किसानों ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण दफ्तर पर हल्ला बोला, तानाशाही का लगाया आरोप

नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के दफ्तर पर आज किसानों का हल्ला बोल प्रदर्शन किया। किसान अपनी अधिग्रहण जमीन के एवज़ में लीज़ बैक व 10 प्रतिशत आवासीय भूखण्ड और कम्पनियों में 50 प्रतिशत रोज़गार आरक्षण की मांगो को लेकर करेंगे धरना प्रदर्शन, किया। सुरक्षा की दृष्टि से छावनी में तब्दील रहा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का दफ्तर।



आज अखिल भारतीय किसान सभा के तय कार्यक्रम के अनुसार प्राधिकरण गोल चक्कर पर 45 गांवों के अधिग्रहण से प्रभावित किसान एकत्रित हुए। एकत्रित होने के बाद किसान जुलूस के रूप में प्राधिकरण व सरकार के विरुद्ध नारे लगाते हुए प्राधिकरण की तरफ चल दिए। प्राधिकरण के पास पहुंचने पर पुलिस के अफसरों व कर्मचारियों ने धारा 144 का हवाला देते हुए जुलूस को रोकने की कोशिश की। किसान सभा के नेताओं द्वारा पुलिस अफसरों को यह जानकारी दिए जाने पर कि किसान सभा ने जिलाधिकारी, प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक महोदय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, को समस्याओं के संबंध में एवं जिला अधिकारी को शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन की अनुमति के संबंध में 9 दिसंबर एवं 11 दिसंबर को रजिस्टर्ड पोस्ट द्वारा सूचना प्राप्त करा रखी है, परंतु सक्षम अधिकारियों द्वारा अनुमति के संबंध में अथवा किसानों की समस्याओं के संबंध में कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। अखिल भारतीय किसान सभा हमेशा शांतिपूर्ण धरना व प्रदर्शन करती है। धारा 144 का प्रयोग केवल ऐसे मामलों में किया जा सकता है जहां पर कार्यकारी मजिस्ट्रेट को भीड़ के हिंसक होने अथवा भीड़ द्वारा शांति व्यवस्था को बिगाड़ने के पर्याप्त आधार हो।  अखिल भारतीय किसान सभा के सभी धरना प्रदर्शन हमेशा शांतिपूर्ण होते हैं शांतिपूर्ण ढंग से धरना प्रदर्शन जुलूस सभा आदि का अधिकार संविधान की धारा 19 के अंतर्गत संवैधानिक अधिकार है जिसको बिना पर्याप्त आधार के खत्म नहीं जा सकता। इसके बावजूद अधिकारी नहीं माने जुलूस को  को रोकने का प्रयास करने लगे जिस कारण किसानों व पुलिस के बीच काफी धक्का-मुक्की हुई।


किसान बैरकेट पार करते हुए जोर से नारेबाजी करते हुए प्राधिकरण गेट पर जम गए। किसानों की संख्या 1000 से भी ऊपर हो गई। तत्पश्चात किसानों ने अपना धरना- प्रदर्शन शुरू किया। धरने को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय नेता बृंदा करात ने संबोधित करते हुए कहा यह सरकार किसान व मजदूर विरोधी है। जनता की एकता को भंग करने के लिए सांप्रदायिक मुद्दों को उठाकर देश का माहौल बिगाड़ रही है। किसानों की 10% आबादी, प्लाट, पुश्तैनी आबादियों की लीज बैंक एवं अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के परिवारों को रोजगार उनका कानूनी हक है जिससे उन्हें जानबूझकर वंचित किया जा रहा है व देश की सबसे कीमती जमीन को बिल्डरों व पूंजीपतियों को हस्तांतरित किया गया है। इस हस्तांतरण के बदले सरकार व प्राधिकरण के अधिकारी भारी कमीशन वे रिश्वत कमा रहे हैं, जबकि क्षेत्र का किसान कंगाल हो गया है।


अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव एनके शुक्ला ने किसानों को संबोधित करते हुए ऐलान किया कि किसान सभा किसानों का सबसे जुझारू और सबसे बड़ा देशव्यापी संगठन है उक्त समस्याओं को हल कराने के बाद ही किसान सभा के कार्यकर्ता व नेता दम लेंगे। धरने का संचालन किसान सभा के महासचिव हरेंद्र खारी ने किया। धरने की अध्यक्षता अखिल भारतीय किसान सभा के संरक्षक जगदीश नंबरदार ने की। धरने को अखिल भारतीय किसान सभा गौतम बुध नगर के संरक्षक जगदीश नंबरदार दीपचंद नेताजी संयोजक वीर सिंह नागर सह संयोजक वीर सिंह इंजीनियर जिला अध्यक्ष नरेंद्र भाटी वरिष्ठ उपाध्यक्ष ब्रह्मपाल सूबेदार उपाध्यक्ष बुधराम दरोगा उपाध्यक्ष रामकुमार बैंसला उपाध्यक्ष भगवत साकीपुर उपाध्यक्ष महेंद्र नागर सचिव बिजेंद्र नागर सचिव संदीप भाटी सचिव अजय पाल रामपुर सचिव जगबीर नंबरदार सचिव चमन मास्टर लुक सर सचिव मनोज प्रधान खानपुर, सचिव नरेंद्र खारी खैरपुर वीरसेन नागर मिलक लच्छी प्रवक्ता डॉ रुपेश वर्मा प्रवक्ता अजय चौधरी एडवोकेट ग्राम कमेटी सादोपुर के अध्यक्ष निरंकार, ग्राम कमेटी रामपुर के अध्यक्ष धर्मवीर ग्राम कमेटी मिलक लच्छी के अध्यक्ष वीर सिंह नागर बलजीत मास्टर थापखेड़ा विनोद प्रधान थापखेड़ा यतेंद्र मैनेजर मायचा रणवीर मास्टर मायेचा ने संबोधित किया।


सभी वक्ताओं ने संबोधित करते हुए प्राधिकरण के रवैए पर रोष जाहिर किया। वक्ताओं ने माननीय हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए प्राधिकरण पर आरोप लगाया कि प्राधिकरण ने शपथपत्र लेने के बावजूद 4% अतिरिक्त प्लॉट ने देकर किसानों के साथ नाइंसाफी की है इसी प्रकार किसानों की लीज बैक के प्रकरणों को जानबूझकर जांच के नाम पर लटकाया गया है जबकि शासन द्वारा जांच कमेटी का गठन गैर पुश्तैनी लोगों द्वारा आबादी नीति का नाजायज फायदा उठाने के संबंध में किया गया है। वक्ताओं ने क्षेत्र में लग रही फैक्ट्रियों में फैक्ट्रियों द्वारा जानबूझकर स्थानीय युवकों को रोजगार के अवसरों से वंचित करने की नीति पर भारी रोष प्रकट किया। वक्ताओं का कहना था कि जिस जमीन पर फैक्ट्रियां लगी हैं वह जमीन किसानों को रोजगार भी देती थी भूमि अधिग्रहण कानून में अधिग्रहण से प्रभावित परिवार को योजना प्रभावित परिवार माना गया है। वह उस योजना में पैदा होने वाले रोजगार ओं में किसानों के परिवार के एक सदस्य को योग्यता अनुसार नौकरी देने का कानूनी हक है ।


अखिल भारतीय किसान सभा उक्त समस्याओं के हल होने तक अनवरत आंदोलन के लिए वचनबद्ध है। लगभग 3:00 बजे प्राधिकरण के एसीईओ के के गुप्ता किसानों का ज्ञापन लेने धरना स्थल पर पहुंचे। ज्ञापन धरना के अध्यक्ष जगदीश नंदाम्म ने  के के गुप्ता को सौंपा । के के गुप्ता ने सीईओ के साथ वार्ता कराने का आश्वासन दिया। अंत में सभी किसानों को संबोधित करते हुए किसान सभा के प्रवक्ता डॉ रुपेश वर्मा ने कहा कि यह लड़ाई की शुरुआत है। किसी भी समस्या पर कोई ठोस आश्वासन अभी नहीं है। प्राधिकरण के सीईओ से वार्ता उपरांत आंदोलन के आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। सभी गांव कमेटियों से अपील किया गया  कि हर गांव में गांव कमेटियां अपनी ताकत बढ़ाए और आंदोलन की मजबूत तैयारी करें। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक किसानों की समस्याएं हल नहीं हो जाती।