दिल्ली में गंगा की आजादी के लिए सत्याग्रह का ऐलान, 22 राज्यों से गंगा भक्त जुटे

नई दिल्ली। दिल्ली में मां गंगा की आज़ादी के लिए गंगा घोषणा की गई है। इस घोषणा में कहा गया है कि हम भारत के लोग अपनी मां गंगा की आजादी के लिए संगठित होकर आज दिल्ली में घोषणा करते है कि मां गंगा को बांधो व खनन से मुक्ति दिलाने के लिए चेतना का काम करेगें।



 मां गंगा की आजादी हेतु ‘‘अहिंसा सत्याग्रहरत‘‘ साध्वी पद्मावती एवं स्वामी आत्मबोधानंद जी की तपस्या में हम सब उनके साथ हैं। हम सभी अपनी अपनी जगह पर लौट कर मां गंगा की आजादी के लिए सत्याग्रह करेंगे, मां गंगा को आजादी व उनके स्वराज्य हेतु एक कानून बने और क्रियान्वयन हेतु गंगा परिषद बने इस हेतु हम सब गंगा सत्याग्रह की सिद्धी हेतु प्रयासरत रहेगें। 
गंगा स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर ही रहेगें।


देशभर से 22 राज्यों से आए गंगा भक्तों ने दिल्ली में  गंगा सम्मेलन में पांच निर्णय लिए-
1. गंगा भारतीय आस्था का आधार है। इसकी पर्यावरणीय रक्षा करना भारत सरकार की जिम्मेदारी है क्योंकि भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय नदी घोषित किया है और प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में इसके संरक्षण व प्रबंधन की मोनिटीरिंग करना इनकी जिम्मेदारी है।
2. सभी का मानना है कि गंगा एक समस्त सांस्कृतिक सभ्यता का प्रतीक है। इसके पर्यावरणीय प्रवाह के  बिना भारत का आध्यात्मिक, सामाजिक और आर्थिक व भारतीय जीवन के किसी भी प्रवाह को बचा के रखना संभव नही होगा।
3. गंगा जी के पर्यावरणीय प्रवाह के बिना गंगा की अविरलता व निर्मलता संभव नहीं है। पहले गंगा की अविरलता सुनिश्चित हो तभी निर्मलता होगी।
सभी ने एक मत होकर अविरलता के बिना निर्मलता संभव नही है, यह स्वीकार किया और सर्वसम्मति से सरकार से गंगा की अविरलता सुनिश्चित कराने हेतु गंगा पर बन रहे बांधों का काम रद्द करना होगा और नए बांध आगे न बने यह सुनिश्चित करना होगा।
4. गंगा की भूमि केवल गंगा जी के लिए सुनिश्चित हो, गंगा में गंदे नाले न मिले, गंगा जी में गंगा अमृत ही बहे और गंगा भूमि पर खनन न हो ऐसी व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए।
5. अविरलता के बिना गंगा की निर्मलता की कल्पना या कामना करना व्यर्थ है। इस तथ्यों को वैज्ञानिकों द्वारा समर्पित गंगा नदी बेसिन मैनेजमेंट प्लान 2015 भी स्वीकार करता है। सरकार और समाज को मिलकर इस दिशा में सार्थक प्रयास करना चाहिए।


  सम्मेलन में डॉ मुरलीमनोहर जोशी ने अपने दुखी मन से कहा कि ‘‘ क्या गंगा की सुरक्षा हेतु भी आधारकार्ड चाहिए?‘‘। इसको अविरल बनानें के लिए सम्रगता से काम करने की जरुरत है। आज गंगा के साथ सदभाव व्यवहार की जरुरत है, जीडीपी व विकास की नहीं। । 
      वनारस से आये यू.के. चौधरी जी ने कहा कि गंगा के गंगत्व को बचाने की जरुरत है। उसके जल में ऑक्सीजन की मात्रा सबसे अधिक होती है और आज उसमें गाद की समस्या विकराल हो गई है। बनारस एक उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है।
उत्तराखंड से आए किशोर उपाध्याय जी ने कहा कि गंगा की अविरलता जरूरी है इसलिए मैंने टहरी बांध का भी   विरोध किया था और हम गंगा की आजादी के इस आंदोलन में हम साथ है।
आईआईटी बीएचयू के प्रो. प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि गंगा की अविरलता से ही निर्मलता बनेगी।  प्रो. रमाकर झा ने कहा कि जब भी आप जल को रोक देते है तो वह खराब होने लगता है। इसलिए मां गंगा को प्रवाहमान रखना जरुरी है। जिस प्रकार शरीर का महत्वपूर्ण भाग हमारा शिखर भाग है। इसका अच्छा एवं स्वस्थ होना आवश्यक है क्योकि सारा शरीर इसी से चलता है। इसी प्रकार गंगा नदी के शिखर की कोई गतिविधि पूरी गंगा जी पर असर करती है।


  राज्यसभा के सांसद  रेवती रमण सिंह ने कहा कि गंगा तो बिल्कुल नाला बन गई है। इसके लिए सामुहिक जनआन्दोलन की जरुरत है। इस जनआन्दोलन के शुभारम्भ हेतु प्रयाग आने के लिए जलपुरुष जी को आमंत्रित किया  स्वामी शिवानंद सरस्वती जी ने कहा कि गंगा को आजादी देने से ही साध्वी पद्मावती व स्वामी आत्मबोधानंद के प्राण बचेगें, नही ंतो सरकार को जितने लोगों के प्राण व खून चाहिए उसके लिए मैं और हम सब तैयार है।
नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि गंगा कि अविरलता के लिए जो पद्मावती गंगा सत्याग्रह कर रही है। उनके साथ बिहार के मुख्यमंत्री और वहां का पूरा जनमानस है। पद्मावती का सत्याग्रह की मांगों को मानते हुए भारत सरकार अविलंब निर्णय ले।  पानी पंचायत के अध्यक्ष नीरज कुमार ने कहा कि जलपुरुष राजेन्द्र सिंह को अब गंगा पर संगठित आंदोलन चलानें की जरुरत है।


 अंत में जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि मां गंगा और साध्वी पद्मावती के लिए 22 राज्यों से आये सभी लोग मां गंगा की आजादी हेतु अपने-अपने राज्यों में गंगा सत्याग्रह करें।


 इस सम्मेलन में देशभर के 22 राज्यों का प्रतिनिधित्व था जिसमें महानदी बचाव आंदोलन के सुदर्शन जी, कवेरी नदी परिवार के मुखिया वी. आर. पाटिल, एकता परिषद के अध्यक्ष रणसिंह एवं संयोजक रमेश शर्मा झारखंड, केरल  अनीष, मध्यप्रदेश के जयसिंह, जल जन जोडों के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह, यू. पी ओमवीर तोमर, डॉ कृष्णपाल, संजय राणा, महाराष्ट संजय कुलकर्णी, दिल्ली के प्रो. अपूर्वानंद ,प्रो मनेन्द्र ठाकुर, उत्तराखंड से किशोर उपाध्याय , भोपाल चौधरी, सुनील बहुगुणा, आदि सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने  गंगा के लिए संकल्प प्रस्तुत किया।    
इस सम्मेलन के अंत में साध्वी पद्मावती व स्वामी आत्मबोधानंद के सत्याग्रह का सभी गंगा प्रेमियों ने एकमत होकर समर्थन किया और कहा कि भारत सरकार इस  पर अविलम्ब  निर्णय लें।