ऐतिहासिक शौर्य गाथा : तैमूरलंग को धूल चटानेवाले महान योद्धा थे महाबली जोगराज सिंह गुर्जर


नोएडा। 1398 में जब तैमूर लंग ने भारत पर आक्रमण किया था। उसके साथ करीब ढाई लाख घुड़सवारो की सेना थी, जिसके बल पर वो क्रूर हत्यारा निर्दोष लोगो का खून बहाते हुए तेजी से आगे बढ़ रहा था। पंजाब की धरती को लहुलुहान करने के बाद तैमूर ने दिल्ली का रूख किया और दिल्ली के शासक तुगलक को हराया।दिल्ली में लाखो निर्दोषो को मौत के घाट उतारकर उसने एक लाख लोगो को बंदी बनाया और उनका कत्लेआम किया। दिल्ली के पास ही स्थित लोनी उसका अगला निशाना था, लेकिन लोनी विजय उसके लिए काफी मंहगा साबित हुआ।


लोनी और उसके आस पास का क्षेत्र गुर्जर बहुल क्षेत्र था। यहाँ गुर्जर राज कर रहे थे। देश पर आंच आते देख क्षेत्र की सर्वखाप पंचायत के मुखिया पंचायत का आयोजन किया और महाबली जोगराज सिंह गुर्जर को सर्वसहमति से सेना की कमान सौंप दी। महाबली जोगराज गुर्जर उत्तर भारत के भीम कहलाये जाते थे और उनका कद 7 फीट 9 इंच था और वजन लगभग 300 किलो था ! महाबली के बारे में ये जानकारी आज भी खाप पंचायत के सदियों पुराने रिकॉर्ड में उपलब्ध है।


 महाबली को सर्वसम्मति से सेना प्रमुख घोषित करके युद्ध की घोषणा कर दी गयी। महिला सेना ने भी इस युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया और महिला सेना की कमान नवयुवती रामप्यारी गुर्जरी को दे दी गयी।



 तैमूर और महाबली का सबसे पहला युद्ध मेरठ में हुआ जहाँ वीरो ने तेमूर की सेना को सांस नहीं लेने दिया।महिला सेनिको ने रामप्यारी गुर्जरी के नेतृत्व में उनके ठिकानों पर गुरिल्ला युद्ध के माध्यम से रात को हमले बोले और उनके खाने की रसद और हथियारों को नष्ट करना शुरू कर दिया, जिससे घबराकर तैमूर अपनी ढाई लाख की सेना के साथ हरिद्वार की तरफ भाग गया।


हरिद्वार में तैमुर ने भयंकर तरीके से हमला किया जहाँ जोगराज गुर्जर की पंचायती सेना ने मुहतोड़ जवाब दिया। कई दिनों तक भयंकर युद्ध चला। युद्ध में तैमूर की ढाई लाख की सेना में से एक लाख साठ हजार को महाबली जोगराज गुर्जर की सेना ने काट डाला।
अपनी सेना को इतनी भारी मात्रा में मारे जाते देख तैमूर को युद्ध छोड़कर भागना पड़ा और पहाड़ी क्षेत्र से अम्बाला की तरफ सेना भाग गयी। वीरो ने अपनी जान देकर भी अपनी पवित्र भूमि को दुश्मनों से सुरक्षित कर लिया।


इस भीषण युद्ध में महाबली के लगभग 40 हजार योद्धा शहीद हुए। इसी भीषण युद्ध में तैमूर भी भाले के वार से घायल हो गया था। बताया जाता है कि इसी घाव की वजह से तैमूकी मौत उसके देश में हुई थी। महाबली जोगराज गंभीर रूप से घायल हुए और हरिद्वार के जंगलो में चले गये। उनकी म्रत्यु के बारे में किसी को ठीक से जानकारी नहीं है, लेकिन बताया जाता है कि हरिद्वार के जंगलो में ही इस योध्दा ने प्राण त्यागे। आगे चलकर इन्ही जोगराज गुर्जर के वंशजो की रियासत को गुर्जर रियासत कहा जाता था।