निशानेबाज पूजा चौरसिया एक अदद शूटिंग राइफल तक मोहताज़

प्रतिभावान निशानेबाज खिलाड़ी पूजा चौरसिया के जज़्बे में है दम, पर राइफल तक का हैं मोहताज़
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खेल को बढ़ावा देने के साथ खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए स्टेट और सेंट्रल गवर्नमेंट प्रयास तो कर रही है, लेकिन आज भी कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनका कैरियर अभाव के चलते दम तोड़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में ऐसी ही एक खिलाड़ी हैं महिला निशानेबाज पूजा चौरसिया।


चौरसिया  समाज के ठेकेदार बने वैसे संगठनों के लोग जो चौरसिया समाज के उत्थान की बड़ी-बड़ी बातें मंच से करते हैं लेकिन चौरसिया समाज के प्रतिभावान खिलाड़ियों के प्रति उनकी नजरिया अस्पष्ट देखने को मिल गई है।  जहां चौरसिया समाज के संगठन के लोग अपनों -अपनों को " चौरसिया समाज रत्न " की उपाधि से विभूषित कर रहे हैं, वहीं चौरसिया समाज के प्रतिभाशाली खिलाड़ी उपेक्षित हैं। चौरसिया समाज के ऐसे समाजसेवी की भी आंखें नहीं खुल रही है जो सिर्फ और सिर्फ कुछ लोगों की संगठन की जागीर  बन गई है। वैसे, देश दुनिया में शोहरत बटोर रहे प्रतिभासंपन्न चौरसिया समाज के बच्चे ही चौरसिया समाज रत्न के असली हक़दार हैं।  लेकिन लालची समाज के लोग अपने ही लोगों को चौरसिया रत्न की नकली उपाधि देकर समाज में गंध फैला रहे हैं।
राइफल की मोहताज
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तमाम राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में उधार की राइफल से स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक पर निशाना साधने वाली निशानेबाज पूजा चौरसिया एक अदद राइफल की मोहताज हैं। कई राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में सफलता का परचम लहरा कर उत्तर प्रदेश का नाम रोशन करने वाली राष्ट्रीय स्तर की 50 मी0 .22 बोर पीप साईट राइफल की रेनॉउण्ड शॉट निशानेबाज बनारस की इस बेटी के पास इतने पैसे नहीं है कि वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी अामद दर्ज कराने के लिए एक राइफल खरीद सकें।


ठीक नहीं है घर की माली हालत
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पूजा की आर्थिक स्थिति कुछ खास नहीं हैं। पूजा के पिता पान बेचते हैं। उनकी इतनी आमदनी नहीं है कि घर का खर्च भी ठीक से चल सकें, ऐसे में पूजा और उनकी बहन मिलकर घर का खर्च वहन करती हैं।


बड़ी बहन से साझा की मन की बात
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पूजा ने बताया, मैंने स्कूल में एनसीसी ली थी उसमें शूटिंग सिखाई जाती थी। एनसीसी से मैं प्री नेशनल तक खेलने गई हूं। उसके बाद एनसीसी खत्म हो गई। मुझे शूटिंग शौक हो गया। मुझे लगा कि मैं शूटिंग को अपना कैरियर बना सकती हूं। फिर मुझे पता चला कि बनारस में राइफल क्लब है जहां पर शूटिंग सीखाई जाती है। वहां जा कर पता चला की शूटिंग काफी महंगा खेल है। एनसीसी में हम लोंगों का एक पैसा नहीं लगता था। मुझे लगा कि अब मैं कभी शूटिंग नहीं कर पाऊंगी, क्योंकि पापा की इतनी इनकम नहीं कि वह पूरी तरह से मेरी सहायता कर सकें। ये बात अपनी दीदी से शेयर की तो दीदी ने कहा की मैं सपोर्ट करूंगी, तुम शूटिंग करो।


कोच ने आगे बढ़ने की प्रेरणा दी
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पूजा ने कहा, राइफल क्लब में मुलाकात पंकज श्रीवास्तव सर से हुई। उन्होंने मुझे शूटिंग में आने के लिए प्रोत्साहित किया। मुझे सीखाने के लिए तैयार हो गये। राइफल क्लब में मैनें वार्षिक सदस्यता लेकर सीखना शुरू कर दिया। क्लब की राइफल से खेल कर मैं राष्ट्रीय स्तर की शूटर बन सकी। बताया कि क्लब की राइफल से कई शूटर्स प्रैक्टिस करते हैं, इस लिये प्रैक्टिस का काफी कम वक्त मिल पाता है। राइफल भी अक्सर खराब भी रहती है। कोच सर के कहने से मैंने एयर राइफल की भी प्रैक्टिस शुरू कर दी जिसमें मैं प्री नेशनल के लिए क्वालीफाई कर लिया। दो पदक भी हासिल किये। कहा, राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कोच सर कहते हैं कि अपना वेपन होना जरूरी है क्योंकि कम्पटीशन काफी कठिन है। पूजा ने विश्वास जताया कि यदि उन्हें .22 बोर की राइफल, कारतूस, एयर राइफल और पर्याप्त छर्रे मिल जायें तो 2 वर्ष के भीतर वह अंतराराष्ट्रीय शूटिंग में अपने जिले, राज्य व राष्ट्र का नाम गौरवान्वित करेंगी।


उपलब्धि पर एक नजर
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:- 9वीं प्री यूपी स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप के .22 बोर पीप साइट राइफल प्रोन में रजत पदक व थ्री पोजीशन में कांस्य पदक।


:- 41वीं यूपी स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप में रजत पदक। प्री नेशनल नार्थ जोन प्रतियोगिता, देहरादून में भाग लिया और राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियनशिप प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई किया।


:- केरल में आयोजित राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियनशिप में भाग लिया और रेनॉउण्ड शॉट ख्यातिप्लब्ध शूटर बनीं।


:- वर्ष 2019 में इटावा में आयोजित 11वीं प्री स्टेट में व्यक्तिगत रजत पदक व टीम इवेंट में भी रजत पदक।


:- मेरठ में आयोजित 42वीं यूपी स्टेट शूटिंग चैम्पियनशिप में 50 मी0 .22 बोर पीप साइट राइफल थ्री पोजीशन में व्यक्तिगत, टीम को रजत पदक, 10 मी0 .177 बोर पीप साइट एयर राइफल में व्यक्तिगत रजत व टीम स्पर्धा में स्वर्ण के साथ कुल चा पदक पूजा ने हासिल किया है।