नोएडा। जिस स्तर पर भारत में कोरोना वायरस फैला हुआ है, वह इस वायरस का सेकंड स्टेज है. भारत अगर अगले 30 दिनों में इस बीमारी को रोकने में सफल नहीं हुआ तो यह थर्ड स्टेज यानी तीसरे स्टेज में पहुंच जाएगा. ये खुलासा किया है देश के एक बड़े डॉक्टर और वैज्ञानिक बलराम भार्गव ने. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल) बलराम भार्गव ने चेतावनी दी है कि हर हाल में 30 दिन के अंदर कोरोना को काबू करना होगा.
देश के किसी भी इलाके में एक साथ कई सारे लोग इसकी चपेट में नहीं आ रहे हैं. देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसी संभावित खतरे पर आगे भी विराम लगाए रखना है. डॉ भार्गव ने कहा कि वायरस के संक्रमण के तीसरे चरण में लोगों में व्यापक स्तर पर वायरस का प्रसार होने लगता है. इसके बाद चौथा चरण आता है जब बीमारी महामारी का रूप धारण कर लेती है. तब इस पर काबू पाना बहुत कठिन हो जाएगा और नियंत्रण में आते-आते यह बड़ी तादाद में लोगों को शिकार बना लेगा.
भारत में भी संक्रमण 107 पहुंच गया है और दो लोगों की मौत हो गई है. यहां ध्यान वाली बात ये है कि भारत की आबादी 135 करोड़ से भी अधिक है, लेकिन फिर भी यहां संक्रमण बहुत ही कम फैला है, जबकि इटली जैसे छोटे देश में संक्रमण ने तबाही मचा दी है. इस समय इटली जैसा छोटा और विकसित देश कोरोना का नया वुहान बन गया है, लेकिन 135 करोड़ की आबादी वाले देश भारत में कोरोना वायरस नियंत्रण में है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि भारत ने बिल्कुल सही समय पर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एयरपोर्ट पर जांच शुरू कर दी थी. भारत ने शुरुआत से ही आइसोलेशन कैंप की व्यवस्था कर दी थी, ताकि विदेश से निकाले गए लोगों और अन्य कोरोना संक्रमित लोगों को आइसोलेशन में रखा जा सके। अब तक किसी भी संक्रमित शख्स ने सरकार पर उंगली नहीं उठाई है.
प्रख्यात अर्थशास्त्री स्वामीनाथन अय्यर ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर कोरोना वायरस का प्रकोप एक साल तक काबू में नहीं आया तो भारत बड़ी मुसीबत में फंस सकता है. वायरस पर काबू करने में लगने वाले वक्त के आधार पर अय्यर ने अर्थव्यवस्था को लेकर पांच संभावित परिदृश्यों पर चर्चा की है. उन्होंने कहा कि तीन माह के अंदर अगर कोरोना पर काबू पा लिया जाए तो ज्यादा नुकसान नहीं नहीं होगा. उन्होंने कहा, अगर हालात एक साल तक काबू में नहीं आया तो वित्तीय क्षेत्र भी प्रभावित होगा. दिवालिया होने वालों की तादाद बहुत बढ़ जाएगी. कई बैंकों के लिए कर्ज एक बेहद गंभीर मुद्दा बन जाएगा, क्योंकि कम इंट्रेस्ट रेट का फायदा उठाकर कॉर्पोरेट सेक्टर भारी मात्रा में कर्ज ले रहे हैं. उन्होंने कहा- सबसे बद्तर हालत तब होगी, अगर इसपर एक साल तक काबू नहीं पाया गया. अगर ऐसा हुआ तो कंपनियों के पास अपना लोन चुकाने के लिए पैसा नहीं होगा.
मेदांता मेडिसिटी के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहान ने कहा है कि खासी, सर्दी और जुकाम हो तो तुरंत अस्पताल में जाएं और अपना ब्लड और स्वाब टेस्ट कराएं ताकि पता चले कि कोरोना वायरस का संक्रमण है या नहीं. इसका कोई इलाज नहीं है लेकिन सपोर्टिव थेरेपी है. इसके माध्यम से फ्लूइड देकर बुखार को नियंत्रण में लाया जाता है या और भी कोई संक्रमण है तो उसका इलाज किया जा सकता है. अस्पताल में जल्दी पहुंचे तो ज्यादा चांस है कि सब ठीक हो जाएगा. उन्होंने कहा यह जानलेवा वायरस है, इसलिए लोगों को सलाह दी जा ही है कि इसको गंभीरता से लें. अगर कोई खांसी-बुखार से पीड़ित है तो उससे 2 मीटर तक दूरी बनाए रखें. खांसने या छींकने से यह वायरस फैलता है.
इससे दूसरे आदमी को भी संक्रमण हो सकता है. हाथ बराबर धोएं और आज के दिन हाथ मिलाना बिल्कुल बंद करें. नमस्ते करना ज्यादा अच्छा है जो हमारी पुरानी परंपरा है. अपनी सुरक्षा के लिए ये चीजें जरूरी हैं. अफवाह और डर के बारे में डॉ. त्रेहान ने कहा, ऐसा कोई डर नहीं होना चाहिए कि जिसे कोरोना वायरस हो जाएगा उसकी मौत हो जाएगी. इसकी दर अभी 3-4 प्रतिशत है लेकिन यह दर भी काफी ज्यादा है. इसलिए बीमारी को काफी गंभीरता से लेने की जरूरत है. हमारे पास सीमित लैब हैं जिनमें टेस्ट हो सकता है.