संतों के मकड़जाल से लुटे जा रहेअंधभक्त

 



राधे मां ( जसबिंदर कौर) 7 लाख दीजिए तो आपको गोद में बैठाकर आशीर्वाद देंगी और पन्द्रह लाख रूपये दीजिये तो आप धूर्त ठग राधे माँ को किसी फाइव स्टार होटल में ले जा के डिनर के साथ आशीर्वाद ले सकते हैं ! तब भी वो देवी है मूर्ख हिंदुओं की।


निर्मल बाबा है जो लाल चटनी और हरी चटनी में भगवान की कृपा दे रहा है ! उनको रात दिन पूजा रहा है।


रामपाल है जो कबीर को पूर्ण परब्रह्म परमात्मा मानता है ! और अपने नहाए हुए पानी को अपने भक्तों को पिला कर कृतार्थ करता है।


ब्रह्मकुमारीमत वाले हैं जो दादा लेखराज के वचनों को सच्ची गीता बताते हैं और परमात्मा को बिन्दुरुप बताते हैं ! इन्होंने तो भगवद्गीता भी फेल कर दी।


राधास्वामी वाले अपने गुरु को ही मालिक परमेश्वर भगवान ईश्वर मानते हैं की वो साक्षात ईश्वर का अवतार है ।


निरंकारी है जिनका उद्धार करने वाला ही कई करोड़ की गाड़ी में 350 की स्पीड पर भयंकर दुर्घटना में औरों का तो पता नही, अपना मिलन परमात्मा से करवा लेता है।


कुछ महा ज्ञानी लोग तथा मीडिया/फ़िल्म/टीवी सीरियल चाँद मियाँ ऊर्फ साई बाबा को साईं राम,साईं श्याम,साईं भगवान, साईं अविनाषी,अखिल ब्रम्हांड नायक,त्रिलोकीनाथ,साक्षात परब्रह्म परमेश्वर  बनाने पर तुले हैं अब तो शिरडी के तथाकथित मंदिर में साईं की मूर्ति/मजार के सामने प्रांगण में नंदी जी की साईं को देखती हुई मूर्ति स्थापित की जा चुकी है जाहिर है कि निश्चित रूप से आने वाले समय मे चांद मियाँ को साईं महादेव भी घोषित करने की अग्रिम तयारी चल चुकी है और साईं भक्त(विशेष प्रकार का भक्त तबका)उसके  तथाकथित चमत्कारों के गुण गाते हुए नही थकते ! उनका कुतर्क होता है कि शिरडी में रहना खाना मुफ्त या इतने सस्ते में/इतना अच्छा मिलता है और उनका अंतिम कुतर्क होता है कि जब से मैंने शिरडी जाना शुरू किया तब से मुझे "फायदा" हुआ है 
साईं भक्त शिरडी तो जाते है पर पास में नासिक स्थित श्री त्रयम्बकेश्वर आदि ज्योतिर्लिंग कम ही जाते है।


आसाराम के भक्त तो और भी महान है सब पोल खुल जाने पर भी सड़कों पर भक्त बनकर आसाराम को ईश्वर मान रात दिन उसके गुण गाते है।


कोई विदेशी इसका जिम्मेदार नहीं है जिसने अपनी दुकान ज्यादा सजायी वही उतना बड़ा परमेश्वर हो गया।
बाबा लोगों को किसी भगवान पर विश्वास नहीं होता,बाबा जी Z+ सिक्योरिटी में बैठकर कहते हैं कि," जीवन-मरण ऊपर वाले के हाथ में है "! अंधभक्त बने रहते हैं और श्रद्धा से सुनते हैं पर सोचते नहीं हैं....!


बाबा जी हवाई जह़ाज में उड़ते हैं सोने से लदे होते हैं दौलत के ढेर पर बैठकर बोलते हैं कि," मोह-माया मिथ्या है, ये सब त्याग दो "! लेकिन उत्तराधिकारी अपने बेटे को ही बनायेंगे। अंधभक्त श्रद्धा से सुनते हैं पर सोचते नहीं हैं.....!


भक्तों को लगता है कि उनके सारे मसले बाबा जी हल करते हैं लेकिन जब बाबा जी मसलों में फंसते हैं तब बाबा जी बड़े वकीलों की मदद लेते हैं और तब खुद अंधभक्त बाबा जी के लिये दुखी होते हैं लेकिन सोचते नहीं हैं.....!


भक्त बीमार होते हैं डॉक्टर से दवा लेते हैं जब ठीक हो जाते हैं तो कहते हैं, " बाबा जी ने बचा लिया "! पर जब बाबा जी बीमार होते हैं तो बड़े डॉक्टरों से महंगे अस्पतालों में इलाज़ करवाते हैं और तब अंधभक्त खुद उनके ठीक होने की दुआ करते हैं लेकिन सोचते नहीं हैं.....!


अंधभक्त अपने बाबा को भगवान समझते हैं
उनके चमत्कारों की सौ-सौ कहानियां सुनाते हैं जब बाबा जी किसी अपराध में जेल जाते हैं तब वे कोई चमत्कार नहीं दिखाते.. तब अंधभक्त बाबा के लिये लड़ते-मरते हैं लेकिन वे कुछ सोचते नहीं हैं.....!


इन्सान आंखों से अंधा हो तो उसकी बाकी ज्ञानेन्द्रियाँ ज़्यादा काम करने लगती हैं लेकिन अक्ल के अंधों की कोई भी ज्ञानेन्द्रि काम नहीं करती... .।


गुरु पहचाने,जागृत बनो,तार्किक बनो !
अक्ल के अंधे नहीं !