मिठाई को लेकर भ्रम ज़्यादा, नुकसान बेहद कम

नई दिल्ली। मिठाई नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाना लाजमी है। बच्चे तो बच्चे, जवान, बूढ़े, पुरुष, महिला सभी मिठाई के दीवाने हैं। मिठाई को लेकर भ्रम पैदा किया गया है कि मिठाई खाने शुगर होता है। कितने ही लोग डरकर चिनिया रोग के भय से मिठाई से  दूर रहते हैं। अलबत्ता, चिनिया रोग के मरीज मिठाई से खौफजदा रहते हैं। जबकि मिठाई कई मायनों में बहुत फायदेमंद भी है।



 आमतौर पर यह माना जाता है कि मोटापे, मुहांसे, पीसीओडी और मधुमेह का मुख्य कारण मीठा ही है, जबकि सच यह है कि अधिकतर समस्याएं जरूरत से ज्यादा कैलरी ग्रहण करने और न के बराबर शारीरिक श्रम करने से होती हैं। दरअसल, संतुलित मात्रा में मीठा खाना सेहत के लिए जरूरी है। बिना शक्कर के शरीर सही ढंग से काम नहीं कर सकता। तभी फलों का सेवन किया जाता है।



चीनी से हमें सीधे तौर पर ग्लूकोज मिलता है। कठिन शारीरिक श्रम के बाद हमें अपने शरीर में ऊर्जा का स्तर दोबारा संतुलित करने के लिए शर्करा की जरूरत पड़ती है, जो ग्लूकोज द्वारा मिलती है। इसीलिए कमजोरी महसूस होने की स्थिति में बीमार व्यक्तियों को या बहुत कठिन शारीरिक श्रम करने वाले लोगों को तुरंत पानी में ग्लूकोज घोलकर पीने की सलाह दी जाती है, ताकि उन्हें फौरन ऊर्जा मिल सके।



ग्लूकोज हमारे शरीर में एकत्र हो जाता है और जरूरत पड़ने पर ऊर्जा के रूप में शरीर को शक्ति देता है। दरअसल, जितना मीठा हम खाते हैं, वह सारा एकदम से ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होता है, बल्कि शरीर द्वारा संग्रहित कर लिया जाता है, जिसका इस्तेमाल बाद में हमारा शरीर ऊर्जा के लिए करता है।



जब शरीर को आवश्यक मात्रा में शर्करा की आपूर्ति नहीं हो पाती तो ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए हमारा शरीर मांसपेशियों का इस्तेमाल करने लगता है, जिससे महत्वपूर्ण प्रोटीन खत्म होने लगता है। इसलिए यह जरूरी है कि कठिन शारीरिक श्रम या कसरत करने से पहले थोड़ी-थोड़ी मात्रा में प्राकृतिक मिठास का सेवन किया जाए, ताकि शरीर में शर्करा की संतुलित मात्रा बनी रहे और आवश्यक प्रोटीन का इस्तेमाल शरीर को ऊर्जा देने के बजाए, मांसपेशियों की मरम्मत जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में किया जा सके।
कितना मीठा है जरूरी, क्या है सही मात्रा
अधिकतर लोग फीकी चाय या दूध पीकर यह मान लेते हैं कि उन्होंने चीनी के सेवन पर काबू पा लिया है, जबकि सच यह है कि चाय और कॉफी से ज्यादा चीनी अन्य खाद्य पदार्थों में पायी जाती है। मसलन, कोल्ड ड्रिंक की एक कैन में 10 चम्मच तक चीनी हो सकती है और एक चम्मच टोमैटो केचप में एक चम्मच चीनी हो सकती है, जबकि रोजाना की कैलरी गणना के अनुसार सिर्फ 5 से 10 फीसदी कैलरी ही हमें मीठे से मिलनी चाहिए।



मतलब यह है कि पुरुषों को रोजाना औसतन करीब 150 कैलरी शक्कर से लेनी चाहिए, जबकि महिलाओं को औसतन करीब 100 कैलरी शक्कर द्वारा लेनी चाहिए। हालांकि शर्करा की मात्रा किसी भी व्यक्ति की उम्र और रोजना किये जाने वाले शारीरिक श्रम पर भी निर्भर करती है। मसलन, बढ़ते बच्चों और खिलाड़ियों को ऑफिस में बैठकर काम करने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा शक्कर की जरूरत पड़ती है।

ऐसा बिल्कुल नहीं है कि मधुमेह रोगियों को शक्कर का सेवन एकदम बंद कर देना चाहिए। उन्हें रिफाइंड शुगर या सफेद चीनी के इस्तेमाल पर नियंत्रण रखना चाहिये। मल्टीग्रेन आटा, ब्राउन ब्रेड और ब्राउन राइस में प्राकृतिक रूप से शक्कर मौजूद होती है, इसलिए मधुमेह पीड़ितों को ऐसे पदार्थ खाने चाहिए, जिसमें फ्रुक्टोस यानी प्राकृतिक मिठास मौजूद हो। ऐसे रोगी डॉक्टरी सलाह पर संतुलित मात्रा में मीठे फल भी खा सकते हैं, जो न केवल शरीर में मीठे की कमी को पूरा करते हैं, बल्कि ऊर्जा के स्तर को भी बनाए रखते हैं।


इसके अलावा मीठे का एक महत्वपूर्ण कार्य किसी भी जख्म को भरने का भी होता है। इसलिए किसी सर्जरी या गंभीर चोट लग जाने के बाद डॉक्टर सेहतमंद मीठा, मसलन काफी मात्रा में फल खाने की सलाह देते हैं, ताकि शरीर में ऊर्जा का स्तर बना रहे और मांसपेशियों की मरम्मत जल्दी से जल्दी हो सके।  इसलिये डरे नहीं और मिठाई पर टूट पड़ें।