नेफोमा ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर वॉयरों की मुख्य मांगों को उठाया

 


नोएडा। नेफोमा ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर समस्याओं को हल कराने की मांग की है। ज्ञापन के अनुसार कहा गया है कि दो साल पहले लखनऊ में एवं अमेटी यूनिवर्सिटी में मुख्यमंत्री द्वारा मीटिंग की गयी थी जिसमे बॉयर्स ग्रुप एवं विधायक पंकज सिंह, उद्योग मंत्री सतीश महाना के साथ शामिल थे, जिसमें मुख्यमंत्री द्वारा लाखों फ्लेट बॉयर्स की समस्याओं को गम्भीरता से समझते हुए तुरंत तीन मंत्रियों की समिति अक्टूबर 2017 में गठित कर दी थी, उसके बाद नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, एक्सप्रेसवे के लाखों फ्लेट ख़रीदारों ने अपनी खुशी जाहिर की थी, बॉयर्स को एक उम्मीद जगी थी, लेकिन बार बार आपके कहने के बाबजूद भी बिल्डरों और प्राधिकरण पर कोई असर नही हुआ बल्कि मंत्री समिति आती रही बार बार अधिकारियों और बिल्डरो से बन्द कमरे में मीटिंग करते रहे, कभी फ्लेट बॉयर्स से नही पूछा की कितनी समस्या का समाधान निकाला? कितने फ्लेट मिले? फ़्लेट बॉयर्स यूपी रेरा, कोर्ट, बिल्डर एवम् प्राधिकरण के चक्कर मे घुन की तरह पिस रहा है, फ़्लेट बॉयर्स पर दोहरी मार पड़ रही है रेंट, ईएमआई भी देनी पड़ रही है और फ़्लैट्स का क़ब्ज़ा के आता पता नही है।  ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ध्यान दिलाया गया कि फ्लेट बॉयर्स ने अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई अपने सपने के आशियाने के लिए बिल्डरों को कई वर्षों से दी हुई है, परंतु फ़्लाट्स का क़ब्ज़ा नहीं मिल रहा।


नेफोमा मुख्यमंत्री से निम्नलिखित मुद्दों पर अतिशीघ्र कार्यवाही की मांग की जिसमें मुख्य विंदू शामिल किया गया-


1. फ़्लेट बॉयर्स की समस्या समाधान के लिए नई समिति का गठन किया जाए जिसमें क्षेत्रीय विधायक जेवर  धीरेंद्र सिंह एवम् फ़्लैट बयार एसोसिएशन जीबी नगर के प्रतिनिधियो को भी रखा जाए ।


2. नोएड़ा , ग्रेटर नोएड़ा एवं यमुना प्राधिकरण व बिल्डर के बीच मात्र फ्लैट बनाने व बेचने का अधिकार है। सारे कानूनी अधिकार व मालिकाना हक़ प्राधिकरण के पास हैं। बिल्डर केवल प्रोजेक्ट विकास लाइसेन्सी है। प्राधिकरण व फ्लेट मालिक के सम्बन्ध लेसी और सब-लेसी के है। फ्लैट मालिक लीज रेंट मार्फ़त बिल्डर प्राधिकरण को देता है। अतः फ्लेट ओनर की हर समस्या समाधान के लिए प्राधिकरण की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए, जबकि बॉयर्स प्राधिकरण में शिकायत करने जाता है तो प्राधिकरण कहता है हमे बॉयर्स से कोई मतलब नही और आप बिल्डर के पास जाइए।


3. नोएडा , ग्रेटर नोएडा एवं यमुना प्राधिकरण के 2007 सितंबर के बाद अलॉट हुए ग्रुप हाउसिंग सोसायटी के भूखंड की जनसंख्या घनत्व एवं एफ़एआर की जांच की जाए। जनसंख्या घनत्व पर आवासीय यूनिट की संख्या की जांच की जाए, जीबी नगर के तीनो प्राधिकरण की प्रदूषण, ट्रैफिक जाम, जल आपूर्ति , सीवीर, एवं अन्य समस्याओं के लिए मास्टर प्लान 2031 में पुविचार कर संशोधन करने की कृपा करे ।


4. यू॰पी॰ रेरा के अधिकारी अच्छा कार्य कर रहे हैं, वो समस्या का निस्तारन समय पर बायर के हक़ में कर रहे है, लेकिन यूपी रेरा का आदेशों का प्राधिकरण अधिकारी एवं बिल्डर मानते नही हैं, न ही जिलाधिकारी यूपी रेरा द्वारा बॉयर्स के रीफ़ंड की भेजी गयी आर॰सी॰ का पालन कर रहे हैं एवं कई मामले में डीएम ने यू॰पी॰ रेरा द्वारा भेजी गयी आर॰सी॰ कुछ माह उपरांत यूपी रेरा को वापिस भेज दी। बिल्डर यूपी रेरा के आदेशों को हाईकोर्ट में रेरा ऐक्ट के अनुसार चेलेंज करता है, फिर रेरा कानून का बाइअर्ज़ के हक़ में अस्तित्व क्या महत्व, जब बॉयर्स ने हाईकोर्ट में ही जाना था, यूपी रेरा कानून में संशोधन कर यूपी रेरा को ही रिकवरी के अधिकार दिए जाए एवं दोषी बिल्डर जो यूपी रेरा के आदेशों को नहि मानते, उन पर यूपी रेरा को एफ़आईआर दर्ज करने का भी हक़ मिले एवं ज़िला अधिकारियों को भी शासाना आदेश द्वारा यूपी रेरा द्वारा भेजी गयी बाइअर्ज़ रीफ़ंड रेकव्री सर्टिफ़िकेट के पालन एवं वसूली के लिए निर्देशित किया जाए। यूपी रेरा द्वारा संशोधित ऐक्ट्स को डिनोटिफाइड करके जो सेन्ट्रल रेरा का बिल बनाया था वही लागू किया जाए जिससे पुराने सभी खरीददारों को फायदा मिल सके।


