बादल तो सबको आंख दिखाकर चले गए ..... कवि बाबा कानपुरी

 ** बादल तो सबको आंख दिखा कर चले गए


रायबरेली। राष्ट्रीय कवि संगम रायबरेली इकाई द्वारा  सतांव रायबरेली में एक काव्य संध्या का आयोजन नोएडा जिला गौतम बुद्ध नगर से पधारे हास्य कवि बाबा कानपुरी के सम्मान में किया गया,  जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि डॉ. देवी बख्श सिंह वैस ने की। 
मंच संचालन करते हुए ओज के युवा  कवि नीरज पांडे ने  कहा बाबा कानपुरी की जन्मभूमि ग्राम-झूलपुर, जिला रायबरेली है और हास्य कवि के रूप में उन्हें पहचान कानपुर से मिली। उनकी कर्मभूमि देश का बड़ा औद्योगिक नगर नोएडा है जोकि आवासीय दृष्टि से भी जो आज आदर्श  नगर के रुप में जाना जाता है। जिसे उन्होंने अपनी साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधियों से एक राष्ट्रीय पहचान दिलाई है।
वह एक प्रतिष्ठित हास्य कवि ही नहीं गीत' ग़ज़ल और कविता की अन्य विधाओं में भी उनका पूरा दखल है।
         काव्य गोष्ठी का शुभारंभ कवि कुमार सुरेश ने अपने प्रेरक गीत से किया----


जिंदगी सार्थक तेरी हो जाएगी, 
मन के आंगन को कोई बुहारे अगर।
हो जो संकल्प दृढ़ता का दिल में जरा 
अग्नि के ताप से स्वर्ण निकले खरा ।
फाड़कर खंभ नृसिंह निकल आएगा
बनके प्रहलाद कोई गुहारे अगर।


नीरज पांडे ने गीत के साथ कुछ छंद भी सुनाए। जिन्होंने सभी का मन मोह लिया। 'पिता' पर उनका यह छंद बहुत सराहा गया----


जिंदगी में जिम्मेदारियों को जीता रहता है, बेटे- बेटियों का अरमान होता है पिता।
भूमि से भी भारी मां हमारी होती है जहां में, और आसमान से महान होता है पिता।।


सतांव के वरिष्ठ कवि निर्मल प्रकाश श्रीवास्तव ने भी कई सुंदर गीत प्रस्तुत किए। एक गीत की कुछ पंक्तियां-----


बाहर से जितना जुड़ते हम, भीतर उतना टूटे हैं। विष के व्यापारी क्या जाने, अमृत घट क्यों फूटे हैं।।


काव्य पाठ के इस क्रम में हास्य कवि बाबा कानपुरी ने महानगरीय विसंगतियों पर कुछ दोहे सुनाए। उन्होंने कहा---


खाने पर प्रतिबंध है, सम्मुख छप्पन भोग।
उन्हें खिला सकते नहीं,भूखे हैं जो लोग।।


 उनकी ग़ज़ल की भी भरपूर सराहना की गयी---- 
नज़रें ज़मीन पर हैं कदम आसमान पर 
यूं हम भी मेहरबान हैं उस मेहरबान पर।


बादल तो सबको आंख दिखाकर चले गए
मौसम की गाज गिर गई बूढ़े किसान पर।


अपने अध्यक्षीय काव्य पाठ में डॉक्टर देवी बख्श सिंह बैस ने गीत ग़ज़ल के कई रंग प्रस्तुत किए। उनका यह मुक्तक बहुत पसंद किया गया---


 दर्द में भी प्रिय मुस्कुराते चलो, प्रीत के मीत दर्पण दिखाते चलो।
जिंदगी के सफर का भरोसा नहीं, आखिरी लौ तलक गुनगुनाते चलो।।


कार्यक्रम में युवा कवि पंकज शर्मा, विज्ञान रत्न, अनुपम शर्मा, राजेश शर्मा आदि की उपस्थिति सराहनीय थी। 


फोटो : कविता पाठ करते हुए बाबा कानपुरी बांये से निर्मल श्रीवास्तव,डा बैस,
बाबा कानपुरी,नीरज पांडेय, कुमार सुरेश।