गौतमबुद्ध नगर जिला मुख्यालय के बाहर स्वच्छता अभियान दम तोड़ा, कागजों में हो रहा सफाई अभियान


नोएडा।  कलक्ट्रेट जिला गौतबुद्धनगर कार्यालय के आगे-पीछे लगी गंदगी के ढेर लगे हैं। हजारों की संख्या में रोज यहाँ अधिकारी, व्यापारी एवं ग्रामीण आते हैं। यहाँ पर कोर्ट परिषर, जिलाधिकारी कार्यालय, जीएसटी कार्यालय , पुलिस अधिकारी कार्यालय है। इसके बावजूद यह हालात है कि अधिकारियों की सक्रियता और स्वच्छ भारत अभियान किस तरह दम तोड़ रहा है, इसको देखने, समझने के लिए काफ़ी है।


परिसर के बाहर लगी दुकानें और खुले नालियों की गंदगी यह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि स्वच्छ भारत अभियान यहां भगवान भरोसे है। इसे अधिकारियों  द्वारा फाईलों में ही चलाए जा रहे हैं और इस अभियान का पलीता लगाया जा रहा है।


यहां सरकारी महकमें हैं, तो लोगों को अपने-अपने कामों से आना पड़ता है।  प्रतिदिन हजारों के संख्या में यहाँ व्यापारी, कारोबारी और अधिकारी आते हैं। इसके बावजूद यहाँ की हालात सोचनीय बना हुआ है। सोचने वाली बात है कि जब यहाँ की हालात ऐसी है तो बाकी नोएडा, ग्रेटर नोएडा व गौतमबुद्ध नगर जिले में स्वच्छ भारत अभियान कैसे चल रहा है, यह प्रश्न उत्पन्न हो रहा है।


न्यायालय परिसर में वकीलों तथा जजों को पानी निकासी नहीं होने के कारण ईंट और लड़की डालकर कार्यालय तक पहुँचना पड़ता है। भारी जलभराव होने से यहां मक्खी और मच्छर भी पनप रहे हैं। वरिष्ठ निरीक्षक विधिक माप (विज्ञान) के बाहर भी जलभराव की समस्या है। सरकारी बाबुओं द्वारा इस पर संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। जिम्मेदार अधिकारियों को कोई मतलब नहीं है। सब कुछ रामभरोसे है।


बहरहाल, जब जिला कलेक्ट्रेट के आसपास यह हाल है तो इसे बदकिस्मती ही कहा जा सकता है। लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व योगी आदित्यनाथ के सपनों को यहां के अधिकारी रौंदना चाहते हैं। कम से कम यहाँ की स्वच्छता का ध्यान तो रखा ही जाना चाहिए। यहां जगह- जगह पर लगे कचरे के ढेर अभियान के पोल खोल रहे हैं। कलेक्ट्रैट के चारों तरफ जलभराव और प्लास्टिक्स के कचरे साफ देखे जा सकते हैं।


 यहाँ स्वच्छता मिशन की हालात और अधिक खराब हो चुका है। हर रोज हजारों की संख्या में लोग आते हैं और यहाँ से पूरे जिले के लिए दिशा निर्देश भी दिये जाते हैं। न्याय भी यहीं बने जिला  न्यायालय से मिलते हैं, लेकिन स्वच्छ भारत अभियान यहाँ पर दम तोड़ दिया है। यह कहना भी ठीक होगा ” स्वच्छ भारत अभियान” सिर्फ कागजों में कागज को बर्बाद करके चलाये जा रहे हैं। अधिकारी स्वच्छ भारत अभियान को लेकर बड़े-बड़े वायदे और ढींढोरा पीटते रहे हैं, जबकि हालात कुछ और ही है। शहर के स्वयंसेवी संस्था मौलिक भारत और राईज एनजीओ के द्वारा इस समस्या को उठाये जाने के बाद भी अधिकारियों में सक्रियता नहीं दिखाई दे रहा है और हालात अभी जस की तस बने हुए हैं।


उल्लेखनीय है कि जिलाधिकारी बीएन सिंह को  जनपद में स्वच्छता अभियान की सफलता पर मुख्यमंत्री से सम्मान व बधाई मिल चुका है, बावजूद यहां की हालात किसी से छुपी हुई नहीं है। यहां आने वाले लोग जी भरकर यहां गंदगी देखकर कोसते नजर आते हैं।


गौरतलब है कि ” स्वच्छ भारत अभियान” को लेकर सरकार करोड़ो रुपये खर्च कर रही है , लेकिन वास्तविकता जो जमीन पर है, वो कुछ और ही है। जब  जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर और आगे पीछे की हालात ऐसी हो, तो अभियान की वास्तविकता को और अधिकारियों के सक्रियता को भलीभाँति समझा जा सकता है।।


सफाई अभियान पर सवाल यह भी उठता है कि क्या जनता के पैसे से ऐसे ही बैनर, पोस्टर और पम्पलेट छपवाया इतिश्री कर लिया जाता है, जबकि धरातल पर स्थिति किसी से छुपा हुआ नहीं है। क्या महात्मा गाँधी के सपनों से अधिकारियों को कोई सरोकार नही है। मोदी सरकार के विजन को भी अधिकारियों के निष्क्रियता ने पलीता लगा दिया है। जिले में स्वच्छता अभियान का हश्र चाहे जो भी हो, पर मुख्यालय को ही गंदगी से रूबरू कराना जरूर चिंता की बात है।