नोएडा। नयी सरकार के चुनाव और मंत्रिमंडल के गठन के बाद केंद्र सरकार में एक नयी जल्दबाजी दिखाई दे रही है. सरकार कई किस्म की कमेटियों का गठन कर रही है. कमेटियां क्यों? सरकार कई मोर्चों पर एक साथ काम करना चाह रही है. रोज़गार, आवास, सुरक्षा, आर्थिक और भी कई सारे फ्रंट पर कमेटियां बनी हैं. सरकार की मंशा ज़ाहिर होती है कि वह इन मोर्चों पर चुनौतियों को एक साथ डील करना चाह रही है. सरकार ने कुल मिलाकर आठ कमेटियां गठित की हैं.
मोदी सरकार ने मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति, आवास मामलों की समिति, आर्थिक मामलों की समिति, संसदीय मामलों की समिति, राजनीतिक मामलों की समिति, सुरक्षा मामलों की समिति, विकास मामलों की समिति और कौशल विकास समिति नाम से 8 समितियां यानी कमेटियां गठित कीं.
लेकिन इन कमेटियों के गठन के साथ देश के नए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ जो हुआ है, वह काफी रोचक है. जब 5 जून को इन कमेटियों के गठन की अधिसूचना आई, तो राजनाथ सिंह का नाम 8 में से महज़ 2 कमेटियों में था. यह आदेश 6 जून की सुबह 5.57 बजे आया था. तब राजनाथ सिंह का नाम केवल आर्थिक मामलों और सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल कमिटी में शामिल था. बाकी कमेटियों में राजनाथ सिंह का नाम शामिल नहीं था.
आठ में से महज़ दो कमेटियों में राजनाथ सिंह का नाम होने पर दिन भर सोशल मीडिया के साथ-साथ खबरों में भी यह चर्चा होती रही कि राजनाथ सिंह सरकार के लिए उतने ज़रूरी नहीं रहे.
लेकिन आधी रात होते-होते नया आदेश आया. राजनाथ सिंह का नाम चार और कमेटियों में शामिल कर दिया गया. आर्थिक और सुरक्षा मामलों की समिति के अलावा नए रक्षामंत्री का नाम संसदीय मामले, राजनीतिक मामले, विकास मामले, और कौशल विकास मामलों की समिति में शामिल किया गया है. बदलाव भी ऐसा कि राजनाथ सिंह को संसदीय मामले की समिति का प्रमुख भी बना दिया गया.
ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसा क्या हुआ कि राजनाथ सिंह पहले 2 कमेटियो में शामिल थे, फिर सोलह घंटे के भीतर 6 कमेटियो में उनका नाम शामिल कर दिया गया. सरकार और सूत्र इस बारे में कोई जानकारी नहीं देते हैं.
खासकर राजनीतिक मामलों और संसदीय मामलों से जुडी समिति में राजनाथ सिंह का नाम न होने से यह चर्चा हुई कि लम्बे समय तक संसदीय राजनीति में सक्रिय रहने वाले राजनाथ का नाम क्यों गायब है? वह भी तब, जब अरुण जेटली और सुषमा स्वराज के मंत्रिमंडल में ना रहने पर राजनाथ सिंह नए मंत्रिमंडल में शायद सबसे वरिष्ठ नेता हैं.लेकिन इसको जानने के लिए देखते हैं नए गृहमंत्री अमित शाह का प्रोफाइल. राजनाथ सिंह के उलट, अमित शाह को सभी आठ कमेटियों में शामिल किया गया है. केन्द्रीय राजनीति में राजनाथ सिंह लम्बे समय से सक्रिय हैं. भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. लेकिन उनको दो कमेटियों में, और अमित शाह को सभी आठ कमेटियों में शामिल करने पर यह अंदाज़ लगाया जा रहा है कि राजनाथ सिंह का ओहदा सरकार में घट गया है. और अमित शाह अब नरेंद्र मोदी के बाद दूसरे नंबर पर हैं.
लेकिन महज़ 16 घंटों के अंदर राजनाथ सिंह का नाम चार और कमेटियों में शामिल करने की वजह क्या है? इसके बारे में कोई जानकारी तो मुहैया नहीं कराई गयी है.
“पहली अधिसूचना आने के तुरंत बाद सरकार की जो छवि बनने लगी, शायद उसके तहत ही मंत्रिमंडल कमिटी में बदलाव करके राजनाथ सिंह का नाम शामिल किया गया.
भाजपा पर लम्बे समय तक यह आरोप लगा करते हैं कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की कोई पूछ नहीं है. ऐसे आरोप नरेंद्र मोदी और अमित शाह के केन्द्रीय राजनीति में आने के बाद ज्यादा तल्ख़ हुए हैं. आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुषमा स्वराज समेत तमाम वरिष्ठ नेताओं के उदाहरण दिए जाते हैं. ऐसे में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या राजनाथ सिंह को मार्गदर्शक मंडल का अगला सदस्य बनाया जाएगा?