नई दिल्ली। आज राष्ट्रीय पंचायत दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की समस्त पंचायतों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया और कहा, आप सभी इस मुश्किल परिस्थिति में भी गांवों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने एकीकृत ई-ग्राम स्वराज पोर्टल को लॉन्च किया। जिसके जरिए गांव की विकास परियोजनाओं पर नजर रखी जा सकेगी।
उन्होंने कहा, महात्मा गांधी कहते थे कि मेरे स्वराज की कल्पना का आधार, ग्राम स्वराज ही है। इसलिए ग्राम पंचायतें हमारे लोकतंत्र की एकजुट शुक्ति का केंद्र हैं। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है के बड़ी से बड़ी शक्ति का केंद्र, एकजुटता में ही है। इसलिए आज की परिस्थिति में देश को आगे ले जाने की शुरुआत, देश को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत गांवों की सामुहिक शक्ति से ही है। आप सभी की एकजुटता से ही ये संभव होगा।
किसान का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। वो हमारा अन्नदाता है और निस्वार्थ भाव से देशवासियों को पेट पालता है। किसान और पशुपालक साथियों ने लॉकडाउन के समय देश को अनाज, दूध, दही, फल की कमी नहीं होने दी। प्रधानमंत्री देश की अलग-अलग ग्राम पंचायतों के सरपंच से कोरोना के खतरे को देखते हुए उठाए गए कदमों की जानकारी ले रहे हैं। कोरोना एक विचित्र वायरस है खुद किसी के घर नहीं जाता है। इसलिए दो गज दूरी का पालन करना जरूरी है। पहले कहते थे कि दिल्ली से एक रुपये भेजने पर गांवों तक 15 पैसे ही पहुंचते थे, लेकिन अब पूरे के पूरे 100 पैसे पहुंच रहे हैं।
सरकार और जनता के बीच जब विश्वास होता है तो कितने ही बड़े संकट को हम पार कर लेते हैं। इस बार जो लड़ाई हम जीत रहे हैं, उसका मूल कारण विश्वास है। खुद पर भी विश्वास है और व्यवस्थाओं पर भी विश्वास है। शहर में रह रहे ग्रामीणों को दिक्कत आती थी, उनसे लोग बातचीत करते रहें। सरपंचो से प्रधानमंत्री ने कहा कि आजकल मुझे गांव के प्रधान से भी बात करने का सौभाग्य मिलता है और दुनियाभर के बड़े-बड़े देशों के प्रधान से भी बात करने का मौका मिलता है। कभी-कभी मुझे लगता है कि जीवन की सच्ची शिक्षा की परीक्षा संकट के समय ही होती है। इस कोरोना संकट में देश के गांवों के लोगों ने अपने संस्कारों और परंपराओं की शिक्षा के अद्भुत दर्शन कराए हैं। गांवों से आ रहे अपडेट प्रेरणा देनेवाले हैं।
आज लॉन्च हुए एप ई-ग्राम स्वराज के जरिए ग्राम पंचायतों के फंड, उसके कामकाज की पूरी जानकारी होगी। इसके माध्यम से पार्दशिता भी आएगी और परियोजनाओं के काम में भी तेजी आएगी। स्वामित्व योजना से ग्रामीणों को एक नहीं अनेक लाभ होंगे। इससे संपत्ति को लेकर भ्रम और झगड़े खत्म होंगे। इससे गांव में विकास योजनाओं की योजना बनाने में मदद मिलेगी। इससे शहरों की तरह गांवों में भी आप बैंकों से लॉन ले सकेंगे।
सरकार ने भारत में ही मोबाइल बनाने का जो अभियान चलाया है, उसी का परिणाम है कि आज गांव गांव तक कम दामों वाले स्मार्टफोन पहुंच चुके हैं। ये आज जो इतने बड़े स्तर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस हो रही हैं, ये सब इसी के कारण संभव हो पाया है। गांव के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए आज सरकार द्वारा दो महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट शुरु किया गए हैं। एक है ई-ग्राम स्वराज और दूसरे की विशेषता है कि उसके द्वारा हर ग्रामीण के लिए स्वामित्व योजना की शुरुआत।
इतना बड़ा संकट आया, इतनी बड़ी वैश्विक महामारी आई, लेकिन इन 2-3 महीनों में हमने ये भी देखा है भारत का नागरिक, सीमित संसाधनों के बीच, अनेक कठिनाइयों के सामने झुकने के बजाय, उनसे टकरा रहा है, लोहा ले रहा है। ये सही है कि रुकावटें आ रही हैं, परेशानी हो रही है, लेकिन संकल्प का सामर्थ्य दिखाते हुए, नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ते हुए, नए-नए तरीके खोजते हुए, देश को बचाने का और देश को आगे बढ़ाने का काम भी निरंतर जारी है।
इस कोरोना संकट ने दिखा दिया है कि देश के गांवों में रहने वाले लोग, इस दौरान उन्होंने अपने संस्कारों-अपनी परंपराओं की शिक्षा के दर्शन कराए हैं। गांवों से जो अपडेट आ रहा है, वो बड़े-बड़े विद्वानों के लिए भी प्रेरणा देने वाला है। आप सभी ने दुनिया को मंत्र दिया है- ‘दो गज दूरी’ का, या कहें ‘दो गज देह की दूरी’ का। इस मंत्र के पालन पर गांवों में बहुत ध्यान दिया जा रहा है। ये आपके ही प्रयास है कि आज दुनिया में चर्चा हो रही है कि कोरोना को भारत ने किस तरह जवाब दिया है।
पूरे देश को आत्मनिर्भर बनान होगा। अब ये बहुत आवश्यक हो गया है। एक दौर वो भी था जब देश की सौ से भी कम पंचायतें ब्रॉडबैंड से जुड़ी थीं। अब सवा लाख से ज्यादा पंचायतों तक ब्रॉडबैंड पहुंच चुका है। इतना ही नहीं, गांवों में कॉमन सर्विस सेंटरों की संख्या भी तीन लाख को पार कर रही है। इस महामारी ने हमें एक नई शिक्षा दी है। कोरोना संकट ने अपना सबसे बड़ा संदेश, सबक दिया है हमें सिखाया है और एक प्रकार से हमें उस रास्ते पर चलने के लिए हमारा दिशा-निर्देश किया है। कोरोना संकट से अपने अनुभवों से हमने पाया है कि अब हमें आत्मनिर्भर बनना ही पड़ेगा। बिना आत्मनिर्भर बने ऐसे संकटों को झेल पाना मुश्किल हो जाएगा। राज्य, जिला, ग्राम अपने स्तर पर आत्मनिर्भर बनें।
कोरोना ने हम सभी के काम करने के तरीके को बदल दिया है। पहले हमें किसी आयोजन के लिए रूबरू होते थे लेकिन आज वही आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करना पड़ रहा है। मैं सम्मान और अवॉर्ड पाने वाले सरपंचों को बधाई देता हूं। इस महामारी ने हमारे लिए अलग-अलग तरह की मुसीबत तो खड़ी की है।