दशकों पुरानी आबादी तोड़े जाने को लेकर किसानों ने प्राधिकरण को घेरा








आज दशकों पुरानी गांवों की पुश्तैनी आबादी तोड़ने के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) और भारतीय युवा निर्माण संगठन के आह्वान पर किसानों ने सेक्टर-6 स्थित नोएडा प्राधिकरण दफ्तर पर जोरदार प्रदर्शन कर धरना दिया। इसमें क्षेत्र के 81 गांवों के हजारों किसान शामिल थे। गुस्साए किसानों ने कहा कि सरकार और प्राधिकरण अधिकारी सचेत हो जाएं और अन्याय बंद करें, अन्यथा वे करारा जवाब देंगे। हालांकि, पहली बार किसानों के प्रदर्शन को देखकर प्राधिकरण कर्मचारियों की समय से पहले छुट्टी करने का समाचार मिला है।


पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत शुक्रवार की सुबह ही बड़ी संख्या में भाकियू टिकैत के कार्यकर्ता और नोएडा अधिसूचित क्षेत्र के 81 गांवों के किसान नोएडा प्राधिकरण की ओर कूच किए। वे ट्रैक्टर ट्रालियों पर सवार थे और कुछ पैदल ही चल रहे थे। किसानों अपने साथ गाय-भैंस भी लाए थे। किसानों का हुजूम देखकर नोएडा प्राधिकरण में हड़कंप मच गया है। पुलिस ने कार्यालय को खाली करवा दिया है। चारों तरफ से पुलिस बल को तैनात किया गया है। किसानों के प्रदर्शन की वजह से यातायात पर भी असर पड़ा। मौके की नजाकत को देखते हुए खुद एसएसपी ने सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाली।


प्रदेश प्रवक्ता पवन खटाना ने बताया कि 1956 में देश में चकबंदी हुई। उस समय ही जो भूमि आबादी में दर्ज हुई, वही आज तक है। वर्ष-1984 में जो चकबंदी हुई, उसमें कोई आबादी दर्ज नहीं हुई। सब खेत दर्ज है। अब प्राधिकरण के अधिकारी उसे तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि ये आबादी 40-50 साल पुरानी है। उन्होंने कहा कि वर्ष-1956 से अब तक आबाद में तीन से चार गुना बढ़ोत्तरी हो गई। अब ये बसेंगे कहां। कहां रहेंगे। उन्होंने कहा कि घर, खेत हमारा तो हम अवैध कैसे हुए। उनकी जमीन पर पूरा शहर बस गया और अब प्राधिकरण उन्हें ही उजाड़ने पर तुला है। उन्होंने अफसरों और सरकार को चेताया कि जब तक आबादी के मसले का निस्तारण नहीं होगा, वे एक भी ईंट नहीं गिरने देेंगे। अगर कोई ऐसी हिमाकत करेगा तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में कोई अवैध है तो उसे तोड़ने में उन्हें भी कोई ऐतराज नहीं, लेकिन उसके पहले आबादी का निस्तारण जरूरी है।