कैसे बने महानगर के विकास का मैप, जब निगम की बैठकों में है गैप

न समय पर कार्यकारिणी बैठक और न समय पर बोर्ड बैठकों का हो रहा है आयोजन



गाजियाबाद । शहर के विकास का खाका नगर निगम खींचता है। महानगर में सफाई व्यवस्था हो या फिर हैंडपम्प का मामला हो,फैसला नगर निगम को ही लेना होता है। नगर निगम में फैसला कोई अधिकारी अकेले नहीं लेता हैबल्कि यहां 100 पार्षदों और एक मेयर का सदन मिलकर बाकायदा बोर्ड बैठक में तय करता है कि कौन सा प्रस्ताव शहर के विकास के लिए उपयोगी है और कौन सा प्रस्ताव शहर के विकास के लिए उपयोगी नहीं है। 


विकास की प्लानिंग अधिकारी भी तैयार करते हैं और पार्षद भी अपने वार्ड के विकास के लिए योजना तैयार करते हैं। लेकिन अधिकारियों की प्लानिंग और पार्षदों की योजना तभी सार्थक है जब समय से बोर्ड और कार्यकारिणी की बैठकें होंजब बैठकें ही सही समय पर आयोजित नहीं की जायेंगी तो फिर कैसे विकास के कार्यों को समय पर हरी झंडी दी जायेगीनगर निगम की ओर से कार्यकारिणी बैठक व बोर्ड बैठक के आयोजन को लेकर जो नियमावली बनाई गई हैउसका नगर निगम में खुलकर उल्लंघन हो रहा है। बता दें कि नगर निगम कार्यकारिणी प्रत्येक माह में एक बार होनी अनिवार्य है। कार्य का सम्पादन करने के लिए कार्यकारिणी समिति धारा-5 के अधीन निर्मित अन्य किसी समिति का अधिवेशन प्रति मास कम से कम एक बार होना अनिवार्य है।लेकिन नगर निगम में कार्यकारिणी की बैठक की बात की जाये तो ढाई माह से अधिक का समय बीत चुका हैलेकिन कोई कार्यकारिणी बैठक नहीं बुलाई गई है। ऐसे ही निगम बोर्ड बैठक को लेकर भी शासन के निर्देश हैं कि बोर्ड बैठकों का आयोजन कम से दो माह में एक बार किया जाना चाहिए। निगम कार्यों के सम्पादनार्थ प्रतिवर्ष कम से कम उसके 6 अधिवेशन होंगे तथा उनकी अंतिम बैठक और आगामी अधिवेशन की पहली बैठक के लिए निश्चित दिनांक के बीच दो माह से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए। बोर्ड बैठक की नियमावली को भी यहां पर चुनौती दी जा रही है। निगम की कार्यकारिणी और बोर्ड बैठकों के समय पर नहीं होने के चलते लंबे समय तक विकास कार्य ठंडे बस्ते में पड़े रहते हैं और नगर का विकास सिर्फ इंतजार में ही लंबित रहता है।