दरअसल नोएडा के गांव बिसरख में ही जन्मा था रावण, यहां रावण है धर्मात्मा

नोएडा। पूरा देश आज जहां रावण के पुतलों का दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मना रहा है, वहीं बिसरख गांव की तस्वीर थोड़ी जुदा है, यहां गायों के रंभाने और चिड़ियों की चहचहाने के बीच पौराणिक असुर राज के जीवन और शिक्षाओं का जश्न मनाया जाता है. यहां आज भी रावण बाबा हैं.


आज पूरा देश दशहरा पर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मना रहा है. हर गांव, हर नगर, हर शहर में रावण के पुतले जलाए जाएंगे, लेकिन बिसरख गांव ऐसा भी है जो मातम में डूबा है. यहां कोई जश्न नहीं मनाया जा रहा है. आखिर इस बात की वजह क्या है?


दरअसल यहां के लोगों का मानना है कि रावण का जन्म इसी गांव में हुआ था. गांव का नाम है बिसरख और ये गांव नोएडा में है.


पिछले कुछ दिनों में इस गांव को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है. अब इसे रावण के गांव के नाम से जाना जाता है. हालांकि ऐसा बीते एक दशक में ही हुआ है. इससे पहले तक यहां पहुंचना काफी कठिन था. गांव के आस पास आबादी कम थी और जंगल अधिक था. लेकिन अब चारों तरफ आबादी है.


नोएडा का विकास होने के बाद से लोग यहां पहुंचने लगे हैं. अब रामायण सर्किट में इस गांव को भी शामिल कर लिया गया है. चलिए आपको यहां की मान्यता के बारे में बताते हैं-


माना जाता है कि रावण के पिता महर्षि विश्रवा का आश्रम यहीं था. ये इलाका घने जंगल का था लिहाजा उन्होंने तपस्या के लिए इसी इलाके को चुना था. गांव में एक शिव मंदिर भी है. मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापता खुद महर्षि विश्रवा ने की थी.


यहां गांव के लोग रावण को रावण बाबा कह कर संबोधित करते हैं. कुछ वक्त पहले गांव के कुछ लोगों ने यहां रावण प्रतिमा स्थापित करनी चाही थी लेकिन विवाद हो गया था. इस गांव में ना तो दशहरा मनाया जाता है और ना ही रावण का पुतला जलाया जाता है.


बिसरख में रामलीला भी नहीं होती. बताते हैं कि एक-दो बार ऐसी कोशिश की गई थी लेकिन गांव में किसी का किसी की मौत हो गई. कुछ पुराने लोगों का दावा है कि 90 के दशक में यहां खुदाई भी कराई गई थी जिसमें एक प्राचीन शिव प्रतिमा व अन्य कुछ सामान निकला था.