सब आंकड़ों की बाज़ीगरी खेल है

नई दिल्ली। यूनाइटेड नेशन्स से जुड़े एक संगठन ने अभी हैप्पीनेस इंडेक्स जारी की है। भारत का नंबर इसमें 140 है और बांग्लादेश 125वें नंबर पर है और पाकिस्तान 67वें नंबर पर है। यानी पाकिस्तान भारत के मुकाबले लगभग दोगुना हैप्पी देश है।
बांग्लादेश भारत के मुकाबले ज्यादा हैप्पी है तो फिर बंदों को इंडिया से बांग्लादेश जाना चाहिए। पर बांग्लादेश के बंदे भारत आ रहे हैं, क्या अनहैप्पी होने के लिए।
मुझे लगता है कि इस रिपोर्ट की एक प्रति बांग्लादेश बार्डर पर चेप देनी चाहिए, यह बताते हुए-प्यारे बांग्लादेशियों क्यों आ रहे हो इंडिया, बांग्लादेश में हैप्पी होने के चांस ज्यादा हैं। प्यारे बांग्लादेशियों तुम बांग्लादेश में ही ज्यादा खुश हो। यहीं रहो, देखो हैप्पीनेस इंडेक्स रिपोर्ट।
इस रिपोर्ट ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि पाकिस्तान वाले काहे सुधरने की सोचें, आंकड़ों के हिसाब से वह अभी भारत के मुकाबले दोगुना हैप्पी देश है। आंकड़ों को भ्रम यूं ही नहीं कहा जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का सबसे खुश देश फिनलैंड है, जिसकी इतनी पापुलेशन है कि दिल्ली में रोहिणी, करोल बाग और द्वारिका कालोनी की पापुलेशन मिला दें, फिनलैंड बन लेगा। दुनिया का सबसे पावरफुल देश हैप्पीनेस के मामले में 19वें नंबर पर है। इतनी मारधाड़, हूल-चौकड़ी सिर्फ 19 नंबर की हैप्पीनेस के लिए।
आंकड़ों से भरोसा उठना स्वाभाविक है।
पाकिस्तान आतंक में बिजी है, फिर भी भारत के मुकाबले दोगुना हैप्पी है।
आतंक में हैप्पीनेस के सूत्र छिपे हैं। आतंकी हैप्पी रहते हैं कि पाकिस्तान की खराब लाइफ से मुक्ति मिल जायेगी, जब मानव बम बनकर उड़ जायेंगे। पाक आईएसआई वाले हैप्पी रहते हैं कि आईएसआई के अफसर अपने बच्चों को विदेशों में पढ़ा सकते हैं। पाक आर्मी वाले खुश रहते हैं कि उन्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है, आतंकी उनकी जगह उनका काम कर रहे हैं। पाकिस्तान में पब्लिक खुश रहती है यह सोचकर कि जैसा भी है, यह वक्त बेहतर है, क्योंकि आने वाले हुक्मरान ज्यादा निकम्मे, ज्यादा आतंकी और ज्यादा भ्रष्ट होंगे। आम पाकिस्तानी एकदम वर्तमान में रहता है, अगले क्षण का भरोसा नहीं है, कब बम में उड़ जायें।
तो क्या करें पाकिस्तानी टाइप बन जायें, या बांग्लादेश टाइप।
पाकिस्तानी बनना बेकार है, आतंक मचाये बिना सच्चा पाकिस्तानी न हुआ जा सकता।