पेंशनभोगी कल्याण विभाग का पेंशन भोगियों के लिए अच्छी पहल

नई दिल्ली। पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के लिए गरिमा और सम्‍मान के जीवन को सुनिश्चित करने की दृष्टि से कार्य करता है। हालांकि, पेंशन नीति तैयार करना विभाग का प्राथमिक कार्य है, तथापि शिकायतों के शीघ्र निवारण के माध्यम से पेंशनभोगियों के कल्याण को बढ़ावा देना, नियमों और प्रक्रियाओं का सरलीकरण तथा केंद्र सरकार के कर्मचारियों को पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों का समय पर और निर्विघ्‍न भुगतान पर विभाग का ध्‍यान केंद्रित हो रहा है। हाल ही के दिनों में, पेंशनभोगियों का जीवन सुगम बनाने के लिए पेंशन नियमों में सुधार करने के साथ ही साथ शिकायतों के शीघ्र निवारण, दोनों के लिए विभाग खबरों में रहा है।



पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने पेंशनभोगियों के जीवन को सुगम बनाने के लिए हाल ही के दिनों में लगातार कई कदम उठाए हैं। यह विभाग जिसे मुख्यतः पेंशन नीति का कार्य सौंपा गया है, बड़े प्रभावी तरीके से नीति में सुधार करता रहा है और पेंशन कल्याण के अपने मुख्य उद्देश्य के साथ सभी सही कारणों के लिए खबरों में रहा है।


पेंशनभोगियों के शिकायत निवारण तंत्र को पहले से भी ज्यादा मजबूत किया गया है। विभाग सीपेंग्राम्स (केंद्रीयकृत पेंशन शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली) नामक एक बहुत ही प्रभावी ऑनलाइन शिकायत निवारण पोर्टल का संचालन कर रहा है, जिसमें केंद्र सरकार का कोई भी पेंशनभोगी अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है और जिसे पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा 60 दिनों की समय सीमा के भीतर उसके अंतिम समाधान और पेंशन निपटान विभाग/मंत्रालय द्वारा बंद करने तक मानीटर किया जाता है। हालांकि, प्रति वर्ष प्राप्त होने वाली लगभग 40,000 शिकायतों का औसत निपटान समय 31 दिनों तक कम किया गया है। यद्यपि, इस तरह की शिकायतों को डाक के साथ-साथ, विभाग के मोबाइल ऐप के माध्यम से पंजीकृत किया जा सकता है, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने एक कदम और आगे बढ़ाया तथा अपने 1800-11-1960 नंबर पर एक टोल-फ्री कॉल सेंटर शुरू किया, जो जून 2019 में लॉन्च होने के बाद से ही अत्यंत लोकप्रिय हुआ है और इस मोड के माध्यम से अब तक 4800 से अधिक शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। यह विभाग इस नंबर पर वरिष्ठ नागरिकों को उनकी पेंशन संबंधी समस्याओं के बारे में परामर्श भी देता है। यह विशेष रूप से उन बुजुर्गों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में है जो अकेले रहते हैं और जिन्‍हें डिजिटल व्‍यवहारिक ज्ञान नहीं हैं। वर्ष 2017 से, शिकायतों का वार्षिक रूप से निपटान दर 90% से अधिक है।


