नई दिल्ली। मध्यप्रदेश की राजनीति चक्र में खुद अनाथ हो गए कमलनाथ। राजनीति सियासी पारा इतना ऊपर तक पहुंचेगा, यह उन्हें कतई विश्वास नहीं था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में गहरा संकट उत्पन्न हो गया है और कमलनाथ की सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की और इसके बाद कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा कि मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं और जैसा कि आपको अच्छी तरह पता है कि पिछले एक साल से यह मार्ग प्रशस्त किया गया है. आज भी मैं अपने राज्य और देश के लोगों की रक्षा करने के अपने लक्ष्य और उद्देश्य पर अडिग हूं. इस्तीफा पत्र पर तिथि नौ मार्च की है.
वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद कांग्रेस गुस्से में नजर आ रही है. कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने सिंधिया की तुलना जयचंद और मीर जाफर से की है. उन्होंने ट्वीट किया कि आने वाला वक़्त अपने स्वार्थों के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं के 15 वर्षों तक किये गये ईमानदारी पूर्ण जमीनी संघर्ष के बाद पायी सत्ता को अपने निजी स्वार्थों के लिए झोंक देने वाले जयचंदों - मीर जाफरों को कड़ा सबक सिखाएगा.
कमलनाथ के मंत्री जीतू पटवारी का इशारों-इशारों में सिंधिया पर हमला किया है. उन्होंने ट्वीट किया-एक इतिहास बना था 1857 में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की मौत से, फिर एक इतिहास बना था 1967 में संविद सरकार से और आज फिर एक इतिहास बन रहा है...- तीनों में यह कहा गया है कि हां हम है....