ई- कॉमर्स कंपनियों के कारोबार के फैसले पर नरेश कुच्छल ने जताया विरोध

**     ई- कॉमर्स कंपनियों को कारोबार करने की अनुमति पर दोबारा किया जाए विचार- नरेश कुच्छल
**     उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल ने फैसले पर जताया विरोध




नोएडा। कोरोना वायरस की वजह से देश भर हुए लॉकडाउन के बीच विदेशी स्वामित्व वाली ई कॉमर्स कंपनियों को कारोबार करने की अनुमति देने का विरोध शुरू हो गया है। उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल ने इस बारे में प्रदेश सरकार व केंद्गीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री को पत्र लिख कर आपत्ति व्यक्त की है। इस बारे में अनुरोध किया गया कि आगामी 2० अप्रैल से ई कॉमर्स कंपनियों को कारोबार करने की जो अनुमति दी गई है उस पर फिर विचार किया जाए। इनका कहना है कोरोना संक्रमण में एक योद्धा की भांति सेवारत खुदरा व्यापारियों को ग्रीन जोन में अपनी अपनी दुकाने खोलने की अनुमति दी जाए।
उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के प्रांतीय कोषाध्यक्ष नरेश कुच्छल ने भेजे गए पत्र में कहा कि लॉकडाउन को सफल बनाने में प्रदेश के खुदरा व्यापारियों का अभूतपूर्व योगदान रहा है और एक योद्धा की भांति ही रेड जोन, आरेंज जोन और ग्रीन जोन के नागरिकों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध करा रहे है। अन्य गैर जरूरी वस्तुओं का कारोबार करने वाले व्यापारी भी इस दौरान वंचित वर्ग को लगातार भोजन इत्यादि की व्यवस्था में लि’ रहे है। यह बड़ा खेद का विषय है कि सरकार द्बारा अपने घरेलू खुदरा व्यापारियों के हितो को अनदेखा कर विदेशी स्वामित्व वाली ई- कॉमर्स कंपनियों को 2० अप्रैल से गैर आवश्यक वस्तुओ को ऑनलाइन के माध्यम से विक्री करने की अनुमति प्रदान कर दी है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह अपने निर्णय पर दोबारा से विचार करे। कुच्छल ने आगे बताया कि ई- कॉमर्स कंपनियों को छूट मिलने से रिटेल व्यापाार का बाजार पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगा। इसका व्यापारियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। आकड़ों को देखे तो भारत में ई कॉमर्स व्यापार केवल 1.6 प्रतिशत ही है पर इसने देश के रीटेल व्यापार के 4० प्रतिशत हिस्से को नष्ट कर दिया है। ऐसे में लॉकडाउन के दौरान जब व्यापारी पूर्ण रूप से देशसेवा में लिप्त है। इस स्थिति में ई- कामर्स कंपनियों को अनुमति देना रिटेल व्यापारियों के लिए सकारात्मक पहल नहीं है।