और बेहतर कार्य करने के अपने उत्साह में, विभाग ने एक स्वतंत्र तीसरे पक्ष द्वारा एक विस्तृत विश्लेषण/मूल कारण विश्लेषण आयोजित करवाया। यह देखा गया कि कुछ मंत्रालयों/विभागों ने अक्सर बिना गुणात्मक समाधान के शिकायतों को नियमित रूप से बंद कर दिया था। इसलिए, इस विभाग ने शिकायतों के ऑन-द-स्पॉट समाधान प्रदान करने वाले पेंशन अदालत नामक एक मॉडल को विकसित किया। सीपेंग्राम्स प्रणाली से पुराने मामलों को चुना गया साथ ही अखबारों में विज्ञापन देकर भी शिकायतों का चयन किया गया। पेंशन अदालत की संकल्‍पना में पेंशनभोगियों की शिकायतों का मौके पर ही समाधान करने पर बल दिया जाता है। इन शिकायतों को पेंशन अदालत में पेश करने के लिए पहले से शॉर्ट लिस्ट किया जाता है। यह मॉडल पेंशनभोगी को शीघ्र न्याय देने और पेंशनभोगी को अदालती मामलों और अनुचित उत्पीड़न से बचाने के लिए विकसित किया गया है, जो अपने विभाग या/और मामले से संबंधित अन्य विभिन्‍न हितधारकों से संपर्क करने के बाद भी शिकायत का समाधान करवाने में विफल रहा है। अतः, सभी हितधारकों को जिसमें कार्यालय अध्‍यक्ष (एचओओ), वेतन और लेखा कार्यालय (पीएओ), केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (सीपीएओ), पेंशन संवितरण बैंक/कोषागार आदि शामिल हो सकते हैं, को अग्रिम सूचना देने के बाद पेंशनभोगी/कुटुंब पेंशनभोगी या उसके/उसकी प्रतिनिधि की उपस्थिति में अदालत के दौरान एक ही मंच पर ऑन-द-स्पॉट समाधन प्रदान करने के लिए बुलाया जाता है। पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा अब तक ऐसी चार अदालतों का आयोजन किया जा चुका है, जिसमें पिछली अदालत पहली बार राष्ट्रीय राजधानी के बाहर संघ राज्‍य क्षेत्र जम्मू में आयोजित की गई। पूरे भारत में, सभी मंत्रालयों में एक ही दिन अर्थात 18 सितंबर, 2018 को आयोजित की गई अदालत में, 12,849 शिकायतों में से 10,982 शिकायतों का एक ही दिन में समाधान किया गया, 23 अगस्त, 2019 को आयोजित अदालत में, कुल 4000 शिकायतों का समाधान किया गया। परवर्ती अदालत में, दिल्ली से बाहर 50 लाइव स्थानों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की गई जिसमें पेंशन और पेंशनभोगी कल्‍याण विभाग ने पेंशनभोगियों से सीधी बातचीत की। पेंशनभोगियों और अधिकारियों को यात्रा में होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए, पहली बार विभाग ने उन राज्यों में अदालत को ले जाने की पहल की, जहां शिकायतकर्ता पाए गए, इसकी शुरुआत दिनांक 29 फरवरी, 2020 को जम्मू पेंशन अदालत के आयोजन के साथ की गयी, जिसमें 290 सूचीबद्ध मामलों का ऑन-द-स्‍पॉट निपटान किया गया। यह पेंशनभोगियों एवं विभागों, दोनों के लिए एक राहत है और पेंशन संबंधी अदालती मामलों की संख्या को उल्‍लेखनीय रूप से कम करेगा।


एनपीएस (राष्‍ट्रीय पेंशन प्रणाली) जो वित्तीय सेवा विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है, के संबंध में पेंशन और पेंशनभोगी कल्‍याण विभाग ने केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए जागरूकता कार्यशालाएं शुरू करने का फैसला किया है। इसलिए, इसने एनपीएस के प्रावधानों के बारे में अंशदाताओं को प्रशिक्षित करने के लिए जम्मू में अपना पहला जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया और साथ ही इस प्रणाली के संबंध में ‘क्‍या करें’ और ‘क्‍या न करें’ पर विभिन्न विभागों को प्रशिक्षित किया। इस कार्यक्रम में एक ब्‍योरेवार प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया जिसमें कर्मचारियों के साथ-साथ विभिन्न विभागों के एनपीएस पर कार्य करने वाले कर्मचारियों के कई संदेहों का स्‍पष्‍टीकरण किया गया। वित्‍तीय सेवाएं विभाग के तहत कार्यरत पीएफआरडीए (पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण) के तहत कार्य कर रही सेंट्रल रिकॉर्ड कीपिंग एजेंसी एनएसडीएल की टीम के द्वारा प्रस्‍तुति दी गई।


केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ-साथ जम्मू और कश्मीर संघ राज्‍य क्षेत्र से संबंधित ऐसे एनपीएस मामले जिनके खातों में कुछ अनियमितताएं थी, को चुना गया और उनसे संबंधित पीएओ (प्रधान लेखा अधिकारी) और डीडीओ (आहरण एवं संवितरण अधिकारी) को सुधारात्मक कार्रवाई की सलाह दी गई, ताकि अंशदाताओं को, उनकी सेवानिवृत्ति के बाद लगातार नुकसान न हो, जिसके परिणामस्वरूप कम वार्षिकी मूल्य हो। यह सूचित किया गया कि जम्मू-कश्मीर संघ राज्‍य क्षेत्र के कर्मचारियों के एनपीएस खातों में शून्‍य क्रेडिट के 5756 मामले थे, 5936 मामले ऐसे थे जिनमें कोई नामांकन उपलब्ध नहीं था और 36% अंशदाताओं के एनपीएस खातों में प्रत्‍येक माह के 7वें दिन क्रेडिट नहीं किया जा रहा था। जम्मू-कश्मीर संघ राज्‍य क्षेत्र ने, इस स्थिति से अवगत होने के बाद, अब अपने डीडीओ के प्रशिक्षण सत्र के लिए अनुरोध किया है। जम्मू में केंद्र सरकार के कर्मचारी के संबंध में केवल 5 ऐसे मामले थे जिनमें शून्‍य क्रेडिट था, बिना नामांकन वाले 15 पीआरएएनएस (स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्या) थे।


एनपीएस (राष्ट्रीय पेंशन सेवा) के तहत कवर किए गए ऐसे कई केंद्र सरकार के अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदनों/अदालती मामलों को ध्यान में रखते हुए, जिनकी भर्ती प्रक्रिया दिनांक 01.01.2004 से पहले पूरी हो गई थी, लेकिन जो किसी कारण से, प्रशासनिक या अन्यथा, दिनांक 01.01.2004 को या उसके बाद सेवा में शामिल हुए, को पुरानी पेंशन प्रणाली में शामिल होने के लिए दिनांक 17.02.2020 को जारी किए गए परिपत्र द्वारा एक बार विकल्प दिया गया है, यदि वे ऐसा चाहें तो दिनांक 31.05.2020 तक अपना विकल्प दे सकते हैं।


विभाग द्वारा की गई सबसे उल्लेखनीय पहलों में से एक डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र का संवर्धन था। सेवानिवृत्ति के बाद अपने बच्चों के साथ विदेश में बसने वाले वयोवृद्धों के सामने आने वाली कठिनाई को ध्यान में रखते हुए, विभाग ने दिनांक 20.02.2020 को विदेश में रहने वालों के लिए जीवन प्रमाणपत्र और कुटुंब पेंशन के प्रारंभ पर समेकित निर्देशों पर एक परिपत्र जारी किया, जिसमें भारतीय दूतावासों/वाणिज्य दूतावासों/उच्च आयोगों के साथ-साथ विदेशी बैंक शाखाओं को जीवन प्रमाण पत्र जमा करने और कुटुंब पेंशन शुरू करने की सुविधा देने का निर्देश दिया गया है।


इसी प्रकार, सभी पेंशन संवितरण बैंकों को दिनांक 17.01.2020 को जारी किए गए परिपत्र द्वारा निर्देश दिया गया है कि वे उन पेंशनभोगियों को जो नवंबर के महीने में बैंक जाने में असमर्थ हैं, को घर से ही जीवन प्रमाणपत्र प्रस्‍तुत करने की सुविधा प्रदान करें।


