क्या योग की ताक़त से जीता जा सकता है कोरोना जंग ? जरूर पढ़ें

 दिल्ली।  भारत के ऋषि-मुनियों ने हमें आसन-प्राणायाम दिये लेकिन हम उसकी महत्ता भूल गए, कुछ लोग तो मजाक उड़ाने लगे पर कोरोना वायरस से पूरी दुनिया डरी हुई है और उसका कोई इलाज आज तक बड़े-बड़े वैज्ञानिक और डॉक्टर नही ढूंढ पाए। वहीं भारतीय आसन-प्राणयाम से 5 बार पोजेटिव आया कोरोना वाला व्यक्ति भी ठीक हो गया।



योग का जन्म भारतवर्ष में ही हुआ, मगर दुखद यह रहा की आधुनिक कहाने वाले समय में अपनी दौड़ती-भागती जिंदगी से लोगों ने योग को अपनी दिनचर्या से हटा लिया है। जिसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर हुआ। मगर आज भारत में ही नहीं विश्व भर में योग का बोलबाला है और निःसन्देह उसका श्रेय भारत के ही साधु-संतों को जाता है, जिन्होंने योग को फिर से पुनर्जीवित किया।


आपको बता दे कि 47 साल के अश्विनी गर्ग मर्चेंट नेवी में थे। अश्विनी 21 मार्च को सिंगापुर से नई दिल्ली एयरपोर्ट उतरे थे। उस दौरान वहां भारी भीड़ थी। उन्हें वहां 12 घंटे इंतजार करना पड़ा। उन्हें तभी संक्रमित होने का अंदेशा हो गया था। वह मेरठ में अपने घर पर ही क्वारंटीन में रहे।  27 तारीख को गले में दर्द और बुखार हुआ। 28 मार्च को टेस्ट कराया गया, अगले दिन उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। रिपोर्ट कुल 5 बार पाजिटिव आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।


अश्विनी ने बताया कि जर्मनी में रहने वाले अपने भाई की सलाह पर 9 अप्रैल से योग एवं प्राणायाम शुरू किया। इससे उनके सांस लेने की क्षमता बढ़ने लगी और मानसिक रूप से भी वे खुद को मजबूत महसूस करने लगे। उन्होंने बताया कि अस्पताल में इलाज के दौरान वे प्रतिदिन कम से कम तीन घंटे योग प्राणायाम का अभ्यास करते थे। 12 अप्रैल को भी उनका टेस्ट पॉजिटिव आया, लेकिन ब्लड टेस्ट में सुधार दिखने लगा था। योग शुरू करने के छह दिन बाद 15 अप्रैल को उनका पांचवा टेस्ट निगेटिव आया। उनका दावा है कि दो हफ्ते तक योगाभ्यास करने से रक्त में डब्ल्यूबीसी बढ़ जाता है। मानसिक ताकत भी बढ़ गई। शुक्रवार की रात उन्हें मेरठ मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज कर दिया गया।


जो लोग आसान-प्रणायाम, सूर्यनमस्कार आदि की महत्ता नही समझ रहे थे, जो लोग मजाक भी उड़ाने लगे थे, जो हमारे ऋषि-मुनियों की बात को कपोल कल्पित समझते थे और वैज्ञानिको को ही सबकुछ समझते थे आज उनके मुंह पर एक तमाचा है की भारत के महापुरुषों ने हमारे लिए कितनी महान खोजे की है और हमे सहज में ही दे दी और आज पूरी दुनिया के वैज्ञानिक, डॉक्टर, बुद्धिजीवी लोग कोरोना का उपचार नही ढूढ पा रहे है। वहीं हमारे ऋषि-मुनियों ने पहले से ऐसी रहन-सहन पद्धति बताई है कि हमारी रोग प्रतिकारक शक्ति इतनी रहेगी कि कोरोना जैसे भयंकर वायरस भी आपका कुछ बिगाड़ नही सकता ।


योग शास्त्रों की परम्परानुसार चौरासी लाख आसन हैं और ये सभी जीव जंतुओं के नाम पर आधारित हैं। इन आसनों के बारे में कोई नहीं जानता इसलिए चौरासी आसनों को ही प्रमुख माना गया है और वर्तमान में बत्तीस आसन ही प्रसिद्ध हैं। आसनों का अभ्यास शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वास्थ्य लाभ व उपचार के लिए किया जाता है।


योगसन से क्या-क्या लाभ होते हैं?


