चंचल चौरसिया की तरह साहसी होना होगा चौरसिया समाज की लड़कियों को, एके 47 लेकर चलती हैं चंचल
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कांस्टेबिल चंचल चौरसिया ने मजनुओं को एक सांस में और 27 सेकंड में 22 जूते मारकर देश में एक ही दिन में चर्चित हो गईं। उसकी वीडियो देखने वालों ने जमकर उनकी तारीफ की तो समाज ने फूल-मालाओं से लादकर उनका अभिनंदन किया।
महज 11 महीने पहले कांस्टेबिल पद पर ज्वाइन करने वाली चंचल बताती हैं, वर्दी के साथ पिता की हिम्मत और मां का संस्कार पहना है। पिता कहते हैं, न डरना, न हिम्मत हारना।
अयोध्या जिले के कादीपुर गांव निवासी किसान पिता राजेश चौरसिया और गृहणी मां उमादेवी की संतान 22 वर्षीय चंचल ने 2017 में बीएससी पास की। उनके पिता हर महिला पुलिस अफसर में अपनी बेटी देखते थे, इसलिए वर्दी पहनने का सपना पालकर चंचल ने सिपाही भर्ती की परीक्षा दी और पास हो गईं। उन्हें जनवरी 2019 में बिठूर थाने में तैनाती मिली। वह थाने की उन दो महिला हमराही सिपाहियों में हैं, जो एके-47 लेकर चलती हैं। चंचल कहती हैं, लोगों को सोचना चाहिए कि सभी की मां-बहन-बेटियां हैं। मां-बहन के संस्कार याद रखें तो न एंटी रोमियो स्क्वॉड की जरूरत होगी, न सबक की।
उल्लेखनीय है कि छेड़छाड़ की घटनाओं को लेकर एंटी रोमियो टीम की कांस्टेबल चंचल ने बीते दिनों चौराहे पर छात्राओं से छींटाकशी कर रहे शोहदे की जूतों से पिटाई कर दी थी। अखबारों में यह ख़बर सुर्खियां बटोरीं थीं। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। वह इससे इत्तेफाक नहीं रखतीं कि किसी को जूतों से पीटा जाए, लेकिन यह भी नागवार है कि लड़कियों को छेड़ा जाए, पुलिस की वर्दी का सम्मान न किया जाए। बकौल चंचल, शनिदेव चौराहे के पास छात्राओं, लड़कियों की लगातार शिकायत आ रही थी कि शोहदे वहां भद्दे कमेंट करते हैं। इन युवकों को कई बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्हें समझ में नहीं आई। जब मैंने पकडऩे की कोशिश की तो मुझसे भिड़ गया। पुलिस पर अभद्र टिप्पणी के बाद मुझे लगा हर बार केवल चेतावनी देकर नहीं छोड़ सकते हैं। सबक सिखाया जाना जरूरी है।
फिर क्या था, जो हुआ वह उससे अपनी दबंगता साबित कर दी।