वाराणसी में चायवाले के साथ पानवाला का सीधा मुकाबला
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जनहित किसान पार्टी का लोकसभा चुनाव में धमाकेदार आगाज़
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* सुरेश चौरसिया
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नई दिल्ली। इन दिनों देश में लोकसभा चुनाव की सरगर्मी चरम सीमा पर है। गर्मी के साथ ही राजनीतिक पारा भी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर परवान चढ़ रहा है। देश ही नहीं, प्रदेशों में भी बड़े राजनीतिक पार्टियों के साथ छोटी राजनीतिक पार्टियां ताल ठोक कर मैदान में खड़ी है। जहां बड़ी पार्टियां के नेता राजनीतिक भविष्य को संवारने के लिए दिन-रात पसीना बहा रहे हैं, वहीं छोटी पार्टियां भी उन से मुकाबला करने के लिए दमखम आजमा रही है। बड़ी पार्टियों के पास जहां फंड की कोई कमी नहीं है, वहीं छोटी पार्टियां फंड से जूझ रही है, लेकिन उनके हौसले, इरादे बुलंद हैं।
सबसे मजेदार सीट वाराणसी लोकसभा संसदीय सीट पर है जहां चायवाले के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चुनाव मैदान में हैं, वहीं जनहित किसान पार्टी के उम्मीदवार पानवाले अनिल चौरसिया का जबर्दस्त मुकाबला है।
देखना है कि वाराणसी संसदीय सीट पर चाय वाले और पान वाले के मुकाबले के बीच कौन भारी पड़ता है?
जनहित किसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामसुंदर दास चौरसिया लोकसभा चुनाव में चौरसिया समाज के वोटरों सहित अति पिछड़े, पिछड़े समाज के वोटरों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं। श्यामसुंदर दास चौरसिया बताते हैं कि जिन जातियों को राजनीति में हिस्सेदारी नहीं मिली है, उन लोगों को एकजुट होकर संगठित होना ही होगा। उस समाज को टिकट देकर सत्ता में लाना होगा। श्यामसुंदर दास चौरसिया मजबूत और नेतृत्व की क्षमता रखने वाले उम्मीदवारों को चुनाव में टिकट दे रहे हैं।
श्यामसुंदर दास चौरसिया के अनुसार वे अब 35 प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार चुके हैं, जिसमें तकरीबन 25 चौरसिया जाति के उम्मीदवार शामिल हैं। कई और उम्मीदवार चुनाव लड़ने के लिए लाईन में खड़े हैं।
श्यामसुंदर दास चौरसिया को पूरी उम्मीद थी कि चौरसिया समाज के संगठनों द्वारा उनकी पार्टी को सहायता मिलेगी। पर, उन्हें झुनझुना हाथ लगा। संगठन में पत्राचार के उपरांत भी कोई जवाब नहीं मिला।
वैसे, अखिल भारतीय चौरसिया महासभा ने एक समारोह में गत माह चौरसिया समाज से चुनाव लड़नेवाले सभी उम्मीदवारों को दो-दो लाख रुपये देने की घोषणा की थी, लेकिन वह घोषणा आज चुनावी संग्राम में हवा हवाई साबित हो रही है। अब चौरसिया समाज के लोग ही उस पर उंगलियां उठा रहे हैं। वे यही कह रहे हैं कि वह घोषणा सिर्फ हवा-हवाई थी, एक स्टंट बाजी थी और चौरसिया समाज के चंद पूंजीपतियों ने चौरसिया समाज के नाम पर अपनी शोहरत बटोर ले गए।
जनहित किसान पार्टी जिसका चुनावी चिन्ह ट्रैक्टर चलाता किसान है, ने लखनऊ लोकसभा सीट से नितिन चौरसिया को अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि वाल्मीकि नगर संसदीय सीट से चौरसिया एम कुमार को चुनावी मैदान में उतारा है। खगड़िया संसदीय सीट से विनय कुमार चौरसिया, अकबरपुर से रमन बाबू चौरसिया, उन्नाव से दीपक चौरसिया, डुमरियागंज से बीके चौरसिया, संत कबीर नगर से मुन्नालाल चौधरी, आजमगढ़ लोकसभा सीट से प्रमोद कुमार तिवारी सहित अनेक उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है।
जनहित किसान पार्टी किसी भी राजनीतिक पार्टी के साथ गठबंधन से दूर है और अपने दम पर चुनाव मैदान में डटी हुई है। जनहित किसान पार्टी का नारा है पिछड़ों का स्वाभिमान, जनहित किसान पार्टी। छात्रों का सम्मान, जनहित किसान पार्टी।
जनहित किसान पार्टी के बैनर तले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामसुंदर दास चौरसिया बताते हैं कि अब तक चौरसिया समाज को सिर्फ वोट देने की मशीन समझी जाती थी। अब समाज के लोग सीना तान कर अपनी ताकत से राजनीतिक भागीदारी में हिस्सा ले रहे हैं।
वे बताते हैं कि पान किसानों की बदहाली किसी से छुपी नहीं रही है। पर, किसी भी राजनीतिक दलों ने इस ओर ध्यान देने की कोई कोशिश नहीं की और न पार्टी में जनप्रतिनिधित्व ही दिया।
श्याम सुंदर दास चौरसिया के अनुसार इंसान और इंसानियत पर आधारित जनहित किसान पार्टी का गठन किया गया है। यह पार्टी अत्याचार के खिलाफ बुलंद आवाज के साथ मैदान में खड़ी है और विकास ऐसा जो सबको दिखे, न्याय ऐसा जो सबतक पहुंचे।