दारोगा पद पर चयनित हुए शिवकरन चौरसिया

चौरसिया समाज के गौरव बने
शिव करन चौरसिया का हुआ दारोगा पद पर चयन
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कौन कहता है कि बुने हुए ख्वाब सच्चे नहीं होते,
मंजिलें उन्हीं को नहीं मिलती, जिनके इरादे अच्छे नहीं होते,
रूखी-सूखी रोटी और धक्के तो बहुत खाए हैं जिंदगी में मैंने,
  लेकिन आज देख रहा हूँ कि सफलता के फल कभी कच्चे नहीं होते।


चौरसिया समाज के आन, बान और शान बनते प्रतिभाशाली युवकों ने आज अपनी मिशालता को ऊंचाइयां दे रहे हैं। एक नए पीढ़ी के लक्ष्य को बेधते ये समाज के बच्चे अपने बुजुर्गों को सीख भी दे रहे हैं, कि बातों में क्या रखा है! अब सारी उर्वरता समाज को आगे बढ़ाने, विकास के राही बनने में खर्च करें। साथ ही समाज के बच्चों को भी बड़ी सीख दे रहे हैं कि पूरी ताकत सफलता की ईबादत में खर्च करो और अपनी जीत सुनिश्चित करो। जो बच्चे इस सीख को अपना रहे हैं, वे अपनी क़ामयाबी का परचम भी लहरा रहे हैं।



हां, 20/9/2019 को उप्र पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड द्वारा घोषित रिजल्ट में शिवकरन चौरसिया सुपुत्र श्री राम आसरे चौरसिया ग्राम /पोस्ट -सूर्यभान पट्टी,जिला -सुलतानपुर उप्र निवासी को दारोगा बनने का सौभाग्य हाथ लगा है। मध्यम  वर्ग परिवार से सम्मानित शिवकरन चौरसिया लक्ष्य के साधक रहे हैं।  उनके पिता जी और दो ज्येष्ठ भ्राता मुम्बई में अपना व्यावसाय करते हैं। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा (6-12)-श्री बजरंग विद्या पीठ इन्टर काँलेज, देवलपुर (सहिनवाँ), सुलतानपुर में तथा  उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुआ जहां उन्होंने अपनी प्रतिभा का धाक जमाया।
2011 में शिवकरन का  चयन प्रशिक्षित स्नातक (T. G. T.) तथा प्रवक्ता पद पर हुआ। वर्तमान में वे गाँधी स्मारक इन्टर काँलेज दोघट, बागपत में प्रवक्ता हिन्दी पद पर कार्यरत हैं।
यह वही गांव हैं जहां आईएएस, जजों का बोलबाला है। जहां सिर्फ कंपटीशन एक दूसरे से आगे बढ़ने के लिए होता है। यहां छात्रों की तैयारी भी इसी होड़ से होती है। यह सुखद बात है। चौरसिया समाज के बच्चे हर गांव में यह फार्मूला अपना लें तो चौरसिया समाज को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है।