लखनऊ। यूपी पुलिस डिपार्टमेंट में आईपीएस प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह एक ऐसे शख्स हैं जिन्होंने साइबर अपराध की दुनिया में तमाम पेंचीदे मामलों को सुलझा कर देश और विदेश में अपना लोहा मनवा चुके हैं। कई अनसुलझे संगीन अपराधों का खुलासा कर तमाम पुरस्कारों को अपनी झोली में बटोर चुके त्रिवेदी सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार गणतंत्र दिवस के अवसर पर उनके सीने पर डीजीपी के हाथों सोने का तमगा सजेगा।
बलिया जिले के मनियर थाना अंतर्गत मुड़ियारी ग्राम निवासी 103 वर्षीय राममूर्ति देवी की कोख से जन्मे प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह वर्ष 1994 में पुलिस सेवा में आए। सेवाकाल के दौरान साइबर अपराधियों पर नकेल कसने वाले इस तेजतर्रार पुलिस अधिकारी को एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा प्रोफेसर की मानद उपाधि प्रदान की गई। तत्पश्चात राज्य सरकार ने इस पीएचडी धारक पुलिस अफसर के नाम के आगे प्रोफेसर लिखे जाने की संस्तुति दे दी है।
आईपीएस प्रो.राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित तमाम सेमिनारों में अपना व्याख्यान देकर चर्चा में आ चुके इस अधिकारी को नैसकाम व डीएससीआई द्वारा साइबर कॉप ऑफ इंडिया मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है। महामहिम राष्ट्रपति के हाथों इन्हें गैलेंट्री अवॉर्ड प्रदान किया गया है। प्रोफेसर की कुछ प्रमुख उपलब्धियों में 3700 करोड़ रुपए के पोंजी स्कीम, रेलवे परीक्षा पेपर लीक, जॉब पोर्टल, इंश्योरेंस फ्रॉड जैसे 100 से अधिक घटनाएं शामिल हैं, जिनका पर्दाफाश इस तेज तर्रार अधिकारी के हाथों हो चुका है। त्रिवेणी सिंह अपनी सेवाएं जनपद गौतमबुद्ध नगर में भी दे चुके हैं।