आप खुद आगे बढ़ें और चौरसिया समाज को भी आगे बढ़ाएं

इसी का नाम जिन्दगी है


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समुद्र के किनारे जब एक लहर आया तो एक बच्चे का चप्पल ही अपने साथ बहा ले गया। बच्चा रेत पर अंगुली से लिखा "समुद्र चोर"  है।
 उसी समुद्र के एक दूसरे किनारे कुछ मछुआरे बहुत सारे मछली पकड़ लेते हैं।  वह उसी रेत पर लिखता है "समुद्र मेरा पालनहार है।"
 एक युवक समुद्र में डूब कर मर जाता है। उसकी मां रेत पर लिखती है "समुद्र हत्यारा है।"
 एक दूसरे किनारे एक गरीब बूढ़ा टेढ़ी कमर लिए रेत पर टहल रहा था। उसे एक बड़े सीप में एक अनमोल मोती मिल गया। वह रेत पर लिखता है "समुद्र दानी है।"
 अचानक एक बड़ी लहर आती है और सारे लिखा मिटा कर चला जाती है।



लोग जो भी कहें समुद्र के बारे में लेकिन विशाल समुद्र अपनी लहरों में मस्त रहता है।
अपने उफान और शांति वह अपने हिसाब से तय करता है।
  अगर आपको जो करना है अपने हिसाब से करें। जो गुजर गया उसकी चिंता में ना रहे। हार जीत, खोना पाना, सुख-दुख, इन सबके चलते मन विचलित ना करें।
 अगर जिंदगी सुख शांति से ही भरा होता तो आदमी जन्म लेते समय रोता नहीं।
जन्म के समय रोना और मरकर रुलाना इसी के बीच के संघर्ष भरा समय को जिंदगी कहते हैं।


आप अपने बच्चों को संघर्ष करने का पाठ पढ़ाएं। उसे आगे बढ़ने, लक्ष्य तय करने का सीख दें। चौरसिया समाज आज भी पिछड़ा हुआ है, क्यों? क्योंकि हम अपने बच्चों को सही मार्गदर्शन नहीं करते। बच्चे कुम्हार के कच्चे घड़े जैसे होते हैं। उसे जैसे चाहे आकर दे सकते हैं। समाज के कुछ लोगों ने अपने बच्चों को सही सीख, अच्छी तालीम देकर कामयाब बनाया है। अभी बहुत आगे बढ़ना है। अभी बहुत बच्चोँ को कामयाब बनाना है। जो लोग आगे बढ़ गए हैं, उन्हें समाज के लिए बहुत काम करने की जरूरत है। एक बच्चे की यदि आप मदद कर तरक्की का इतिहास सृजित करने में आगे आते हैं, तो हमारे समाज का बहुत भला होगा। समाज की कमियों को मत ढूंढिए, उसके समाधान का हिस्सा बनिये। फिर देखिए, चौरसिया समाज कैसे शिखर पर अपनी दबदबा कायम करने में कामयाब हो जाएगा।