सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर 4 साल के लिए तैनात हैं आईपीएस अखिलेश कुमार चौरसिया
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एक बड़े नेक दिल और मददगार हैं श्री चौरसिया और चौरसिया समाज के विभूति भी हैं
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जनता के साथ पुलिस को मित्रवत व्यवहार रखने की सलाह देते हैं अखिलेश कुमार चौरसिया
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4 साल के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई में एसपी के पद पर तैनात आईपीएस अधिकारी अखिलेश कुमार चौरसिया समाज के गौरव व प्रेरणाश्रोत हैं। वे एक ऐसे शख्स हैं जो हमेशा किसी भी परेशान व्यक्ति की मदद करने में आगे रहते हैं। उन्हें एक नेक दिल इंसान कहा जाता है। वे उप्र से 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में एसपी और एसएसपी के पद पर तैनात रहे अखिलेश कुमार चौरसिया पुलिस के साथ-साथ जनता के साथ मित्रवत व्यवहार रखते रहे हैं। उनका कहना था कि पुलिस का व्यवहार सदैव मित्रवत होना चाहिए। महिला सुरक्षा को वे शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हैं।
आईपीएस अखिलेश कुमार चौरसिया जनता के बीच अपनी अच्छी छवि के कारण भी अक्सर चर्चा में बने रहे हैं। वे बेबी नाम से भी मशहूर हुए हैं।
एक घटना 22 दिसंबर 2016 की है, जब वह झांसी में तैनात थे। तब केंद्रीय मंत्री उमा भारती एक कार्यक्रम में झांसी आई थीं। जैसे ही उन्होंने अखिलेश कुमार चौरसिया को देखा तो उनके मुंह से अनायास निकला, तुम तो केवल बेबी लगते हो! कितनी उम्र है?
यह सुनते ही वे सकपका गए थे। यह खबर अखबार में सुर्खियां बनी थीं। वे खुद बताते हैं कि मेरे लिए यह पोजेटिव बात है कि मेरी उम्र कम लगती है।
1 मई 1983 को लखनऊ में जन्मे अखिलेश कुमार चौरसिया 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने लखनऊ में स्कूलिंग के बाद एनआईटी इलाहाबाद से बीटेक किया। 2005 में इंडियन आयल में इंजीनियर रहे। कुछ समय डीआरडीओ में भी रहे। लेकिन इन नौकरियों में इनका मन नहीं लगा। इसलिए 2006 में वे दिल्ली आकर सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की और 2009 में सबसे पहले आईपीएस में सिलेक्शन हुआ जिसमें 292 रैंक आई। ट्रेनिंग के बाद इनकी आजमगढ़, सीतापुर, आगरा में पोस्टिंग हुई। इसके बाद प्रतापगढ़ में एस पी रहे। शुरुआती दौर में इन्हें 1 साल के अंदर 6-6 तबादले झेलने पड़े।
उन्हें आगरा पीएसी के बाद एसपी औरैया बनाया गया। 5 महीने बाद एटीएस, एसपी के तौरपर आगरा भेजा गया। लेकिन वहां सिर्फ 1 दिन ही रह पाये। वहां एसपी एटीएस की एक ही पोस्ट थी। इसलिए एसपी इंटेलिजेंस आगरा बनाया गया। इसके बाद उनका ट्रान्सफर झांसी हो गया। इसके बाद सरकार बदलते ही उनका पोस्टिंग एटा कर दिया गया। फिर फैजाबाद जिले की कमान संभाली। वे एसपी और एसएसपी भी रहे।
वे जहां भी रहे जनता से सीधे जुड़े रहे। कई मौकों पर उन्होंने आम नागरिकों को मदद पहुंचाकर यश के भागी बने। वे बताते हैं कि ईमानदारी से बदनामी के सिवाय और कुछ नहीं मिलता।
चौरसिया समाज के युवाओं और खासकर छात्रों को उनके जीवन से सीख लेनी चाहिए। विषम से विषम परिस्थितियों में भी घबराना नहीं चाहिए। विषमताओं के बीच से ही आगे बढ़ा जाता है। जो संघर्ष के पथ पर आगे बढ़ता है वहीं सफलता को प्राप्त करता है। साथ ही अपना नाम और शोहरत को भी ऊंचाइयां देता है।