** यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता समेत 21 अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज
नोएडा। यमुना विकास प्राधिकरण क्षेत्र में जमीन घोटालेबाज पर अब शिकंजा कसता जा रहा है। देर से ही सही , अब जांच की आंच में तेजी आती जा रही है।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने यमुना प्राधिकरण अथॉरिटी के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता सहित 21 अन्य लोगों ले खिलाफ कैस दर्ज किया है। उनपर मथुरा में बड़े पैमाने पर ज़मीन खरीदकर अथॉरिटी को करीब 126 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है। यूपी सरकार के कहने पर सीबीआई ने जांच शुरू की थी। पीसी गुप्ता को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।
ज्ञात हो कि यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में 126 करोड़ रुपये के घोटाले के सिलसिले में पुलिस ने इसके पहले एक तहसीलदार और पूर्व CEO पीसी गुप्ता गिरफ्तार करके जेल भेज चुकी है।
सीबीआई द्वारा केस दर्ज कर कार्रवाई करने से अब कई और अफसरों की गर्दन फंस सकती है। इससे अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है। अधिकारी अपनी गर्दन फंसने के डर से भयभीत हो रहे हैं। प्राधिकरण में जमीन खरीद की अभी कई और जांच चल रही है। जांच में इन सबकी कड़ियां जुड़ सकती हैं। प्राधिकरण में मथुरा जिले के साथ गौतमबुद्धनगर जिलों के कई गांवों में मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदी गई थी। यह जमीन क्यों खरीदी गई, इसकी जांच चल रही है।
बता दें कि कासना कोतवाली में तीन जून को 126 करोड़ के जमीन खरीद घोटाले में रिटायर्ड आईएएस पीसी गुप्ता समेत 21 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। पुलिस इस मामले में पीसी गुप्ता समेत कुल 5 लोगों को गिरफ्तार करके पहले ही जेल भेज चुकी है। इसके अलावा जांच के दौरान आरोपियों की संख्या 21 से बढ़कर 40 तक पहुंच चुकी है। इस प्रकरण में कोर्ट से 21 आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुए हैं, जिनमें से एक आरोपी अतुल कुमार सरकारी कर्मचारी हैं।
इसके अलावा पूर्व में तत्कालीन ओएसडी वीपी सिंह, तत्कालीन डीसीईओ सतीश कुमार सिंघल, तहसीलदार सुरेश शर्मा, रणवीर सिंह, मैनेजर प्लानिंग ब्रिजेश कुमार, नायब तहसीलदार चमन सिंह, लेखपाल पंकज कुमार के खिलाफ भी गैर जमानती वारंट हो चुके हैं। जिन 21 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट से गैर जमानती वारंट हुए उनमें से 20 लोग रिटायर्ड आईएएस पीसी गुप्ता व तत्कालीन ओएसडी वीपी सिंह के रिश्तेदार व परिवार के सदस्य हैं।