औरंगाबाद ( बिहार )। बिहार के औरंगाबाद की धरती जो कभी गया जिले का पार्ट हुआ करता था, धार्मिक, आध्यात्मिक और राजनीति का एक बड़ा केंद्र रहा है।
आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन है तो पूरा देश उनके कृत्यों का नमन कर रहा है। बता दें कि एक अधिवेशन के सिलसिले में भाग लेने के लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस दाउदनगर के चौरम आश्रम में आये थे। आज भी इस आश्रम में नेताजी की यादें रची बसी हैं। इस ऐतिहासिक स्थल पर नेताजी को देखने वाले अनेक लोगों की आंखें हमेशा के लिए बंद हो गयीं है। परंतु , कुछ लोग अपने बाप- दादाओं के मुख से सुनी उनकी कहानी बताते हैं। गुलाम भारत के सन 1939 में 9 - 10 फरवरी दो दिन नेताजी ने यहां आश्रम में गुजारे थे।
यहां चौरम की ऐतिहासिक धरती पर किसानों , खेतिहर मजदूरों , स्वतंत्रता सेनानियों का चौथा विशाल सम्मेलन हुआ था, जिसमें शिरकत करने सुभाष चंद्र बोस का भी आगमन हुआ था। तब किसान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती ने सम्मेलन की अध्यक्षता की थी । चार दिनों तक चलने वाले इस सम्मेलन में संपूर्ण मगध के अलावा अन्य प्रांतों के क्रांतिकारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया था। तभी औरंगाबाद जिले के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी कुमार बद्री नारायण सिंह किसान नेता के रूप में प्रशिद्ध हुए थे ।
बताया जाता है है कि तब कोलकाता में नाई का काम करने वाले भिखारी ठाकुर के माध्यम से कुमार बद्री नारायण सिंह ने 1938 में एक निमंत्रण पत्र नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भेजा था। उस निमंत्रण को उन्होंने स्वीकार करते हुए नेताजी चौरम की ऐतिहासिक धरती पर पहुंचे थे। वे वेरेल से पावरगंज ( अब अनुग्रह नारायण रोड ) रेलवे स्टेशन पहुंचे और वहां से हाथी पर सवार होकर चौरम आश्रम पहुंचे थे। यहां नेता जी दो दिन रुके थे और यहीं से जवाहरलाल नेहरू को दो पत्र लिखा था। वह पत्र आज भी कोलकाता के संग्रहालय में मौजूद बताया गया है।