गौतमबुद्ध नगर सीट पर भाजपा के सियासी दांव, गृहमंत्री राजनाथ सिंह लड़ सकते हैं इस सीट पर चुनाव


नोएडा। लोकसभा चुनाव तारीख के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गलियारों में चुनावी माहौल गर्माता जा रहा है। वहीं सीटों को लेकर चुनावी चक्रव्यूह तैयार किए जा रहे हैं।
मौजूदा लोकसभा चुनाव में गौतमबुद्ध नगर सीट पर भाजपा को लेकर कई सियासी मिजाजें सामने आ रही है। जहां सपा- बसपा गठबंधन ने इस सीट पर अपने प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया है, वहीं भाजपा की तरफ से अभी तक फिगर साफ नहीं हो सका है कि यहां संसदीय सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा? कांग्रेस भी इस सीट पर अपनी जमीन तलाश रही है। फिलवक्त इस सीट पर डॉ महेश शर्मा सांसद है।
डॉ महेश शर्मा को यहां चुनाव लड़ाया जाएगा या उन्हें यहां से बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा, इस बात को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है।
माना जा रहा है कि गौतमबुद्ध नगर लोकसभा संसदीय सीट पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसी स्थिति में केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा को अपने गृह प्रदेश राजस्थान जाकर चुनाव लड़ना होगा। कयास लगाए जा रहे हैं कि डॉ महेश शर्मा को अलवर से चुनाव लड़ाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि गौतमबुद्ध नगर संसदीय सीट पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा, जेवर, खुर्जा, बुलंदशहर के भाग आते हैं। यहां तकरीबन 19 लाख मतदाता हैं, जिसमें 12 लाख ग्रामीण मतदाता हैं और शहरी मतदाताओं की संख्या 7 लाख है।
चूंकि इस सीट पर हमेशा जातिवाद को आधार बनाकर चुनाव लड़ा जाता है और इसी समीकरण को जोड़कर माहौल बनाया जाता है। इस सीट पर गुर्जर, जाट, राजपूत ब्राह्मण का वर्चस्व है, तो मुस्लिम आबादी भी परिणाम को उलट -पलट कर रखने का काबिल रखता है। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां पांचों सीट पर कब्जा किया था, जिसमें पार्टी के 3 विधायक राजपूत जाति से हैं जिसमें राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, विमला सोलंकी एवं धीरेंद्र सिंह शामिल हैं। उधर, इस सीट पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल भी टिकट पाने के लिए हाथ- पैर मार रहे हैं, किंतु सूत्र बताते हैं कि उन्हें यहां से नाउम्मीदें ही हाथ लगने वाला है। बहरहाल, भाजपा इस दांव में है कि सर्वे की बहुलता को यहां आसानी से भुनाकर केंद्रीय गृह मंत्री को यहां से चुनावी वैतरणी पार कराया जा सके।
उधर, डॉ महेश शर्मा के विरुद्ध पार्टी में अंदर अन्तर्घात की स्थिति और पार्टी के अंदर की रासाकस्सी को राजनाथ सिंह के बहाने दूर किया जा सकता है। ऐसे में पार्टी को एक सूत्र में बांधने के लिए राजनाथ सिंह को यहां जमीनी रूप देकर भाजपा के किले को मजबूत करने का सियासी दांव भी खेला जा सकता है।