आग से जलता जंगल
नई दिल्ली। भारत में पेड़ों की कम होती संख्या और प्राकृतिक आपदाएं काफी समय से जानमाल के लिए खतरा बने हुए हैं। लेकिन इसके साथ ही एक अन्य समस्या जंगलों में लगने वाली आग भी है। इस आग से ना केवल जंगलों को नुकसान होता है बल्कि उसके आसपास स्थित घरों तक भी आग पहुंच जाती है।


द फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के अनुसार भारत के 49 फीसदी जंगलों पर आगजनी का खतरा है। भारत में जंगलों में आगजनी की समस्या उत्तराखंड से लेकर महाराष्ट्र तक है। द फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक देश में जंगलों में आगजनी की घटनाएं हर साल तेजी से बढ़ती जा रही हैं।

ग्लोबल फॉरेस्ट द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में आगजनी की घटनाओं में बीते 16 सालों (2003-2017) में 46 फीसदी की वृद्धि हुई है। ये घटनाएं महज दो साल (2015 से 2017) में 15,937 से बढ़कर 35,888 हो गई हैं। साल 2017 में जंगलों में आग लगने की सबसे ज्यादा घटनाएं मध्यप्रदेश (4,781), ओडिशा में (4,416) और छत्तीसगढ़ में (4,373) हुईं।

33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 23 में जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ी है। पंजाब में ये घटनाएं सबसे अधिक बढ़ी हैं। ये समस्या हरियाणा और राजस्थान में भी तीन से चार गुना तक बढ़ी है।

हर साल 550 करोड़ होते खर्च

डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट में कहा गया है कि जंगलों में लगने वाली आग के चलते भारत में हर साल 550 करोड़ रुपए खर्च हो जाते हैं। दिसंबर, 2017 में फॉरेस्ट मैनेजमेंट स्कीम की समीक्षा करने के बाद उसकी जगह फॉरेस्ट फायर प्रिवेंशन एंड मैनेजमेंट स्कीम को रखा गया।


क्या है कारण?

द फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार आगजनी की 90 फीसदी घटनाएं मानवीय गलती के कारण होती हैं। इसका शिकार हर साल 30.7 लाख हेक्टेयर जंगल होते हैं। ये समस्या उत्तराखंड, हिमाचल और घाटी के जंगलों में राष्ट्रीय चिंता का विषय बनी हुई है। वन विभाग की ओर जारी आंकड़े बताते हैं कि देश का 19.27 फीसदी हिस्सा ही जंगलों के हिस्से में आता है।