नोएडा। सीएए को कानून बने तकरीबन एक माह से ऊपर हो चुका है लेकिन विपक्ष द्वारा इसका विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। बल्कि गुजरते समय के साथ विपक्ष का यह विरोध "विरोध" की सीमाओं को लांघ कर हताशा और निराशा से होता हुआ अब विद्रोह का रूप अख्तियार कर चुका है।
शाहीन बाग का धरना इसी बात का उदाहरण है। अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए ये दल किस हद तक जा सकते हैं यह धरना इस बात का भी प्रमाण है। दरअसल नोएडा और दिल्ली को जोड़ने वाली इस सड़क पर लगभग एक महीने से चल रहे धरने के कारण लाखों लोग परेशान हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी सड़क पर इस प्रकार से धरने पर बैठे हैं कि लोगों के लिए वहाँ से पैदल निकलना भी दूभर है। लोग अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पा रहे, स्थानीय लोगों का व्यापार ठप्प हो गया है, रास्ता बंद हो जाने के कारण आधे घंटे की दूरी तीन चार घंटों में तय हो रही है जिससे नौकरी पेशा लोगों का अपने कार्यस्थल तक पहुंचने में असाधारण समय बर्बाद हो रहा है। जाहिर है इससे गाड़ियों में ईंधन की खपत भी बढ़ गई है जो निश्चित ही पहले से प्रदूषित दिल्ली की हवा में और जहर घोलेगी।
उधर, दिल्ली के शाहीनबाग इलाके में नागरिकता संशोधन अधनियिम(CAA) के खिलाफ प्रदर्शन करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिए है कि छात्रों की समस्याओं पर ध्यान दे। इससे कालिंदी कुंज में रोड ब्लॉक खत्म किया जा सके। हालांकि कोर्ट ने पुलिस को स्पष्ट रूप से कोई आदेश नहीं दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से सड़क खाली कराने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को इसमें दखल देने और कानून के अनुसार सड़क खाली कराने के आदेश दिए हैं।
सीएए व एनआरसी के विरोध में शाहीन बाग में चल रहे धरने ने लोगों की जिंदगी दुश्वार कर दी है। इस धरने के कारण लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। जो रास्ता पहले लोग 20-25 मिनट में तय करते थे उसे तय करने में एक तीन से चार घंटे लग रहे हैं।
लोगों का अधिकतर समय अब सड़कों पर बीत रहा है। एक तरफ जहां पुलिस-प्रशासन इस धरने को समाप्त करवा पाने में नाकाम साबित हो रहा है। वहीं, जाम को संभालने की बजाय यातायात पुलिस सड़कों से नदारद है। शुक्रवार को इस जाम के कारण पूरी दक्षिणी दिल्ली जैसे ठहर सी गई।