श्रीमद्भागवत में एक नवीन मार्गदर्शन है : शास्त्री

**   जीव के उद्धार के लिए है, श्री मद्भागवत 



नोएडा। नोएडा के सेक्टर 74 नोएडा में  श्रीमद्भागवत कथा से पूर्व  एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस संबंध में कथावाचक एवं व्यास पंडित जीवेश शास्त्री ने बताया कि आदि व्यासजी महाराज ने चार वेद , छः शास्त्र , एवं 18 पुराणों के बाद श्री मद्भागवत की रचना कलयुग के जीवों के उद्धार करने के लिए की थी ।


उन्होंने कहा कि जो जीव काम सुख का उपभोग करते हैं , वे योगाभ्यास नहीं कर सकते। भोगी यदि योगी होने  जाएगा तो  रोगी हो जाएगा । ज्ञान मार्ग  से जिसका पतन होता है, वह नास्तिक बनता है। भक्ति मार्ग से जिसका पतन होता है, वह आस्तिक बनता है।


 उन्होंने बताया कि  श्रीमद्भागवत में एक नवीन मार्ग दर्शन कराया गया है । कई बार मनुष्य कहते हैं '' हम घर बार और धंधा नहीं छोड़ सकते हैं ''। ऐसे मनुष्यों को भागवत शास्त्र कहता है ''निराश न होना , सब कुछ छोड़कर जंगल में जाने कि जरुरत नहीं है। केवल जंगल में ही आनंद नहीं मिलता है। '' जीव सब प्रकार की प्रवृत्ति छोड़कर निवृत्ति में बैठता है तब भी मन में प्रवृत्ति के विचार आते हैं ।
आज कल लोग देह पूजा करते हैं । देव पूजा नहीं । जब से देह पूजा प्रारम्भ हुई है , देव पूजा बन्द हो गई है । कथाओं का श्रवण न करना इसका मुख्य कारण है।
श्री मद्भागवत शास्त्र का आदेश दिव्य है । गोपियों ने घर नहीं छोड़ा। उन्होंंने स्वधर्म का त्याग नहीं किया । वे वन में नहीं गयीं फिर भी वे भगवान को प्राप्त कर सकीं हैं।


श्रीमद्भागवत ऐसा मार्ग दर्शन करता है कि योगी को जो आनन्द समाधी में मिलता है । वह आनन्द जीव को कथा श्रवण में  प्राप्त होता है । कथा श्रवण से नेत्र और श्रोत्र दोनों  ही शुद्ध होते हैं । श्री मद् भागवत शास्त्र जीव को इसका ज्ञान प्राप्त करता है।           


शोभायात्रा रविवार को सुबह 11-30 बजे निकली जो   श्रीरामजानकी मन्दिर से शुरु होकर ,गेट नम्बर 1 होती हुई  कथा स्थल पर पहुंची। कलशयात्रा में 108 कलश एवम झाकिया थी। कलश पूजन देवी देवताओं की वेद मंत्रों  से पूजा की गयी, कलश यात्रा  में माधुरी मिश्रा ,किरण तनेजा, शिवा ,ललिता, सरिता,  लख्मी जेन, अनिता, सुनीता,  अंकिता शर्मा आदि उपस्थित थे।