नई दिल्ली। कला के क्षेत्र में अपना परचम लहरा चुकी पश्चिम बंगाल की रहने वाली अपर्ना बनर्जी कला को आगे बढ़ाने के लिए "द आर्ट लान्ज" के माध्यम से लोगों में कला को निखारने का काम कर रही हैं। "द आर्ट लान्ज" की शुरुआत 2003 में की गई। "द आर्ट लान्ज" को स्थापित करने वाली अपर्ना बनर्जी बताती हैं कि कला के प्रति उनका प्रेम ने उन्हें ऐसे संस्थान को खोलने पर मजबूर किया औऱ आज वो इस काम के माध्यम से लोगों में प्रेरणा भरने का काम कर रही हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि इसका सिर्फ एक मकसद है कि कला को ग्रामीण स्तर से लेकर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना। ज्ञात हो कि अपर्ना एक कनटेंपररी कलाकार हैं जो कि भारत के तरफ से विश्वभर के कई देशों में आर्ट के क्षेत्र में देश का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने बताया कि कला एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा समाज पर प्रभावी असर पड़ता है। वह कहती हैं, "मेरा हमेशा से यही प्रयास रहा है कि कलाकारों के साथ सहयोग करूँ और एक ऐसा मंच प्रदान करूँ जहाँ हमारे समाज को कला की भाषा को समझने, प्रशंसा करने और प्रोत्साहित करने का मौका मिले। "द आर्ट लान्ज" केवल एक शौक के लिए नहीं ; यह एक अनुभव केंद्र है जहां कोई अपने आप को फिर से खोज सकता है। यह आपको अपने विचारों और विश्वासों को सार्थक तरीके से व्यक्त करना सिखाता है। ”
उन्होंने बताया कि "द आर्ट लान्ज" में आर्ट गैलरीज, आर्ट्स एंड क्राफ्ट क्लासेज, ड्राई पेस्टल, पेंटिंग क्लासेज, फाइन आर्ट्स के लिए वर्कसॉप, एडल्ड के लिए सेरेमिक पेंटिंग्स, पेंटिंग क्लासेज आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। उन्होंने बताया कि कला को सीखना और सिखाना ही हमारा लक्ष्य है औऱ हम जीवन प्रयंत इसमें लगे रहेंगे। उन्होंने बताया कि हाल ही में "द आर्ट लान्ज" ने कला को लेकर कई सारे कार्यक्रम का आयोजन किया। इस क्रम में बच्चों से लेकर बुजूर्गों तक के लिए समय समय पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि "द आर्ट लान्ज" सिर्फ स्कूल और कॉलेज के बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि महिलाओं और बुजुर्गों के लिए भी है। यहां कम उम्र के बच्चों से लेकर वयस्कों के लिए कला सत्र आयोजित किया जाता है। उनके छात्रों की आयु 3 वर्ष से लेकर 75 वर्ष तक के हैं, इसमें काम करने वाले पेशेवरों की एक विस्तृत श्रृंखला है जैसे - डॉक्टर, वकील समेत घरेलू महिलाएं भी सम्मिलित हैं।