संतोष कु. चौरसिया ने असफलताओं से की सफलता की राह आसान, बन गए दारोगा

" अपने जीवन में जो संघर्ष को अपनाता है,
वही मुक़द्दर का सिकंदर कहलाता है।
संघर्ष ही वो हथियार है दोस्तों,
जो एक इंसान को उसकी पहचान दिलाता है।। "


हम बात कर रहे हैं एक ऐसे शख्स की जो अपने पक्के इरादों से  मुसीबतों के पहाड़ को अपने लिए झुका लिया। जी हां, चौरसिया समाज के युवक संतोष कुमार चौरसिया ने पिछले माह घोषित दारोगा के पद पर इसी जनून से सफल हुए हैं।
संतोष कुमार चौरसिया ने अपने जीवन मे संघर्ष के महत्व को जाना, समझा और सफलता के लिए मुकाम बनाने के लिए खड़े हो गए। फिर उन्होंने हर बाधाओं से लड़ते हुए आखिरकार दारोगा बनने के सपने को साकार कर दिखाया।
संतोष के पिता जनार्दन प्रसाद चौरसिया का साया बचपन काल में ही उनके उपर से उठ गया था। फिर संतोष के बड़े भाई अमरनाथ चौरसिया ने हर तरह से इनका साथ दिया और हौसला अफ़जाई करते रहे। एक छोटी- सी कपड़े की दुकान से उन्होंने खर्च जुटाया और संतोष को आगे बढ़ाने में लगे रहे।
1 अक्टूबर 1985 को ग्राम परसिया, गड़वार, जिला बलिया यूपी में जन्मे संतोष कुमार चौरसिया ने इंटर तक कि शिक्षा स्थानीय एस बी इंटर कॉलेज बेल्थरा रोड़ बलिया से की। फिर ग्रेजुएशन करने इलाहाबाद ( अब प्रयागराज ) आ गए।  उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। हिस्ट्री से इन्होंने  नेट क्वालीफाईड किया।वे प्राइमरी के सहायक भर्ती परीक्षा में टेट व सुपरटेट पास किया। पर अभी यह न्यायालय में लंबित मामला है। फिर दारोगा भर्ती परीक्षा में वे उतीर्ण घोषित हुए हैं।



संतोष चौरसिया ने बात करते हुए बताया की उन्होंने जीवन में काफी असफलताओं का दौर देखा है। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारा।
संतोष कुमार चौरसिया को सहयोग के रूप में केदारनाथ चौरसिया, अमरनाथ चौरसिया, संजय चौरसिया ( IRS ), अमित चौरसिया  ( लेखपाल ), विजय बहादुर चौरसिया व बीरन चौरसिया का योगदान रहा।