजमहल में खुद झामुमो मैदान में है़। वहीं गोड्डा सीट पर झाविमो के प्रदीप यादव भाग्य अाजमा रहे है़ं। संताल में झामुमो और झाविमो की कड़ी कितनी मजबूत होगी, यह चुनाव ही बतायेगा़। इस क्षेत्र में झाविमो का भी अलग-अलग इलाके में पकड़ है़ इधर पलामू में कांग्रेस और राजद ही आमने-सामने है़ं गठबंधन को यहां बड़ी चुनौती है़। पलामू और चतरा में राजद दम लगा रहा है़ ।
चतरा में झाविमो और झामुमो के लिए संकट है, कि वे किसके साथ जायेंगे़। वहीं पलामू में राजद के घुरन राम को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद झाविमो के नेता और कार्यकर्ता कितनेे मिजाज के साथ चुनावी समर में जुटेंगे, इस पर भी लोगों की नजर है़। इधर दक्षिण छोटानागपुर में कांग्रेस रांची, खूंटी, लोहरदगा में रास्ता बनाने में जुटी है़ रांची में कांग्रेस की प्रतिष्ठा जुड़ी है़ सुबोधकांत सहाय फिलहाल दमखम के साथ लगे है़ं। वहीं लोहरदगा में सुखदेव भगत को पार्टी की साख बचानी है़। हालांकि इस सीट में झामुमो विधायक चमरा लिंडा को चुनाव लड़ने से रोक कर कांग्रेस ने अपनी मुश्किलें थोड़ी कम की है़ लेकिन इस सीट पर सहयोगी दलों की ताकत तौली जायेगी़ वहीं खूंटी में यूपीए के सामने पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा है़ं। उत्तरी छोटानागपुर में धनबाद से कांग्रेस के कीर्ति आजाद प्रत्याशी है़ं।
कीर्ति आजाद को उम्मीदवार बनाने के साथ ही कांग्रेस के अंदर ही खलबली मच गयी है़। कांग्रेस को पहले अपना घर दुरुस्त करना होगा़ धनबाद में झामुमो और झाविमो की अपनी उपस्थिति है़। ऐसे में इस क्षेत्र में यूपीए के वोटों की गोलबंदी में दाेनों दलों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी़ वहीं कोडरमा में बाबूलाल मरांडी खुद मैदान में हैं. यह सीट झाविमो के लिए अहम है, पूरी पार्टी का दारोमदार इस सीट पर टिका है़।
यूपीए के दूसरे दलों का सहयोग बाबूलाल की राह आसान कर सकता है, लेकिन चुनाव में यूपीए की धार यहां नहीं दिख रही है़। झाविमो फिलहाल अपने जोर पर ही भाजपा की अन्नपूर्णा देवी और माले के राजकुमार यादव से संघर्ष करता दिख रहा है़। गिरिडीह में झामुमो के जगन्नाथ महतो, आजसू प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी से दो-दो हाथ कर रहे है़ं गिरिडीह के इलाके में कांग्रेस और झाविमो का कई इलाके में पाॅकेट है़ ।
गिरिडीह में झामुमो को कांग्रेस और झाविमो का साथ चाहिए़। इन दोनों दलों ने जोर लगाया, तो जगन्नाथ महतो की गाड़ी आगे बढ़ेगी़।
गौरतलब है कि झारखंड की राजनीति में सेंधमारी और भितरघात से इंकार नहीं किया जा सकता है़। ऐसे में यूपीए के दलों को फूंक-फूंक कर कदम रखना है़ उधर भाजपा भी चौकन्ना है़। एनडीए अपने हिसाब से समीकरण बैठाने के लिए जोड़-तोड़ की रणनीति पर काम कर रही है़
दिल मिले या न मिले, पर नेतागिरी चमकती रहे