वैलेंटाइन-डे बनाम शहीदों का अपमान बनाम भारतीय संस्कृति पर हमला

नोएडा।  कहते हैं प्यार को खुदा से भी ऊपर का दर्जा प्राप्त है। जब प्यार किसी की जिंदगी में आता है तो उसकी जिंदगी के मायने ही बदल जाते हैं। अगर किसी को किसी से प्यार हो जाए तो उसे इजहार-ए-इश्क अवश्य करना चाहिए। 14 फरवरी को मनाए जाने वाले वैलेंटाइन-डे को लेकर युवाओ में काफी उत्साह बना हुआ है। हर कोई वैलेंटाइन डे का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।




युवाओं ने इसको मनाने के लिए फरवरी माह की शुरूआत से ही तैयारियां करनी शुरू कर दी थीं लेकिन पश्चिमी सभ्यता का प्रतीक वैलेंटाइन को मनाने में मशगूल युवा दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ सभ्यता को भूलता जा रहा है। इतिहासकारों की मानें तो 14 फरवरी के दिन ब्रिटिश अर्थात गोरों की सरकार ने देश को विदेशी जंजीरों से मुक्त करवाने का प्रयास कर रहे 3 जाबांज बहादुरों भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को फांसी की सजा सुनाई थी। यह कैसी विडम्बना है कि बच्चे, बूढ़े और युवा शहीदों की शहादत को याद करने की बजाय वैलेंटाइन-डे मनाने में मशगूल हैं।

युवा वैलेंटाइन-डे पर हजारों रुपए खर्च कर अपने प्रियतम को तो महंगे गिफ्ट प्रदान कर रहे हैं लेकिन भगत सिंह, राजगुरु तथा सुखदेव सिंह जैसे शहीदों व देशभक्तों की प्रतिमा पर पुष्प अॢपत करने के लिए उनके पास फूटी कौड़ी तक नहीं है। प्यार की आड़ में शहीदों की शहादत को भूलना भारतीय संस्कृति के विपरीत है।