हिमांशी चौरसिया बनी सी .ए

हिमांशी चौरसिया ने ऑल इंडिया सीए परीक्षा में 47 वें रैंक हासिल कर किया चौरसिया समाज का नाम रौशन
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जीवन में वही व्यक्ति आगे बढ़ता है, जो अपने जीवन में कुछ कठोर निर्णय लेता है। कुछ लोगों के निर्णय उन्हें नई ऊंचाइयों तक ले जाते हैं तो कभी−कभी गलत निर्णय के कारण आपको सबकुछ शुरू से शुरू करना पड़ता है। लेकिन इसका तात्पर्य यह नहीं है कि हार के डर से व्यक्ति निर्णय लेना ही छोड़ दें। असमंजस की स्थिति में व्यक्ति किसी निर्णय पर नहीं पहुंचता और कुछ अच्छे अवसर उसके हाथ से छूट जाते हैं। इसलिए बाद में पछताने से अच्छा है कि आप खुद पर भरोसा करें और हिम्मत करके कुछ जटिल निर्णय लेना भी सीखें।


अपने जटिल निर्णय के कारण ही चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट C.A. परीक्षा परिणाम में All India 47 Rank प्राप्त कर हिमांशी चौरसिया सुपुत्री श्री रामबाबू  चौरसिया ने अपनी प्रतिभा को ऊंचाइयां दी है।


एआईआर-47 रैंक प्राप्त हिमांशी चौरसिया ने बताया कि परिवार में सभी सदस्य इंजीनियर हैं। यहां तक की मेरा भाई भी इंजीनियर है। इनसे कुछ अलग हटकर दिखाने की चाह के कारण मैंने सीए को चुना। हालांकि यह चुनौतिपूर्ण था, लेकिन मैंने उसे स्वीकारा। उसके बाद प्लानिंग से पढ़ाई की। सीनियर व माता-पिता ने गाइड भी किया।


उन्होंने यह भी कहा कि कई बार लगातार पढ़ाई को लेकर हिम्मत टूटती नजर आई, लेकिन सोचा कि थोड़ा समय बाकी है, निकल जाएगा। पांच माह तक तो लगातार 14 घंटे तक पढ़ाई की। उसके पिता की रामबाबू चौरसिया रेलवे में जॉब है। मां गायत्री गहिणी है। उसके 521 अंक आए है।


चौरसिया समाज के बच्चों को हिमांशी के गूढ़ बातों को स्मरण रखते हुए अपनी पढ़ाई में मन लगाना होगा। सफलता के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।