सुन्दरी


                    सुंदरी (कहानी)
आज रविवार है । टीवी पर महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं की परिचर्चा प्रसारित हो रही है । तभी चंदा दीख गई और मैं हषोल्लास से भर गया । पूरे तैंतीस साल के बाद उसे देख रहा हूँ..... वह भी टीवी पर । वह हाईस्कूल में हमारे साथ पढ़ी थी ।
तब वह कली थी.......आज ऐसी लग रही है जैसे अभी अभी खिली हो । साड़ी में है फिर भी पूरी स्टाईलिश । गोग्लस माथे पर टिका रखी है । परिचर्चा में बेबाक टिप्पणी कर सबों पर छा रही है ।



परिचय के क्रम में पता चला कि चंदा का पति ऊंचे पद पर आसीन पदाधिकारी है । दो पुत्र है जो हाल में ईंजीनियर बन चुके हैं । वह स्वयं सेवी संस्था की संचालिका है । समाज सेवा , नारी उत्थान पर कार्य करती है ।
नारी शोषण पर बोलते हुए वह हाईस्कूल में उसके साथ घटित घटना को बता रही है । आज तक नहीं भूली है  ।
जब हमलोग सातवीं कक्षा में पढ़ रहे थे.... तब चंदा हमारे क्लास में नाम लिखाई थी । काफी गोरी , सुंदरता की जीती जाती मूर्ति थी । हंसती तो दुग्ध धवल दंत पंक्तियाँ दीखती , अनार दाने से सजे हुए ।पूरा माहौल आनंद विभोर हो जाता । तब वह मात्र तेरह वर्ष की थी । वह किसी भी लड़का से बात नहीं करती थी । लेकिन लड़कियों से खूब बतियाती थी । ठहाके लगाती थी । खेल कूद में अव्वल । पढा़ई में भी तेज । 
बाली उमर के लड़के भौंरे बन कर कली से गुनगुनाने चाहते । लेकिन स्कूल के डिसीप्लीन.....कोई लड़कियां से बात नहीं करे ।
आखिर में किसी ने प्रेम पत्र लिखकर उसकी टेबल पर रख दिया ।
पत्र किसी दूसरी लड़की के हाथ लग गया । स्कूल में खूब हंगामा हुआ । आखिर में लड़कियों ने भी तोहमत जड़ ही दी.....और किसी लड़की को कोई लेटर क्यों नहीं लिखा । तुम्ही को क्यों ? जरूर तुम भी चाहती हो । चंदा को घर में भी काफी सख्ती का सामना करना पड़ा । घर में खुद को कैद कर ली । उसे समझ में नहीं आता कि उसका दोष क्या है? कुछ दिनों के बाद पुनः स्कूल आने लगी थी ।
                    हाईस्कूल के बाद वह महिला कालेज में एडमिशन कराई थी । कुछ लड़के अभी भी पीछे कर रहे थे । फिर चंदा की शादी हो गई । और वह ससुराल चली गई ।


                  * बालमुकुंद , देवघर