महासभा की घोषणा महासभा के गले की फांस बनी

 


नई दिल्ली। बिहार के सासाराम में अखिल भारतीय चौरसिया महासभा के गत राष्ट्रीय सम्मेलन में एक प्रस्ताव के तहत चुनाव लड़ने वाले चौरासिया नेताओं को महासभा देगी ₹200000 की घोषणा महासभा के पदाधिकारियों के लिए गले का फांस बन गया है। हालांकि महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अन्य प्रतिनिधियों ने इस तरह की घोषणा को सिरे से नकारते हुए इसे फर्जी बताया है। जबकि मीडिया के प्रतिनिधि दावा कर रहे हैं कि मंच से यह घोषणा की गई थी। अपनी इस घोषणा से चौरसिया महासभा के पदाधिकारी अब भाग रहे हैं। सवाल यह है कि जब चौरसिया महासभा के पदाधिकारियों द्वारा यह घोषणा नहीं की गई थी तो महासभा के पदाधिकारियों ने खुद अखबार के इस कथन को सोशल मीडिया पर अधिक से अधिक शेयर क्यों किया था?


अब चौरसिया समाज के जागरूक लोगों ने महासभा के इस खोखले घोषणा पर उंगली उठाना, आवाज उठाना शुरू कर दिया है। उनकी सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है।



सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे उक्त विषय पर महेश चौरसिया ने टिप्पणी की है कि यह सभी तथाकथित क्रीमिलियर वाले लोग हैं। इनको माला पहनाना बंद कीजिए, सब ठीक हो जाएगा।


वहीं राजन प्रतीक चौरसिया ने लिखा है कि जो हुआ गलत हुआ है। समाज की बदनामी के साथ धोखा, अपमान हुआ है। दुखद, शर्मनाक!


जनहित किसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामसुंदर दास चौरसिया ने  70 साल से चंदा वसूली पर प्रश्न खड़ा  किया है ?उन्होंने आरोप लगाया कि महासभा के पदाधिकारियों ने उन्हें दिल्ली बुलाया और उन्हें बताया कि वे एक अलग पार्टी बनाने का प्लान कर रहे हैं। वे समाज को बांटो और राज करो की नीति पर चल रहे हैं। उन्होंने उनसे चौरसिया समाज के लोगों को सावधान रहने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि दिल्ली बुलाकर उनके समय को बर्बाद किया गया।


श्याम सुंदर दास चौरसिया ने कहा कि इस समय जनहित किसान पार्टी से समाज के लोग चुनाव मैदान में हैं और समाज के ठेकेदार इन्हें सहयोग करने के बजाय नई पार्टी बनाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने फिर सवाल उठाया कि पहले पार्टी क्यों नहीं बनाई। जब एक पार्टी बन गई है, तो उसे सहयोग करें। उन्होंने कई महासभा चलाने और समाज को बांट कर गोलबंदी करने का भी आरोप लगाया।


उन्होंने यह भी आरोप मढ़ा कि भाजपा हमारी उम्मीदवारों का पर्चा खारिज करवा रही है। कुछ लोग समाज के बैनर तले भाजपा- भाजपा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज के लोग समाज के ठेकेदारों को चंदा देना बंद करें।


 एक अन्य व्यक्ति ने टिप्पणी की कि इसीलिए तो चौरसिया समाज पीछे है। केवल ये संगठन अपना अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। मेरा विचार है की अगर ये एक समाज के सच्चे सेवक हैं तो जितने भी संगठन चाहे महासभा हो या आदर्श वाले सभी अपने पदों की लालसा छोड़ कर संगठनो का विलय करे, वरना चौरसिया का कोई अस्तित्व वोट बैंक में नही रहेगा। यह आवाज हर मंच पर उठाईये।



  • बहरहाल, चौरसिया समाज से महासभा के लिए जो आवाज उठी है, वह दूर तक जाएगी, ऐसा संभावना है। ऐसा भी प्रतीत हो रहा है कि महासभा की किले अब ढह सकती है। चौरसिया समाज का महासभा के प्रति विश्वसनीयता पर काफी धक्का लगा है।