(1) योगासनों का सबसे बड़ा गुण यह है कि वे सहज साध्य और सर्वसुलभ हैं। योगासन ऐसी व्यायाम पद्धति है जिसमें न तो कुछ विशेष व्यय होता है और न इतनी साधन-सामग्री की आवश्यकता होती है।
(2) योगासन अमीर-गरीब, बूढ़े-जवान, सबल-निर्बल सभी स्त्री-पुरुष कर सकते हैं।
(3) आसनों में जहां मांसपेशियों को तानने, सिकोड़ने और ऐंठने वाली क्रियाएं करनी पड़ती हैं, वहीं दूसरी ओर साथ-साथ तनाव-खिंचाव दूर करनेवाली क्रियाएं भी होती रहती हैं, जिससे शरीर की थकान मिट जाती है और आसनों से व्यय शक्ति वापिस मिल जाती है। शरीर और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी योगासनों का अपना अलग महत्त्व है।
(4) योगासनों से भीतरी ग्रंथियां अपना काम अच्छी तरह कर सकती हैं और युवावस्था बनाए रखने एवं वीर्य रक्षा में सहायक होती है।
(5) योगासनों द्वारा पेट की भली-भांति सुचारु रूप से सफाई होती है और पाचन अंग पुष्ट होते हैं। पाचन-संस्थान में गड़बड़ियां उत्पन्न नहीं होतीं।
(6) योगासन मेरुदण्ड-रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हैं और व्यय हुई नाड़ी शक्ति की पूर्ति करते हैं।
(7) योगासन पेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं। इससे मोटापा घटता है और दुर्बल-पतला व्यक्ति तंदरुस्त होता है।
(8) योगासन स्त्रियों की शरीर रचना के लिए विशेष अनुकूल हैं। वे उनमें सुन्दरता, सम्यक-विकास, सुघड़ता, गति और सौन्दर्य आदि के गुण उत्पन्न करते हैं।
(9) योगासनों से बुद्धि की वृद्धि होती है और धारणा शक्ति को नई स्फूर्ति एवं ताजगी मिलती है। ऊपर उठने वाली प्रवृत्तियां जागृत होती हैं और आत्म-सुधार के प्रयत्न बढ़ जाते हैं।
(10) योगासन स्त्रियों और पुरुषों को संयमी एवं आहार-विहार में मध्यम मार्ग का अनुकरण करने वाला बनाते हैं अत: मन और शरीर को स्थाई तथा सम्पूर्ण स्वास्थ्य, मिलता है।
(11) योगासन श्वास- क्रिया का नियमन करते हैं, हृदय और फेफड़ों को बल देते हैं, रक्त को शुद्ध करते हैं और मन में स्थिरता पैदा कर संकल्प शक्ति को बढ़ाते हैं।
(12) योगासन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान स्वरूप हैं क्योंकि इससे शरीर के समस्त भागों पर प्रभाव पड़ता है और वह अपने कार्य सुचारु रूप से करते हैं।
(13) आसन रोग विकारों को नष्ट करते हैं, रोगों से रक्षा करते हैं, शरीर को निरोग, स्वस्थ एवं बलिष्ठ बनाए रखते हैं।
(14) आसनों से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। आसनों का निरन्तर अभ्यास करने वाले को चश्में की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।*
(15) योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है, जिससे शरीर पुष्ट, स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनता है। आसन शरीर के पांच मुख्यांगों, स्नायु तंत्र, रक्ताभिगमन तंत्र, श्वासोच्छवास तंत्र की क्रियाओं का व्यवस्थित रूप से संचालन करते हैं जिससे शरीर पूर्णत: स्वस्थ बना रहता है और कोई रोग नहीं हो पाता। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक सभी क्षेत्रों के विकास में आसनों का अधिकार है। अन्य व्यायाम पद्धतियां केवल बाह्य शरीर को ही प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं, जबकि योगसन मानव का चहुँमुखी विकास करते हैं।


आपको भारतीय योगासनों के यहाँ कुछ ही फायदे बताये बल्कि इससे भी कई अधिक फायदें है और प्राणायम के तो ओर अधिक फायदें है अतः इसका आप भी लाभ उठाएं, स्वस्थ्य रहिये ओरो को फायदा बताकर सभी को रोगमुक्त करिये।