44 साल का नोएडा, लॉकडाउन व स्मृतियों में बसी नोएडा की गाथाएं


नोएडा। आज  17 अप्रैल को नोएडा 44 वर्ष का हो गया है। आज नोएडा की वर्षगांठ पर लॉकडाउन है और शहर के लोग अपने - अपने घर में कोरोना से सुरक्षित रहने के लिए दरवाजे बंद कर रखे हैं। जो नोएडा अपने स्थापना काल से ही पंखों की उड़ान से विकास मार्ग पर अग्रसर रहा है, वह आज लॉकडाउन पर पूरी तरह ठहर गया है। विकास कार्य बिल्कुल अवरुद्ध है, तो बड़े-बड़े फैक्ट्रियां, बड़े-बड़े मॉल,  बड़े-बड़े बिजनेस सेंटर, बड़े-बड़े व्यापारिक केंद्र सब बंद पड़े हैं। आज इस स्थिति को देखकर ऐसा ही लग रहा है कि जिस पंखों की उड़ान से नोएडा ऊंचाइयों को छूता आ रहा है,आज उसका पंख शिथिल पड़ गया है और आज नोएडा की स्थापना दिवस पर जैसे ग्रहण लग गया हो !


नोएडा देश की राजधानी से  सटा एक उपनगरीय क्षेत्र है जो उत्तर प्रदेश में स्थित है। यह 203 वर्ग कि॰मी॰ में फ़ैला है। इसका नाम अंग्रेज़ी के New Okhla Industrial Development Authority न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डवेलपमंट अथॉरिटी के संक्षिप्तीकरण से बना है,  जिसे लोग नवीन औद्योगिक विकास प्राधिकरण कहते हैं। आज इसे लोग नोएडा ही कहना ज्यादा पसंद करते हैं। यह यहां का प्रचलित नाम भी है। यह विभिन्न सेक्टरों में बसा हुआ है। यहां टोटल 167 सेक्टर हैं। यहां 13 सेक्टर सृजित नहीं किया गया है, बाकी सेक्टर क्रमबद्ध सृजित हैं। यह औद्योगिक विकास प्राधिकरण के प्रबंधन के तहत एक व्यवस्थित योजनाबद्ध भारतीय शहर है। यह भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है।


प्रदेश सरकार को सबसे ज्‍यादा राजस्‍व देनेवाला जिला गौतमबुद्धनगर का नोएडा शहर देश के हाईटेक शहरों में शुमार है। नोएडा की गगनचुंबी इमारतें और मॉल कल्‍चर यहां खुलेपन का अहसास कराते हैं। इसका नाम न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के संक्षिप्तीकरण (नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण ) से बना है।


ऐतिहासिक काल खंडों में स्थित नोएडा की धरती कभी नलगढ़ा गांव में भगत सिंह की तूती बोलती थी। यहां भगत सिंह ने भूमिगत रहते हुए कई बम परीक्षण किए थे। आज भी वहां एक बहुत बड़ा पत्थर सुरक्षित रह कर इसका गवाह बना हुआ है। यहीं से सरदार भगत सिंह ने अंग्रेजों के दांत खट्टे करते थे। यहां आजादी के दीवाने बड़े-बड़े धुरंधर क्रांति की अलख जगाते थे और भारत को आजादी दिलाने के लिए अपनी रणनीति तय करते थे।


 नोएडा के ऐतिहासिक महत्‍व की बात करें तो 11 सितम्बर 1803 को ब्रिटिश आर्मी व मराठों की सेना के बीच हुए निर्णायक युद्ध का स्मारक आज भी नोएडा के गोल्फ कोर्स परिसर के अन्दर मौजूद है। जो ब्रिटिश जनरल गेरार्ड लेक की स्मृति को दर्शाता है,  जिसे अंग्रेज वास्तुविद एफ लिस्मन द्वारा बनाया गया था। इसे जीतगढ़ स्तम्भ कहा जाता है।


दुर्भाग्य है कि नोएडा प्राधिकरण ने इस ऐतिहासिक जगह को गोल्फ कोर्स को देकर कैद करा दिया है जबकि आम नागरिक छलेरा गांव के पास सड़क से ही उस जीतगढ़ स्तंभ का दर्शन कर पाते हैं। गोल्फ कोर्स के अंदर होने की वजह से आम पब्लिक यहां तक नहीं पहुंच पाते, न ही इस स्तंभ पर लिखे वाक्यों को पढ़ पाते हैं, न ही इस ऐतिहासिकता के बारे में जान पाते हैं।


नोएडा के सदरपुर गांव कभी ऐतिहासिकता का बहुत बड़ा केंद्र होता था, जब दिल्ली से बने यहां तक के  सुरंग से मुगल सल्तनत की फौज गुजरती थी। इस सुरंग को मोहम्मद बिन तुगलक द्वारा बनाया बताया जाता है। आज उसके अस्तित्व मिटने के कगार पर है, प्राधिकरण विकास के अंधी दौड़ में कई ऐतिहासिक तस्वीरों  को मिटते देखा है, पर उसे सुरक्षित रखने की जद्दोजहद कोशिश में आगे नहीं आया है।


नोएडा का ग्रेट इंडिया पैलेस व डीएलएफ मॉल सबसे बड़े मॉल्‍स में शुमार हैं। नोएडा के खानपान की बात करें तो यहां के लोगों को इंडियन खाने के साथ चाइनीज आइटम ज्‍यादा पसंद हैं। नोएडा के सेक्‍टर-18 में हर तरह के व्‍यंजन उपलब्‍ध होते हैं। 


नोएडा की स्थापना से पूर्व की बात करें तो उस समय यहां कच्चे मार्ग हुआ करते थे जिसके द्वारा ही गांव के लोग दिल्ली आदि जगहों पर आते जाते थे। उस समय गांव में कच्चे मकान होते थे और कच्चे रास्ते तथा गलियारों में फैला नालियों का पानी होता था। उस समय चारों तरफ किकर की पेड़ दिखाई देते थे।


कहा जाता है कि एक बार संजय गांधी ने हवाई मार्ग से यात्रा कर रहे थे तो उन्होंने इस भूभाग पर औद्योगिक शहर बनाने की कल्पना की थी और उन्हें उन्होंने तात्कालिक मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी को कहा था। तब नारायण दत्त तिवारी ने नोएडा नगर की परिकल्पना को साकार कर जीवंत रूप देने का शुरुआती काम किया।


एनडी तिवारी नोएडा के जनक रहे हैं। इन्होंने 1976 में नोएडा को बसाने की नींव रखी थी। ये पहली बार सेक्टर—11 स्थित नेहरु युवा केंद्र का उद्घाटन करने के लिए नोएडा आए थे। उसके बाद में सेक्टर 19 में राजकीय महाविद्यालय व शहर के सबसे पुराने सेक्टर-12 स्थित प्रियदर्शनी पार्क का उद्घाटन भी नारायण दत्त तिवारी ने किया था। उन्हें नोएडा के विकास का जनक भी कहा जाता है। ये यूपी के ऐसे मुख्यमंत्री रहे थे,  जो कि कुर्सी पर रहते हुए कई बार नोएडा आए। उन्होंने नोएडा को एक हाईटेक शहर बनाने का सपना  देखा था और उसे  जीवित रहते साकार होते हुए भी देखा।