गौतमबुद्ध नगर के कचैड़ा गांव में आज वीर चक्र प्राप्त लांस नायक ज्ञानचंद नागर की होगी मूर्ति का अनावरण

** कचैडा में मनेगा शहीद दिवस,वीर चक्र प्राप्त लांस नायक ज्ञानचंद की मूर्ति अनावरण 


 "शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, 
वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा..."



नोएडा। इस वीर रस की कविता का कचैडा में आज होगा आगाज। जब गांव के एक वीर सपूत शहीद ज्ञानचंद नागर की शहादत को नमन करने हजारों की तादाद में लोग पहुंचेंगे। आज से 48 साल पहले ठीक आज ही के दिन ग्रेटर नोएडा के कचैडा गांव का लाल पाकिस्तानी दुश्मनों से लडता हुआ शहीद हुआ था । नाम था जिनका लांस हवलदार ज्ञानचंद नागर। जिनकी वीर गाथा सुनते हुए हमें गर्व होता है कि हम उन शहीद के लिए आज यानि 15 दिसंबर 2019 को कचैडा गांव में शहीदी दिवस मनायेंगे। साथ ही वीरता के प्रतीक वीर चक्र प्राप्त अपने वीर सैनिक की शहादत को नमन करते हुए उनकी 48वी पुण्यतिथि पर मुर्ति अनावरण और शहीद द्वार का लोकार्पण होगा। साथ ही देश के लोकप्रिय लोकगीत कलाकार महाशय टीकम नागर और उनकी टीम द्वारा वीर रस से ओतप्रोत रागनियों का रंगारंग कार्यक्रम भी होगा। 


याद रहे कि 15 दिसंबर 1971 को भारत पाक युद्ध के समय लांस हवलदार ज्ञानचंद 22 राजपूत बटालियन की उस टुकड़ी के कमांडर थे जिसे पाकिस्तान के पूर्वी क्षेत्र के अतापुर नामक स्थान पर दुश्मन को रोकने के लिए रोड ब्लाक का कार्य सौंपा गया था। दुश्मन इस रोड ब्लाक से  सैनिक टुकड़ी को हटाने के लिए लगातार आर्टिलरी,  मोर्टार और स्वचालित हथियारों से भीषण हमला कर रहे थे। 


लांस हवलदार ज्ञानचंद ने दुश्मन के एक बंकर को जहां से हैवी मशीन गन का फायर आ रहा था जिसकी वजह से हमारी सैनिक टुकड़ी के जवान घायल हो रहे थे उसे पहचाना और अपनी सुरक्षा की परवाह किए बगैर  ज्ञानचंद नागर अपनी  एलएमजी को  लेकर उस बंकर की तरफ क्राउलिंग करते हुए आगे बढ़े । इस दौरान वह बुरी तरह घायल हो गए । परंतु वह अपने जख्मों की परवाह न करते हुए आगे बढ़ते रहे और जब दुश्मन के बंकर से कुछ दूरी पर पहुंच गए तब उन्होंने अपने एलएमजी से दुश्मन के ऊपर गोलियों की बौछार करके दुश्मन के बंकर के सभी 5 सैनिकों को मार गिराया । 


इसके बाद दुश्मन को उस बंकर पर फिर से कब्जा करने के सभी प्रयासों को विफल कर दिया और बंकर पर कब्जा प्राप्त कर लिया । जब तक कि बंकर में हमारी डॉक्टरी मदद पहुंचती तब तक हवलदार ज्ञानचंद नागर वीरगति को प्राप्त हो चुके थे । उनकी इस वीरता पूर्ण कार्यवाही से हमारी टुकड़ी की स्थिति मजबूत हुई और बटालियन ने दुश्मन के 38 फ्रंटियर फोर्स रेजीमेंट के 83 सैनिकों को मार गिराया । इसके उपरांत दुश्मन के चार अधिकारियों एवं 187 जवानों को बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया । ऐसे वीर सैनिक लांस हवलदार भारत माता के सच्चे सपूत थे ।


गौरतलब है कि जिस युद्ध में लांस नायक नागर शहीद हुए भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1971 में हुआ युद्ध कोई सामान्य युद्ध नहीं था। इस युद्ध ने कई नई ऐतिहासिक मिसालें कायम कीं। इस युद्ध पर पूरे विश्व की नजर टिकी हुई थी और इसे विश्व युद्ध के बाद चौथी छोटी लड़ाई की संज्ञा दी गई। यह युद्ध 3 दिसम्बर, 1971 से लेकर 14 दिसम्बर, 1971 तक चला। मात्र दो सप्ताह तक चले इस युद्ध ने देखते ही देखते एक नए राष्ट्र 'बांग्लादेश' का निर्माण कर दिया और साथ ही पाकिस्तान के 93000 सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों के समक्ष आत्म−समर्पण की घटना ने एक नया वैश्विक रिकार्ड भी कायम कर दिया। इतनी बड़ी संख्या में आज तक किसी देश के सैनिकों ने आत्म−समर्पण नहीं किया है। केवल इतना ही नहीं, इस युद्ध ने पूरी दुनिया में रणनीतिक कौशल की एक नई मिसाल भी कायम की है। जिस युद्ध में विश्व की अमेरिका और ब्रिटेन जैसी महाशक्तियां भी युद्ध में पक्षकार न बनने के लिए विवश हो जाए, भला उससे बढ़कर और रणनीतिक युद्ध कौशल की और अनूठी मिसाल क्या हो सकती है ? 


जी हाँ  ! वर्ष 1971 के भारत−पाक युद्ध में अमेरिका और ब्रिटेन ने पाकिस्तान के पक्ष में भारत के विरूद्ध भयंकर जहाजी बेड़े समुन्द्र के रास्ते रवाना भी कर दिये थे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें पाकिस्तान की मदद करने से अपने कदम तत्काल वापिस हटाने के लिए विवश हो जाना पड़ा। यह सब हुआ, भारतीय सेना के पराक्रमी और शूरवीर सैनिकों की बहादुरी, तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी की राजनीतिक कौशलता, रणनीतिक कूटनीति, अनूठी दूरदृष्टिता और जल−थल और वायु सेना के अभेद्य युद्धनीति। इसी युद्ध ने हमारे वीर सैनिक लांस नायक ज्ञानचंद नागर जैसे शौर्यकर्मियों को हमसे सदा के लिए अलविदा कर दिया। आईए आज के दिन ऐसे भारत माता के वीर सपूत लांस हवलदार ज्ञानचंद को कचैडा में आकर उनको श्रद्धांजलि देकर पुष्पांजलि अर्पित करें ।