29 जनवरी को है सरस्वती पूजा, शुभ तिथि पर करें पूजा

बसंत पंचमी की तिथि व मुहूर्त और मां सरस्वती की पूजन विधि



बसंत पंचमी माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को कहा जाता है. 29 जनवरी 2020 को इस बार शुक्ल पंचमी मनाया जाएगा. पुराणों के अनुसार इस दिन ज्ञान, विद्या, बुद्धि और संगीत की देवी सरस्वती का आविभार्व हुआ था. इसलिए इस तारीख को श्रीपंचमी के नाम से प्रसिद्ध है. बंसत पंचमी का उल्लेख पुराणों में मिलता है. ऋग्वेद में के दसवें मंडल के 125 सूक्त में सरस्वती देवी के प्रभाव और महिमा का वर्णन किया गया है. पौराणिक ग्रंथो में बसंत पंचमी के दिन को बहुत शुभ माना गया है. इसके साथ ही इस दिन नया काम शुरू करना मंगलकारी माना जाता रहा है.


बसंत पंचमी पर्व तिथि व मुहूर्त


बसंत पंचमी – 29 जनवरी 2020


पूजा मुहूर्त – 10:45 से 12:35 बजे तक


पंचमी तिथि का आरंभ – 10:45 बजे से (29 जनवरी 2020)


पंचमी तिथि समाप्त – 13:18 बजे (30 जनवरी 2020) तक।


कैसे करें मां सरस्वती का पूजन : –


-हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाए जाने वाले इस त्योहार के दिन ही ब्रह्माण्ड के रचयिता ब्रह्माजी ने सरस्वती की रचना की थी।


-वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा करने के लिए सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखना चाहिए। इसके बाद कलश स्थापित करके गणेशजी तथा नवग्रह की विधिवत पूजा करनी चाहिए।


-माता सरस्वती की पूजा करें। सरस्वती माता की पूजा करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन एवं स्नान कराएं, इसके बाद माता को केसरिया फूल एवं माला चढ़ाएं। सरस्वती माता को सिन्दूर एवं अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिए।


वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों में गुलाल भी अर्पित किया जाता है। देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, अत: उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं।


-सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं। प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदी अर्पित करना चाहिए। इस दिन सरस्वती माता को मालपुए एवं खीर का भी भोग लगाया जाता है।


-सरस्वती माता के नाम से हवन करना चाहिए। हवन के लिए हवन कुंड अथवा भूमि पर सवा हाथ चारों तरफ नापकर एक निशान बना लेना चाहिए। इसे कुशा से साफ करके गंगा जल छिड़ककर पवित्र करने के बाद आम की छोटी-छोटी लकड़ियों को अच्छी तरह बिछा लें और इस पर अग्नि प्रज्वलित करें। हवन करते समय गणेशजी व नवग्रह के नाम से भी हवन करें।


-सरस्वती माता के नाम से ‘ॐ श्री सरस्वतयै नम: स्वाहा’ इस मंत्र से 108 बार हवन करें।


-हवन के बाद सरस्वती माता की आरती करें और हवन की भभूत मस्तक पर लगाएं। इस तरह पूजन करने से सरस्वती देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।