जीवन में प्रतीक्षा, परीक्षा और समीक्षा है बेहद जरूरी


तीन बातें भक्त के जीवन में जरूर होनी चाहिएं, प्रतीक्षा, परीक्षा और समीक्षा...


प्रतीक्षा :-


भक्ति के मार्ग में "प्रतीक्षा" बहुत आवश्यक है, प्रभु जरूर आयेंगे , कृपा करेंगे , ऐसा विश्वास रखते हुए "प्रतीक्षा" करें... 


परीक्षा :-


संसार की "परीक्षा" करते रहें। इस संसार में सब अपने कारणों से जी रहे हैं। किसी के भी महत्वाकांक्षा के मार्ग पर बाधा बनोगे वही कोई अपना, पराया हो जायेगा, संसार का तो प्रेम भी छलावा है। संसार को जितना जल्दी समझ लोगो इतना प्रभु के मार्ग पर तुम जल्दी आगे बढ़ोगे... 


समीक्षा :-


 अपनी "समीक्षा" रोज करते रहो, आत्मचिन्तन करो, जीवन उत्सव कैसे बने ? प्रत्येक क्षण उल्लासमय कैसे बने ?  यही चिन्तन होना चाहिए, कुछ छोड़ना पड़े तो छोड़ने की हिम्मत और कुछ पकड़ना पड़े तो पकड़ने की हिम्मत होनी चाहिए, अपनी "समीक्षा" से ही आगे के रास्ते दिखेंगे।