चुनाव के खिलाड़ी जो जितने के बाद लौटकर नहीं आया

मथुरा। आजादी से लेकर अब तक ब्रजवासियों ने जितने भी सांसद चुने हैं, उनमें से वह मनीराम बागड़ी के बारे में सबसे कम जानते हैं। कहा जाता है कि चुनाव जीतने के बाद मनीराम बागड़ी फिर कभी वापस मथुरा नहीं लौटे, लेकिन ऐसा नहीं है, इस कहावत के पीछे की सच्चाई यह है कि उनका अपनी पार्टी के नेताओं से किसी तरह का कोई संबंध नहीं था।


1977 से 1980 तक मथुरा के सांसद रहे मनीराम बागड़ी के बारे में पद्मश्री मोहनस्वरूप भाटिया के पास संस्मरण हैं, जिन्हें वह अभी भी बेहद रोचकता के साथ सुनाते हैं। पद्मश्री भाटिया ने बताया कि जनता पार्टी की लहर में निर्वाचित सांसद मनीराम बागड़ी बहुत ही धाकड़ स्वभाव के थे। राजनैतिक क्षेत्र में नेता और मंत्री उनसे आतंकित रहते थे। कोई उनसे उलझना नहीं चाहता था। मथुरा के तत्कालीन पार्टी नेताओं का उनसे न पार्टी स्तर पर और नहीं निजी स्तर पर कोई संबंध था, अन्यथा वह मथुरा के लिए अपने दबाव से बहुत कुछ करा सकते थे।


मथुरा में उनका रासलीला आचार्य स्वामी रामस्वरूप शर्मा से संपर्क था। इन्हीं के कारण मेरा भी उनसे परिचय था। एक दिन वह मथुरा आने पर मेरे तिलक द्वार निवास पर पहुंचे और बिना संकोच कहा कि मुझे दाल रोटी खिलाइये। साथ ही बोले भाटिया जी बहुत अच्छे हैं लेकिन उनके घर का झीना बहुत खराब है। 

पद्मश्री भाटिया ने संसद भवन से जुडडा वाकाया सुनाते हुए कहा - एक बार मैं उनके साथ संसद भवन गया। वहां बाहर कोई सांसद बैठे थे। बागड़ी ने कहा कि यहां कैसे बैठे हो। इस पर उन्होंने कहाकि मेरे क्षेत्र के कुछ लोग संसद भवन देखने आये हैं। इनका पास बनना है। बागड़ी बोले तू एमपी है या चपरासी, चल मेरे साथ। यह कहते हुए वह सभी को अपने साथ ले गये। गलियारों में खडे सभी प्रहरियों ने उन्हें सलाम ठोका, किसी ने पास नहीं पूछा। इसके बाद बागड़ी एक कक्ष में गये। उन्होंने तेज आवाज में कहा कि कहां है बड़ ढोलकची। उनका आशय सूचना प्रसारण मंत्री और उप सूचना प्रसारण मंत्री से था। पीए ने उत्तर दिया कि मंत्री जी मीटिंग में गये हैं। बागड़ी ने वहीं से किसी मंत्री को फोन किया। पीए ने उत्तर दिया सर वह बाथरूम गये हैं। बागडी ने हरियाणवी बोली में कहा- बाथरूम में ही दे दै टेलीफोन।

पदमश्री मोहनस्वरूप भाटिया बोले- एक और वाकया याद आता है। यह बात 1977 की है। तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई डीग के जलमहल में आये थे। वहां ज्ञान दीप के बाल कलाकारों का होली कार्यक्रम हुआ था। कुछ महीने बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया कि प्रधानमंत्री अपने आवास पर बच्चों का कार्यक्रम देखना चाहते हैं। मैंने बागड़ी को सूचना देकर उनसे वहां पहुंचने का अनुरोध किया। कार्यक्रम शुरू होने से पहले बागड़ी, मोरारजी देसाई से हरियाणवी बोली में कहा- मैं तन्ने बुलावे से नहीं आया हूं, मेरे मथुरा के बच्चे आये हैं इसलिए आया हूं। इसी समय मैने बागड़ी से कहा कि बच्चों का रिजर्वेशन नहीं हुआ है। उन्होंने तुरंत ही कार्यक्रम की अग्रिम पंक्ति में बैठे रेल उपमंत्री शिवनारायण को आवाज लगाई, किन्तु वह नहीं आये। तब बागड़ी अपनी पर आकर जोर से बोले- ए शिब्बो इधर आ। इसके बाद रेल उपमंत्री तुरंत उठकर उनके पास आ गये। अगले दिन रिजर्वेशन तो हो गया, लेकिन गाड़ी में एक अतिरिक्त कोच लगाया गया था।