  80 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के पेंशनभोगियों को सुविधा प्रदान करने के लिए, दिनांक 18.07.2019 का कार्यालय आदेश उन्हें अपने जीवन प्रमाण पत्र प्रत्‍येक वर्ष 1 नवंबर के बजाय 1 अक्टूबर से प्रस्तुत करने हेतु अनुमति देता है। विभाग ने एक वृत्तचित्र के माध्यम से डीएलसी की संकल्‍पना को बढ़ावा दिया जिसे यू ट्यूब पर 2 लाख से अधिक हिट मिले। वर्ष 2018 में 8 शहरों में एक पहल की गई जिसमें पेंशनभोगी संगठनों को नए खरीदे गए आइरिस उपकरणों के साथ घर-घर और अस्पतालों/आईसीयू में जाकर डीएलसी संग्रहित करने के लिए शामिल किया गया। इसे वर्ष 2019 में 24 शहरों में विस्तारित किया गया। इन प्रयासों के साथ, केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों की सफल डीएलसी प्रस्‍तुत करने की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई। वर्ष 2015 (2,53,889), वर्ष 2016 (8,00,056), वर्ष 2017 (9,71,436), वर्ष 2018 (12,44,957) और वर्ष 2019 (13,23,861) : जो इस पहल के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।


पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने कई सुधारों के साथ सत्तासीन सरकार के ऐसे संवेदनशील पक्ष को दिखाया, जिसने मानव जीवन को काफी हद तक छू लिया। उनमें से कुछ निम्‍न हैं:


 



  •   सीसीएस (पेंशन) नियमों के नियम 54 में दिनांक 19.09.2019 की अधिसूचना द्वारा संशोधन किया गया था, ताकि उन कर्मचारियों के परिवारों को भी बढ़ी हुई कुटुंब पेंशन (अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत) का भुगतान हो, जिनका 7 वर्ष की सेवा पूरी करने से पहले देहांत हो जाता है, इससे पहले 7 साल की सेवा पूरी करने से पूर्व सेवा के दौरान दिवंगत होने वाले कर्मचारी के परिवार को बढ़ी हुई कुटुंब पेंशन की पात्रता नहीं थी।


 



  •   केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमावली के तहत पेंशन की पात्रता के लिए 10 वर्ष की न्यूनतम अर्हक सेवा आवश्यक है। केन्द्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमावली के नियम 38 में, उन सरकारी कर्मचारियों जो 10 वर्ष की अर्हकारी सेवा पूरी करने से पहले ही शारीरिक या मानसिक दुर्बलता के कारण सेवामुक्‍त होते हैं, को अंतिम वेतन के 50% की दर से अशक्‍तता पेंशन प्रदान करने हेतु संशोधन किया गया है। (दिनांक 4.1.2019 की अधिसूचना और दिनांक 12.02.2019 का का.ज्ञा.)


 



  •   नियमों में तलाकशुदा पुत्रियों को कुटुंब पेंशन के भुगतान का प्रावधान है यदि तलाक कर्मचारी/पेंशनभोगी या उसके पति/पत्नी के जीवन काल के दौरान हुआ। तलाकशुदा पुत्री को कुटुंब पेंशन उन मामलों में भी देने के आदेश जारी किए गए हैं, जहां कर्मचारी/पेंशनभोगी या उसके पति/पत्नी के जीवन काल के दौरान तलाक की कार्यवाही दायर की गई थी, लेकिन तलाक उनकी मृत्यु के बाद हुआ। (दिनांक 19.7.2017 का का.ज्ञा.)।


 



  •   विकलांगता के आधार पर सेवा से मुक्‍त किए गए, विकलांग पेंशनभोगियों को दी जाने वाली सतत परिचर भत्ते की राशि को 4,500/- रु. प्रति माह से बढ़ाकर 6,750/- रु. प्रति माह कर दिया गया है। (दिनांक 2.8.2017 का का.ज्ञा.)।


 



