नई दिल्ली। कांग्रेस इस बार घोषणा पत्र के बड़े वादे ‘न्याय' को चुनावी बहस में शामिल करने में कामयाब रही है। घोषणापत्र में पार्टी ने अपनी नरम हिंदुत्व की छवि का पूरा ध्यान रखा है। इस बार धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक की बात की गई है। जबकि 2014 के चुनाव में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के तहत कई वादे किए थे। इनमें सच्चर समिति की सभी सिफारिशों को लागू करना शामिल था। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र के जरिए हर तबके का भरोसा जीतने की कोशिश की है।
घोषणा पत्र में कांग्रेस ने समाज के हर वर्ग के लिए कोई न कोई वादा करने की पूरी कोशिश की है। पार्टी की असल नजर भाजपा सरकार की विफलताओं पर रही है। आम लोगों से जुड़े जिन मुद्दों पर मोदी सरकार विफल रही है, कांग्रेस ने घोषणा पत्र में उन मुद्दों को शामिल किया है। घोषणा पत्र में पार्टी ने विस्तृत कार्ययोजना पेश की है। 2019 के लोकसभा चुनाव को दो विपरीत विचारधाराओं के बीच चुनाव करार देते हुए कांग्रेस ने कई बार यह दोहराया है कि हमने यह पहले भी किया है और हम इसे दुबारा भी करेंगे।