5. पिछले लगभग 10 साल से अधूरे एवं बन्द पड़े विभिन प्राजेक्ट्स जैसे की आम्रपाली, जेपी, यूनीटेक, 3-सी ग्रूप, सुपरटेक, अंसल, अर्थ, शुभकामना, फ़ेस्टिवल सिटी, रुद्रा, शिवालिक होम्स, एकदन्त, वेदांतम, जेएनसी, आरजी लक्सरी होम्स, मोरफ़ेस प्रतीक्षा, जेकेजी, टुडे होम्ज़, लॉजिक इत्यादि प्रोजेक्टो को सरकार चाहे तो एक महीने में समाधान कर फ़्लेट बनवाने की प्रक्रिया स्टार्ट कर सकती है, बिल्डरों ने लेंड बैंक बनाया है सभी फ़्लेट बॉयर्स से 95% पैसे बसूल कर दूसरे प्रोजेक्टो एवं डिरेक्टर्ज़ के पर्सनल अकाउंट में फ़ंड्ज़ को ट्रांसफर कर लिया है। बिल्डर्ज़ के पिछले 10 साल के अकाउंट्स का फोरेंसिक ऑडिट कराकर बिल्डर द्वारा अनैतिक फ़ंड तरस्फेर को वापिस परमोटेर बिल्डर कम्पनी के अकाउंट में वापिस जमा करने का आदेश किया जाए एवं सैकड़ों अधूरे प्रोजेक्टो को पूरा किया जाए।


6. तीनो प्राधिकरणों के प्लानिंग विभाग की जाँच करायी जाए, जिन्होंने बिना उचित जाँच करे बिल्डरो को फ़ायदा पहचाने के लिए नक़्शे पास किए, बिना प्रोजेक्ट वायर की अनुमति के बावजूद एफ़एआर ख़रीद द्वारा एफ़एआर बढ़ाने की पर्मिशन दी, बिना उचित साइट जाँच के टी॰ओ॰सी॰, सी॰सी॰ सर्टिफ़िकेट दिए जबकि प्रोजेक्ट में अभी भी कई मूलभूत सुविधाए उपलब्ध नही है, अधूरे प्राजेक्ट्स को कैसे पार्ट सी॰सी॰ एवं सी॰सी॰ दे दी गयी, प्रोजेक्ट बाइअर्ज़ द्वारा प्राधिकरण को शिकायत करने पर कोई कार्यवाही नही होती, एवं बाइअर्ज़ को बिल्डर्ज़ से ही मिलने के लिए दबाव बनाया जाता है, ये सब प्राधिकरण, इसके प्लानिंग डिपार्टमेंट एवं बिल्डर्ज़ के द्वारा भरस्टाचार के कारण हैं, जिसकी उचित जाँच करायी जाए।


7. अक्टूबर 17 में मंत्री समिति द्वारा घोषित, नोएडा विधायक पंकज सिंह एवं नोएडा संसद डॉक्टर महेश शर्मा द्वारा कई बार घोषित बाइअर्ज़ को वायदा कि बाइअर्ज़ का एफ़आईआर दर्ज किया जाएगा, पिछले लगभग दो साल में सैकड़ों एफ़आईआर जीबी नगर के विभिन्न थानो में या तो दर्ज नहि हुए है, जो थोड़ी बहुत जो दर्ज हुई उस पर कार्यवाही नहीं हुई। अत एसएसपी जीबी नगर को बाइअर्ज़ एफ़आईआर तुरंत दर्ज करने को निर्देशित किया जाए।
8. यूपी बिजली विभाग द्वारा यूनिट राते एवं मासिक फ़िक्स रेट प्रति किलो वाट से लगभग अधिक वसूल रहे हैं जो कि ग़ैर क़ानूनी है। सिंगल पोएंट मीटर कनेक्शन की जगह हर फ़्लैट में निजी मीटर की पॉलिसी को तुरंत लागू किया करवाया जाए जिससे फ़्लैट मालिकों को राहत मिल सके।


9. इंसोल्वेंसी और बैंक करप्सी कोड 2016 सरकार ने बायर्स के हक के लिए बनाया था लेकिन 175 बिल्डर ने मिलकर इसे खत्म कराने की साजिश रचा है। इनके साथ दे रहे मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं।, बायर्स को फाइनेंसियल क्रेडिटर्स भी नही मानते और घर भी नही देंगें। लाखों फ़्लेट बॉयर्स के हक के लिए इंसोल्वेंसी और बैंक करप्सी कोड 2016 पर सरकार को विचार करना चाहिए


10 जीबी नगर के तीनो प्राधिकरण पर कई बिल्डर्ज़ का लगभग 50 हज़ार करोड़ लैंड ड्यूज़ का कई सालों से बक़ाया है जो कि तमाम नोटिस के बावजूद प्राधिकरण वसूल नहीं कर पा रहे हैं। अतः मुख्यमंत्री से निवेदन है की तीनो प्राधिकरण को डीएम जीबी नगर को बिल्डर्ज़ लैंड ड्यूज़ रेकव्री की आर॰सी॰ भेजने के लिए निर्देशित किया जाए जिससे की लगभग चालीस हज़ार फ़्लैट जो की बिल्डर लैंड ड्यूज़ ना देने के कारण प्राधिकरण में प्रोजेक्ट ओ॰सी॰ कई सालों से पेंडिंग है एवं इन बाइअर्ज़ को फ़्लैट्स का क़ब्ज़ा एवं रजिस्ट्री नहीं हो पा रही है।