  •   गैर-सीजीएचएस क्षेत्रों में रहने वालों के लिए, ओपीडी के लिए नियत चिकित्सा भत्ता (एफ़एमए) की राशि को 500/- रु. प्रति माह से बढ़ाकर 1000/- रु. प्रति माह कर दिया गया है। (दिनांक 19.7.2017 का का.ज्ञा.)।


 



  •  विभाग ने सीएपीएफ़ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों- बीएसएफ़, सीआईएसएफ़, सीआरपीएफ़,  एसएसबी,  आईटीबीपी, असम राइफल्स) के शहीदों के परिवारों के लिए एक वास्तविक-समय डैशबोर्ड भी शुरू किया है। किसी शहीद की मृत्यु होने के तुरंत बाद इस डैशबोर्ड में पोस्ट किया जाता है और परिवार को कुटुंब पेंशन का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा दैनिक डैशबोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाती है ताकि परिवार को कुटुंब पेंशन के लिए दौड़–भाग न करनी पड़े। डैशबोर्ड के 2 महीने के भीतर, सीएपीएफ द्वारा कुटुंब पेंशन के लंबित मामलों का निपटान आधा कर दिया गया है।


 



  • सीजीएचएस के तहत कवर नहीं किए गए शहरों/क्षेत्रों में रहने वाले पेंशनभोगियों को एफएमए की स्वीकृति के लिए सीएमओ/सीजीएचएस की अनुमति की आवश्‍यकता को समाप्‍त कर दिया गया है। (दिनांक 31/01/2018 का का.ज्ञा.)।


 



  • पीपीओ में विकलांग बच्चों/सहोदरों/आश्रित माता-पिता के लिए कुटुंब पेंशन का सह-प्राधिकरण शुरू किया गया। इससे विकलांग बच्चों/सहोदरों/आश्रित माता-पिता के पक्ष में कार्यालय द्वारा एक नया पीपीओ जारी करने में होने वाले विलंब और परेशानियों से बचा जा सकेगा। (दिनांक 01.07.2013 की अधिसूचना)।


 



  • न्यूनतम पेंशन 3500/- रु. प्रति माह को बढ़ाकर 9000/- रु. प्रति माह कर दिया गया है। केंद्रीय सिविल सेवा (असाधारण पेंशन) नियमावली के तहत कवर की गई न्यूनतम विकलांगता पेंशन और कुटुंब पेंशन को 7,000/- रु. प्रतिमाह से बढ़ाकर 18000/- रु. प्रतिमाह कर दिया गया है। (दिनांक 4.8.2016 का का.ज्ञा.)।



  • मृत्‍यु उपदान का एक नया स्‍लैब जोड़ा गया है। 11-20 वर्ष की अर्हक सेवा वाले सरकारी सेवक की सेवा के दौरान मृत्‍यु होने पर उसका परिवार परिलब्धियों के 12 गुना की मौजूदा हकदारी की अपेक्षा मासिक परिलब्धियों के 20 गुना की दर से मृत्यु उपदान पाने का हकदार होगा। (दिनांक 4.8.2016 का का.ज्ञा.)।


 



  • उपदान की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है। (दिनांक 4.8.2016 का का.ज्ञा.)।


 



  • कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान मृत्‍यु होने पर कर्मचारियों के परिवारों को दी जा रही अनुग्रह एकमुश्त मुआवजे की दरें, कर्मचारी की मृत्‍यु की परिस्थितियों के आधार पर, मौजूदा 10-15 लाख रूपए से बढ़ाकर 25-45 लाख रूपए कर दी गई हैं। (दिनांक 4.8.2016 का का.ज्ञा.)।


 



  • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों/स्वायत्त निकायों में आमेलन होने पर पेंशन के एवज में 100% एकमुश्त राशि लेने वाले सभी आमेलित पेंशनभोगियों को 15 वर्ष की प्रतिस्‍थापन अवधि के पूर्ण होने पर संपूर्ण पेंशन की बहाली की अनुमति देने के आदेश 23 जून, 2017 को जारी किए गए हैं।


