विभिन्न बाधाओं और संकटों का
निवारण करता है पान
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पान भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग रहा है। धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से पान की महत्ता को नकारा नहीं जा सकता है। पान की उत्पत्ति समुद मंथन के बाद निकले अमृत से ही हुआ है। देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत को लेकर छीना झपटी में जो लार रूप में अमृत सागर के किनारे गिरा था, उसी से पान की उत्पत्ति हुई है। पान का तना होता है, जिसमें पते लगते हैं। पान में फूल और फल नहीं लगते। सिर्फ तने को काटकर दुबारा लगाया है। पान की खेती चौरसिया जाति के लोग भारत के विभिन्न भागों में करते हैं। पान की खेती में पवित्रता, शुद्धता का काफी ख्याल रखा जाता है। थोड़ी- सी भी अशुद्धता से पान की खेती नष्ट हो जाती है।
हिन्दू धर्म में पूजा पाठ के दौरान हर चीज का अपना अलग विशेष महत्व बताया गया है। पूजा के दौरान पान का भी उपयोग किया जाना जरूरी माना गया है। पान का धार्मिक महत्व होता है। जीवन में विभिन्न समस्याओं का समाधान कर कार्य सफल व आसान करने में भी पान की भूमिका बताई गई है। आइए,आप पान के महत्व को जान लें।
देवी-देवताओं की पूजा व विभिन्न शुभ कार्यों में इस पान का उपयोग किया जाता है।
मान्यता है कि जीवन में आ रही विभिन्न बाधाओं व संकटों को दूर करने के लिए मंगलवार व शनिवार को हनुमान जी को मीठा पान चढाया जाता है।
विध्न-बाधाओं को दूर करने के लिए गणेश जी को पान चढाना अतिशुभ माना गया है।
बुधवार को गणेश मंदिर में जाकर पान के साथ सुपारी व इलायची चढाने पर जीवन की समस्याओं का शीघ्र समाधान होने लगता है।
यदि वैवाहिक जीवन में तनाव है और आए दिन लडाई-झगडे की स्थिति रहती है तो गणेश जी को मीठा पान चढाया जा सकता है। इस उपाय से वैवाहिक जीवन में मिठास आएगी और तनाव दूर होगा।
घर में यदि नकारात्मक उर्जा हावी होने लगे और धन की कमी,अशांति हो व परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य भी खराब होता रहे तो घर के मुख्य द्वार पर साफ-सफाई के बाद पान के पत्तों को पूजा से अभिमंत्रित कर उन्हें टांग देना चाहिए।
इस उपाय से घर में सकारात्मक उर्जा आएगी और धन आने के रास्ते भी नजर आने लगेंगे व परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम भी बना रहेगा।
यदि आप किसी आवश्यक कार्य के लिए बाहर जा रहे हैं तो अपनी जेब में पान का एक पत्ता डालकर ही जाना चाहिए। पुरानी मान्यता है कि इस उपाय से कार्य में सफलता मिलती है।