यदि आपने हनुमान चालीसा पढ़ा है तो उसकी एक चौपाई है-
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु । लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
इसके अर्थ से स्पष्ट है कि हनुमान जी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु अर्थात सूर्यदेव को मीठा फल समझ कर खा लिया था। इस पर बहुत सारा विवाद है। अगर इसका सही अर्थान्तर किया जाय तो हमारा पौराणिक संस्कृति ,साहित्य सटीक व वैज्ञानिक है।इसकी सत्यता देखें-
1 युग = 12000 वर्ष। 1 सहस्त्र= 1000 वर्ष । 1 योजन = 8 मील ।
अब तीनों को गुणा करें- युग × सहस्त्र ×योजन = पर भानु 12000× 1000×8 मील= 96000000 धरती से सूर्य की दूरी इतनी मील है।
विश्व के प्रमुख वैज्ञानिकी संस्था नासा के अनुसार सूर्य पृथ्वी से इतनी ही दूरी पर है। आप समझ सकते है कि वैज्ञानिक भी भारतीय पौराणिकता को स्वीकार किया है।भारतीय पौराणिक संस्कृति, दर्शन, साहित्य सब तथ्यों पर आधारित हैं। यह कोई जुमला नहीं है।