 



  • माता-पिता की मृत्यु से पहले मौजूद विकलांगता के लिए, उनकी मृत्‍यु के बाद प्रस्‍तुत किए गए विकलांगता प्रमाण पत्र वाले मामलों में भी विकलांग बच्चे/सहोदर को पेंशन देने के आदेश जारी किए गए। (दिनांक 25.01.2016 का का.ज्ञा.)।


 



  • एनपीएस के तहत आवृत्‍त केंद्रीय कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति उपदान एवं मृत्‍यु उपदान का लाभ उन्‍हीं शर्तों पर दिया गया है, जो 01.01.2004 से पहले नियुक्त कर्मचारियों पर लागू है। (दिनांक 26.08.2016 का का.ज्ञा.)।



  • पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से पेंशनभोगियों/कुटुंब पेंशनभोगियों की लक्षित जागरूकता के लिए समाचार पत्र और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रचार से एक बदलाव करने के प्रयास में, माननीय राज्‍य मंत्री (पीपी) ने कुटुंब पेंशन पर "DO YOU KNOW SERIES" ट्विटर लॉन्च किया। पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग अब कुटुंब पेंशन के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 30 इन्फो ग्राफिक्स (प्रति सप्ताह 2) की एक श्रृंखला निकालेगा। इसके माध्यम से पेंशनभोगी/कुटुंब पेंशनभोगी/विभागों और मंत्रालयों के अधिकारी/बैंक अधिकारी/पेंशनभोगी संघ जो पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के ट्विटर का अनुसरण (follow) कर रहे हैं, वे परिवार की पेंशन संबंधी हकदारी के बारे में जागरूक हो पाएंगे, जिसके लिए अब तक उन्हें कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते थे। माननीय राज्य मंत्री (पीपी) द्वारा कुटुंब पेंशन पर दो पुस्तिकाओं (एक हिंदी में और दूसरी अंग्रेजी में) का विमोचन किया गया। यह उल्लेखनीय है कि जम्‍मू संघ राज्‍य-क्षेत्र से पूरे देश के लिए सोशल मीडिया प्रचार श्रृंखला का शुभारंभ किया गया।


भविष्य (पूर्व-प्रदत्त पेंशन नियम और कैलकुलेटर के साथ ऑनलाइन पेंशन निपटान प्रणाली)


पेंशनर्स पोर्टल को, ऑनलाइन पेंशन मंजूरी प्रक्रिया–‘भविष्य’ की सुविधा को जोड़कर काफी मजबूत किया गया, जो कि एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसमें पेंशन निपटान के लिए एंड टू एंड डिजीटल समाधान है। भविष्य को दिनांक 01-01-2017 से सभी सिविल मंत्रालयों/विभागों के लिए अनिवार्य किया गया है इसका अर्थ यह है कि इस प्लेटफ़ॉर्म पर सभी पुराने मामलों का निपटारा किया जाना है। सेवानिवृत्त होने वाला कर्मचारी ऑनलाइन फॉर्म भरता है और सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी को पेंशन स्‍वीकृति की प्रक्रिया की हर मूवमेंट के बारे में एसएमएस के माध्यम से सूचित किया जाता है। पेंशन मामले के निपटान के लिए प्रत्येक हितधारकों के लिए सख्त समय-सीमा निर्धारित की गई हैं। सभी हितधारकों अर्थात पीएफएमएस और पारस तथा ई-अवास के साथ भविष्य सॉफ्टवेयर के एकीकरण ने ई-पीपीओ को जारी करने में समर्थ किया है। इससे ई-पीपीओ की अवधारणा संभव हो गई है और लगभग 16500 ई-पीपीओ अब तक जारी किए जा चुके हैं। ई-पीपीओ प्रणाली पेंशन प्रसंस्करण के डिजिटलीकरण में एक मील का पत्थर है और विभाग अब डिजी लॉकर के साथ करार कर रहा है ताकि ई-पीपीओ सीधे पेंशनभोगियों के डिजीलॉकर में चला जाए और एक स्थायी रिकॉर्ड बना रहे।


