इहलोक में सुख प्राप्ति हेतु करें जया एकादशी व्रत

माघ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी कहा जाता है। जया एकादशी का व्रत करने से मानव इहलोक में सभी सुखों को प्राप्त कर अंत में स्वर्ग में प्रस्थान करता है। मान्यता है कि जया एकादशी का व्रत कर विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति ब्रह्म हत्या के पाप तक से मुक्त हो जाता है। इस एकादशी को विजय दिलवाने वाली मोक्षदायक कहा जाता है।



जया एकादशी के व्रत करने के लिए इसका पालन दशमी तिथि से करना शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए दशमी तिथि को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। रात्रि में भगवान विष्णु के किसी शास्त्रोक्त मंत्र का जप करना चाहिए। जया एकादशी के दिन सूर्योदय के पूर्व उठ जाएं और नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण कर श्रीहरी का ध्यान करें। पूजास्थल पर आसन ग्रहण करते हुए एक पाट पर पीला कपड़ा बिछाएं और उसके ऊपर लक्ष्मीनारायण की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें। भगवान विष्णु को कुमकुम, अबीर, गुलाल, चंदन, हल्दी, मेंहदी, ऋतुफल, पंचमेवा, मिठाई, पान, तुलसीदल, वस्त्र, सुपारी, नारियल, आंवला आदि समर्पित करें। हाथ में जल लेकर कष्टों के निवारण के लिए भगवान से प्रार्थना करें।