अब तक 1 लाख से अधिक मामलों को भविष्य सॉफ्टवेयर के माध्यम से संसाधित किया जा चुका है। इसके अलावा, ऑन-बोर्ड सिविल मंत्रालयों/विभागों के 7109 डीडीओ को कवर करने वाले लगभग 802 कार्यालयों के माध्यम से 36,306 से अधिक मामले प्रसंस्करण के विभिन्न चरणों में हैं। संघ राज्‍य-क्षेत्रों (UTs) को भी भविष्‍य के तहत कवर करने के लिए इसका विस्तार किया जा रहा है।


संकल्‍प


पेंशनभोगियों को सेवानिवृत्ति के बाद एक सक्रिय जीवन की ओर नई दिशा देने के लिए और राष्ट्र निर्माण की गतिविधियों तथा सामाजिक कार्यों के प्रति उनके कौशल और अनुभव का लाभप्रद उपयोग करने के उद्देश्‍य से एक नई पहल अर्थात् संकल्प की शुरूआत की गयी। संकल्‍प के तहत सेवानिवृति पूर्व परामर्श (पीआरसी) उन कर्मचारियों के लिए आयोजित किया जाता है जो एक वर्ष की अवधि के भीतर सेवानिवृत होने वाले हैं। सेवानिवृति पूर्व परामर्श में उनके पेंशन देयों के अलावा सेवानिवृत्ति के बाद एक सक्रिय जीवन जीने के बारे में भी जानकारी साझा की जाती है। ये सत्र जो देशभर में आयोजित किए जाते हैं, काफी लोकप्रिय हो गए हैं। सेवानिवृत्ति पूर्व परामर्श कार्यशाला (पीआरसी) सेवानिवृत्त होने वाले लोगों के लिए विशेष रूप से उन केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के लिए आयोजित की गयी, जो शिलांग, जैसलमेर, जम्मू  आदि सहित दूर दराज के क्षेत्रों की सीमाओं पर तैनात हैं। अब तक पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा ऐसे 47 सत्रों का आयो‍जन किया जा चुका है। प्रशिक्षकों के लिए प्रशिक्षण (टीओटी) कार्यशालाओं का आयोजन किया गया और 760 मास्टर प्रशिक्षकों का एक पूल तैयार किया गया है। ये मास्टर प्रशिक्षक विभागों के भीतर अपने कर्मचारियों के लिए सेवानिवृति पूर्व परामर्श (पीआसी) का आयोजन करने में सक्षम होते हैं।


ऐसे पेंशनभोगी जो बैंकों में जाने और व्यक्तिगत रूप से जीवन प्रमाणपत्र देने में असमर्थ थे, के जीवन प्रमाणपत्र को, घर और अस्पताल से डिजिटल उपकरणों के माध्‍यम से प्राप्‍त करने के लिए 24 शहरों में पेंशनभोगियों को भी शामिल किया गया।  घर और अस्‍पतालों से ऐसे 4100 डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र एकत्र किए गए ।


कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) द्वारा 1224 पेंशनभोगियों को विभिन्न शहरों आदि में परीक्षाओं के दौरान उड़न दस्ते के निरीक्षण अधिकारियों/सदस्यों के रूप में लगाया गया ।


विभाग ने देश के विभिन्न भागों में स्वच्छ भारत आंदोलन आयोजित करने हेतु, पेंशनभोगियों/नागरिकों को प्रेरित करने के लिए कई अभिज्ञापित पेंशनभोगी संघों को शामिल किया। संघों द्वारा गुवाहाटी, बेंगलुरु, इलाहाबाद, वडोदरा, असम और बिहार में कई स्‍वच्‍छता अभियान चलाए गए।